जमानत जब्त होती है फिर भी लड़ते हैं हर चुनाव
पार्षद से लेकर राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ चुके हैं आनंद सिंह, चाय बेचकर चलाते हैं परिवार
ग्वालियर/स्वदेश वेब डेस्क। आज के दौर में आमतौर पर ये माना जाता है कि चुनाव वही लड़ सकता है जिसके पास ढेर सारा पैसा हो। लेकिन ग्वालियर के एक साधारण व्यक्ति ने इस धारणा को ही बदल दिया है। इतना ही नहीं इन नेता जी को मालूम रहता है कि उनकी जमानत जब्त होगी उसके बाद भी ये 1994 से लगातार चुनाव लड़ रहे हैं और अब तक पार्षद से लेकर राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ चुके हैं ।
चाय की छोटी सी दुकान चलाने वाले आनंद सिंह कुशवाह की सोच बहुत बड़ी है। वे पार्षद, विधायक, सांसद, उप राष्ट्रपति या राष्ट्रपति बनकर देश और देशवासियों की सेवा करना चाहते हैं । ग्वालियर के तारागंज में समाधिया कॉलोनी के गेट के पास अपने घर के नीचे चाय की दुकान चलाने वाले आनंद सिंह कुशवाह "रामायणी" चुनावों के समय मीडिया की सुर्खियों में रहते हैं। चुनाव चाहें पार्षद का हो या राष्ट्रपति का आनंद सिंह को चुनाव लड़ना ही है। विशेष बात ये है कि आनंद को मालूम होता है कि जो चुनाव वे लड़ेंगे उसमें उनकी जमानत जप्त होना तय है फिर भी एक जुनूनी इंसान की तरह वे हर बार चुनाव लड़ते हैं। पिछले 24 वर्षों में लगभग सभी चुनाव लड़ चुके आनंद सिंह कुशवाह इस बार भी विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और उनका चुनाव चिन्ह है अलमारी।
50 वर्षीय आनंद सिंह कुशवाह चुनाव लड़ने के जुनून के पीछे छिपी कहानी को 1994 में हुए नगर निगम के चुनावों जुड़ी बताते हैं। वे बताते हैं कि इस चुनाव में नारायण सिंह कुशवाह और मैं दोनों एक ही वार्ड (तत्कालीन वार्ड 42 ) से प्रत्याशी थे। उस दौरान नारायण सिंह कुशवाह ने कुछ ऐसी बात कह दी थी जो उनके दिल में चुभ गई थी और तभी से वे हर चुनाव लड़ते हैं। हालाँकि वे क्या बात हुई ये नहीं बताते । आनंद सिंह कुशवाह अपने नाम के साथ उपनाम रामायणी लगाते हैं उसका कारण ये है कि वे रामचरित मानस का पाठ करते हैं। लोग दूर दूर से आकर उन्हें इसके लिए बुलाकर ले जाते है. इस क्षेत्र से जुड़े लोग उन्हें रामायणी कहकर बुलाते हैं। बड़ी बात ये है कि रामायण के पाठ से होने वाली आय को आनंद सिंह मंदिर निर्माण में लगा देते हैं। हनुमान जी के भक्त आनंद सिंह कुशवाह को ईश्वर पर भरोसा है। वे कहते हैं कि कभी न कभी तो उनकी किस्मत चमकेगी और वे चुनाव जीतेंगे। आनंद सिंह बड़े गर्व से कहते हैं कि उन्हें अधिकतम 1191 वोट मिल चुके हैं। (हि.स.)