नदियों में क्यों फेंके जाते हैं सिक्के? क्या हैं धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

किसी भी नदी के उपर से जब ट्रेन गुजरती है,तो लोग में उसमें सिक्कें जरूर डालते हैं|

Update: 2024-06-20 13:02 GMT

क्या आपने कभी गौर किया है कि जब लोग नदी पार करते हैं, तो वे अक्सर उसमें सिक्के फेंकते हैं? हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। लोगों का मानना है कि नदी में सिक्के फेंकना सम्मान दिखाने और परंपरा का पालन करने का एक तरीका है।

कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उन्हें देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।

आपने कभी भी जरूर सोचा होगा कि लोग ऐसा क्यों करते हैं, तो हम आपको कुछ वैज्ञानिक और धार्मिक कारण बताएंगे जो आपको पता होने चाहिए।

सिक्के फेंकने का धार्मिक कारण

पवित्रता का संबंध

कई हिंदू संस्कृतियों में नदी को माँ गंगा या अन्य देवी का रूप माना जाता है। इसलिए, नदी में कॉइन फेंकने से यह मान्यता जुड़ी होती है कि हम उनके आशीर्वाद को प्राप्त कर रहे हैं। यह एक प्रकार की पूजा और समर्पणा का रूप भी होता है।

पाप का नाश:

धार्मिक दृष्टिकोण से, कुछ लोग मानते हैं कि नदी में कॉइन फेंकने से पापों से मुक्ति मिलती है। यह एक प्राचीन परंपरा में मान्यता है कि यह कॉइन उन बुराईयों को प्रतिष्ठापित करता है और उन्हें हमारे जीवन से दूर करता है साथ ही कुछ समुदायों में नदी में कॉइन फेंकने को संस्कार माना जाता है।

यह किसी विशेष प्रवृत्ति, समारोह या समाजिक उत्सव के बाद किया जाता है ताकि उस क्रिया को सम्मानित किया जा सके। इससे समाज में सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को मजबूत किया जाता है|

सिक्के फेंकने का वैज्ञानिक कारण

नदी में सिक्के फेंकने का वैज्ञानिक कारण इस मान्यता पर आधारित है कि पानी को जीवन का स्रोत माना जाता है । हम सभी जानते हैं कि पानी के बिना हम जीवित नहीं रह सकते । इसलिए, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि नदी का पानी साफ और शुद्ध रहे।

प्राचीन काल में तांबे के सिक्के प्रचलन में थे। तांबे को पानी को शुद्ध करने और उसे साफ करने के लिए सबसे अच्छी धातु माना जाता था। जब प्राचीन लोग नदी में तांबे के सिक्के फेंकते थे , जिससे तांबे के एंटीमाइक्रोबियल गुण पानी में मौजूद हानिकारक  बैक्टीरिया नष्ट हो जाते थे , जिससे पानी साफ और शुद्ध हो जाता था । यही कारण है कि आज भी लोग नदी में सिक्के फेंकना एक परंपरा के रूप में देखते हैं ।

सिक्का फेंकने की आज की स्थिति

हालांकि आज के सिक्के ज्यादातर मिश्रित धातुओं के बने होते हैं और उनमें तांबा बहुत कम मात्रा में होता है, फिर भी यह प्रथा जारी है। आजकल के सिक्कों में तांबे की मात्रा नगण्य होती है, जिससे उनका जल शुद्धिकरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

बावजूद इसके, लोग इस प्रथा का पालन धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के तहत करते हैं।आज की स्थिति में, सिक्का फेंकने की यह प्रथा धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का एक हिस्सा बन गई है। लोग इसे अपनी आस्था और विश्वास का प्रतीक मानते हैं।

चाहे वह नदी के तट पर पूजा हो, किसी विशेष अवसर पर सिक्का फेंकना हो या अपनी प्रार्थना को स्वीकार करवाने की आशा में सिक्का फेंकना हो, यह सब धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं से जुड़ा है।

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