आखिर क्या होता है ये डार्क नेट, कैसे अपराधियों ने इस पर रचा पेपर लीक का स्कैम, जानिए
नीट हो या फिर नेट परीक्षा काली दुनिया के डार्कनेट ने अपना काम कर दिखाया है। आखिर क्या है यह डार्क नेट की दुनिया जिस पर पेपर लीक का स्कैम चला, चलिए जानते हैं इसके बारे में।
Dark Net: जैसा कि,इन दिनों नीट परीक्षा के रिजल्ट में धांधली का मामला गरमाया हुआ है जहां पर पेपर स्कैम कर कई छात्रों की मेहनत पर पानी फेर दिया। इस तरह स्कैम को लेकर जहां छात्रों में आक्रोश है वही पर काली दुनिया के डार्कनेट ने अपना काम कर दिखाया है। आखिर क्या है यह डार्क नेट की दुनिया जिस पर पेपर लीक का स्कैम चला, चलिए जानते हैं इसके बारे में।
जानिए क्या होता है डार्कनेट?
इस डार्कनेट को आसान शब्दों में समझे तो यह इंटरनेट का ही एक हिस्सा होता है जिसमें अच्छे और बुरे हर तरह के काम को अंजाम दिया जाता है। डार्क नेट की इस काली दुनिया में इंटरनेट का 96 प्रतिशत हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है तो वहीं पर इसका उपयोग यूजर्स इंटरनेट कंटेंट में सिर्फ 4 फ़ीसदी ही करते हैं जिसे सरफेस वेब कहते हैं। अगर यूजर्स डीप वेब पर कंटेंट का हिस्सा इस्तेमाल करना चाहे तो इसके लिए उसे पासवर्ड की आवश्यकता पड़ती है।वहीं साइबर एक्सपर्ट डार्क वेब को खोलने के लिए टॉर ब्राउजर का इस्तेमाल करते हैं।
डार्क नेट को ट्रैक करना होता है मुश्किल
डार्क नेट पर हर काम को अंजाम देना आसान होता है जिसमें पेपर लीक, ड्रग्स, हथियार, पासवर्ड, चाईल्ड पॉर्न जैसी बैन चीजें जैसे स्कैम शामिल होते हैं। इस खतरनाक प्लेटफार्म डार्क वेब ओनियन राउटिंग टेक्नोलॉजी पर काम करता है। इस पर अगर कोई यूजर गलत काम को अंजाम दे रहा है तो यह उसकी पूरी गतिविधि को बचा कर रखता है। यूजर्स को ट्रैकिंग और सर्विलांस से बचाता है और उनकी गोपनीयता लीक ना हो जाए इसके लिए सैकड़ों जगह रूट और री-रूट करता है इसके लिए वह बहुत सारे पासवर्ड को कनेक्ट और डिस्कनेक्ट करने का काम भी करता है। डार्क वेब पर डील करने के लिए वर्चुअल करेंसी जैसे बिटकॉइन का इस्तेमाल किया जाता है।
स्कैमर्स ऐसे कैसे करते हैं काम
इस डार्कनेट पर जहां हर गलत कामों को अंजाम देने का काम किया जाता है वहीं पर इसमें हथियारों की तस्करी और सुपारी देने जैसे काम को स्कैमर्स बहुत सस्ते में करते हैं।