विश्वविद्यालयों की स्वयत्तता पर सीधा हमला है 'आईयूएमएस व्यवस्था
विवि की गोपनीय भंग होने का रहेगा खतरा
ग्वालियर, न.सं.। राजभवन ने आनन-फानन में प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंधन प्रणाली(आईयूएमएस) लागू करने की तैयारी कर ली है और इस पर विश्वविद्यालयों ने काम करना भी शुरू कर दिया है। लेकिन इस व्यवस्था का विरोध भी शुरू हो गया है और कहीं न कहीं इसे विश्वविद्यालयों की स्वयत्तता पर सीधा हमला बताया जा रहा है। क्योंकि इस प्रणाली से विश्वविद्यालयों के छात्रों, कर्मचारियों एवं शिक्षकों का रिकार्ड एक विश्वविद्यालय के हाथ में आ जाएगा। जिससे गोयनीयता भंग भी हो सकती है। इसका सबसे बड़ा खामियाजा विश्वविद्यालयों में होने वाले शोध की गुणवत्ता पर पड़ेगा।
मूलत: यह व्यवस्था विश्वविद्यालयों की मूल अवधारणा के ही खिलाफ है। क्योंकि विश्वविद्यालय अपने आपमें एक स्वयत्त इकाई हैं। जहां पर सभी महत्वपूर्ण निर्णय कार्यपरिषद द्वारा लिए जाते हैं। विश्वविद्यालयों की कार्यपरिषद से बिना चर्चा किए हुए यह व्यवस्था लागू करना समझ से परे है। यह कहीं न कहीं केन्द्रीयकृत व्यवस्था को जन्म देने वाला कदम है। जबकि उच्च शिक्षा में विकेन्द्रीकरण पर जोर देकर उच्च शिक्षा में गुणवत्ता बहाल की जा सकती है। इससे पहले बिना पूरी तैयारी के सेमेस्टर सिस्टम लागू करने का खामियाजा प्रदेश पहले ही भुगत चुका है। कहीं इस व्यवस्था का भी सेमेस्टर सिस्टम की तरह हस्र न हो। राजभवन ने भले ही इस व्यवस्था को विश्वविद्यालयों पर थोपने के फरमान जारी कर दिए हों और दबाववश विवि इस पर काम भी कर रहे हैं लेकिन दबी जुबां से वह भी इसे गोपनीयता भंग करने वाला कदम बता रहे हैं।
क्या है आईयूएमएस
राजभवन प्रदेश के सभी 21 विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली को डिजिटल मोड, ऑटोमेशन में लाने के उद्देश्य से एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंधन प्रणाली लागू करने जा रहा है। प्रदेश के 24 लाख विद्यार्थियों का अकादमिक डाटा, विवि के कर्मचारी व प्राध्यापकों का रिकार्ड एक प्लेटफार्म पर एकत्रित होगा। विवि की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियां, परीक्षा नियंत्रण सिस्टम और अकाउंट भी इसके दायरे में आ जाएंगे। बताया जा रहा है यह जिम्मेदारी भोपाल के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि को सौंपने की तैयारी है। उक्त विवि के हाथों में ही प्रदेश के सभी विवि की कमान रहेगी।
गोपनीयता भंग होने की आशंका
बिना किसी सुनियोजित तैयारी के राजभवन द्वारा यह व्यवस्था लागू करना छात्रों, कर्मचारियों एवं शिक्षकों की गोपनीय दांव पर लगाना है। अगर आनन-फानन में इसे लागू किया जाता है तो आने वाले समय में हम सेमेस्टर सिस्टम की तरह इस व्यवस्था के दुष्परिणाम भी देखने के लिए साक्षी होंगे। यह व्यवस्था नई शिक्षा नीति के अनुरूप भी नहीं है। क्योंकि नई शिक्षा नीति में उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों को और अधिक स्वयत्तता देने की बात कही गई है। लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जो लोग इस निर्णय प्रक्रिया में शामिल हैं उन्हें शिक्षा एवं उच्च शिक्षा का कोई ज्ञान ही नहीं है और वह अन्य विभागों की तरह ही शिक्षा व्यवस्था को भी चलाना चाह रहे हैं। जिसके आने वाले समय में परिणाम बहुत ही घातक होंगे।
यह समस्याएं हो सकती हैं उत्पन्न
-विवि की व्यवस्था को केन्द्रीयकृत, सूचनाओं को एक ही जगह पर एकत्रित करने से डाटा हैंकिंग का खतरा रहेगा।
-आईयूएमएस को संचालित करने वाले विवि के हाथों हो जाएगी सभी विवि की कमान। इससे एकाधिकार की समस्या रहेगी।
-छात्र, कर्मचारी व शिक्षकों का रिकार्ड एक जगह पर रखने से गोपनीयता भंग होने का खतरा बना रहेगा।
-ग्रामीण अंचल में आज भी इंटरनेट की उपलब्धता नहीं है, ऐसे में विद्यार्थी कैसे जुड़ेंगे यह बड़ी समस्या रहेगी।
-आईयूएमएस राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मूल भावना के विपरीत है।
-छात्रों को यदि कोई समस्या है तो उसे सुलझाने के लिए उन्हें भोपाल के भी चक्कर लगाने पड़ सकते हैं।
इनका कहना है
आईयूएमएस व्यवस्था को लेकर कई दौर में प्रशिक्षण व बैठकें हो चुकी हैं। काफी हद तक इस विषय पर काम भी हो गया है। राजभवन एवं शासन के दिशा-निर्देश मिलने के बाद इस पर अमल करने पर विचार किया जाएगा।
-प्रो. संगीता शुक्ला, कुलपति, जीवाजी विश्वविद्यालय
व्यवस्था के संबंध में शासन व राजभवन के जो दिशा-निर्देश होंगे उस पर अमल किया जाएगा। हालांकि विवि स्तर पर इसे लेकर तैयारियां चल रहीं हैं।
-डॉ. यूएन शुक्ला, कुलसचिव, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन
इस दिशा में विश्वविद्यालय काम कर रहा है। इससे छात्रों को फायदा होगा। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए भी अब इसकी उपयोगिता सभी विश्वविद्यालयों के लिए आवश्यक हो जाएगी।
-प्रो. कपिलदेव मिश्रा, कुलपति, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर
यह व्यवस्था पूरी तरह से विश्वविद्यालयों की स्वयत्तता पर कुठाराघात है। किसी एक विश्वविद्यालय के हाथों पर लाखों छात्रों, कर्मचारी व शिक्षकों का रिकार्ड सौंपना खतरे से कम नहीं है। इससे गोपनीयता भंग होगी और आने वाले समय में इसके बुरे परिणाम भी सामने आएंगे। जब विवि परीक्षा, परिणाम, अंकसूचियां समय पर नहीं बना सकते तो एक विश्वविद्यालय प्रदेश के 21 विश्वविद्यालयों की व्यवस्था कैसे संभाल सकता है। राजभवन कहीं न कहीं शिक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ कर रहा है और इसका पूरे प्रदेश में हम विरोध कर रहे हैं। इस संबंध में ज्ञापन भी सौंपे गए हैं।
-नीलेश सोलंकी, प्रदेश मंत्री, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद