भोपाल/नई दिल्ली। महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक के नये दांव चलकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सरकार बना ली है लेकिन बहुमत के आंकड़े को लेकर हर कोई सशंकित है। देवेंद्र फडनवीस और अजीत पवार ने मिलकर सरकार बनाई है। भाजपा के 105 विधायक है और उसे बहुमत साबित करने के लिये 145 विधायक यानि 40 विधायक और चाहिये। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के 54 विधायक है और पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने दावा किया है कि अजीत पवार का साथ दे रहे विधायकों की संख्या 10-11 तक सीमित है। देवेंद्र फडनवीस और अजीत पवार ने अभी तक यह नही बता पाये हैं कि उन्हें (एनसीपी) के कितने विधायकों का समर्थन प्राप्त है।
वहीं कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि अजीत पवार का एनसीपी छोड़ बीजेपी का पल्ला पकड़ने का कारण समझे? केन्द्र सरकार के सबसे ताकतवर हथियार ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स और बीजेपी पारस पत्थर है उसके छूने से भ्रष्ट भी ईमानदार हो जाता है! दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि एनसीपी के 54 में से 53 शरद पवार जी के साथ रहेंगे। अजीत पवार अकेले रह जाएंगे। शरद पवार के उत्तराधिकारी की समस्या भी हल हो गयी। बधाई सुप्रिया!!
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने फडनवीस 30 नवंबर तक बहुमत साबित करने को कहा है लेकिन इस अवधि को कम कराने के लिय विपक्ष ने सुप्रीम को का दरवाजा खटखटाया है और उसे भरोसा है कि कनार्टक की तरह यहां भी सफलता मिल सकती है जब सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा को 30 घंटे के भीतर बहुमत साबित करने का निर्देश दिया और वह नाकाम रहे थे।
शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है और ऐसे में सबकी निगाहें शरद पवार पर टिकी हैं जिनके लिये एक तीर से कई निशाने साधने का मौका है। एनसीपी के विधायकों को अपने पाले में रखकर अजीत पवार से छुटकारा पा सकते हैं अपनी बेटी सुप्रिया सूले की राह आसान कर सकते है। साथ ही भविष्य में वह भाजपा से महाराष्ट्र में आंकड़ों के खेल में बाजी मार सकते हैं।