'यूपी + बिहार = गई मोदी सरकार' पोस्टर ने बढ़ाया पारा, जानिए कितनी बदलेगी नीतीश-अखिलेश की जोड़ी से राजनीतिक तस्वीर
लखनऊ। बिहार की सत्ता में पिछले दिनों हुए उलटफेर के बाद नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री बनने की महत्वकांक्षा बार-बार सामने आ रही है। उनके सहयोगी दल और पार्टी नेता उन्हें विपक्ष की ओर से पीएम प्रोजेकट करने की कोशिश कर रहे है। इसी कड़ी में हाल ही में उन्होंने दिल्ली में कई विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात की। हालांकि सीधे तौर पर वे कुछ भी कहने से बचते नजर आए लेकिन उनके मंसूबे चेहरे और बातों में साफ झलक रहे है। इसी बीच लखनऊ में समाजवादी पार्टी दफ्तर के बाहर शनिवार सुबह निवार को लगे एक पोस्टर ने राजनीतिक हलचल को तूल दे दिया है।
सपा ने पोस्टर वार करते हुए भाजपा की 2024 लोकसभा चुनाव में सरकार जाने का दावा किया है। इस पोस्टर में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की तस्वीर एक साथ है और उस पर लिखा है कि 'यूपी बिहार = गयी मोदी सरकार।'इस पोस्टर को सपा सपा प्रवक्ता आईपी सिंह ने लगवाया है। उन्होंने अपने ट्वीटर हैंडल से पोस्ट कर कहा है कि 'सपा, जदयू, राजद सभी दल समाजवादी विचारधारा के अग्रदूत हैं और नेताजी मुलायम सिंह यादव इन दलों के संयुक्त संरक्षक हैं। समाजवादियों ने पहले भी तानाशाही को उखाड़ फेंका है और अब भी आने वाली क्रांति के नायक समाजवादी ही होंगे।'
उप्र-बिहार का सियासी गणित -
बता दें की उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 और बिहार में 40 लोकसभा सीटें है। मतलब दोनों राज्यों में मिलाकर 120 सीटें है। जिन पर अखिलेश-नीतीश- तेजस्वी के साथ कांग्रेस और भाजपा की भी नजरें है। अब महागठंबंधन के साथ आने से इन सीटों पर क्या असर पड़ेगा इसे समझने के लिए वर्ष 2019 के आम चुनाव का विश्लेषण जरुरी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उप्र में 80 में से 62 सीटों पर परचम फहराया था। वहीं उसकी सहयोगी अपना दल को भी 2 सीटें मिली थी। सपा-बसपा-कांग्रेस 16 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। जिसमें बसपा राज्य में 10 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। वहीं सपा महज 5 सीटें ही जीत सकी थी। कांग्रेस को सोनिया गांधी की जीत से ही संतोष करना पड़ा था। इस लिहाज से अगर 2024 के चुनाव की बात करें तो यहां सपा की राह बेहद मुश्किल नजर आ रही है। हाल ही में हुए 2022 विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन भी देख ले तब भी उनके खाते में 10 से अधिक लोकसभा सीटें जाती नजर नहीं ऐसे में अखिलेश के लिए ये चुनाव बड़ी परीक्षा होने वाला है।
वहीं बिहार की बात करें तो यहां नीतीश कुमार जनता दल को 2019 में 16 सीटें मिली थी। नीतीश कुमार अगर गठबंधन के तहत चुनावी मैदान में उतरते हैं तो 15-16 सीटों से अधिक लोकसभा चुनाव में जेडीयू में सीटें मिलती नजर नहीं आ रही है। ऐसे में दोनों राज्यों में सपा -जदयू-राजद गठबंधन को 120 में से 30 सीटें मिलने की उम्मीद है। ऐसे में इतनी कम सीटों के साथ अखिलेश और नीतीश दोनों के लिए पीएम पद पर उम्मीदवारी की संभावना कम ही नजर आ रही है।