ग्‍वालियर: ड्रायविंग टेस्ट लिए बिना ही जारी किए जा रहे हैं ड्रायविंग लाइसेंस, आज तक तैयार नहीं हो पाया ट्रैक…

Update: 2024-12-02 14:05 GMT

ग्वालियर, न.सं.। परिवहन विभाग द्वारा लोगों को वाहन चलाने के लिए जो ड्रायविंग लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं वह बिना ड्रायविंग टेस्ट के दिए जा रहे हैं। आपको वाहन चलाना आता हो या नहीं दलालों की सांठ-गांठ से यह लाइसेंस धडल्ले से जारी हो रहे हैं। वाहनों के ड्रायविंग टेस्ट के लिए ट्रेक भी बना हुआ है लेकिन वहां टेस्ट होते ही नहीं है।

पिछले दौर में यहां कई आरटीओ आए और चले गए, लेकिन ट्रैक पर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। विभाग द्वारा प्रतिदिन 100 से 125 लाइसेंस जारी हो रहे हैं।

परिवहन विभाग द्वारा वाहनों का रजिस्ट्रेशन और लर्निंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है। लेकिन दलालों और कर्मचारियों की सांठ-गांठ से यह सारा काम दलालों द्वारा किया जा रहा है। इन दलालों द्वारा 2500 रुपए में लर्निंग और परमानेंट लाइसेंस बनाकर दे दिया जाता है। जबकि इस लाइसेंस की मूल फीस लगभग लगभग 1600 रुपए है।

जीर्ण-शीर्ण हो चुका है ड्रायविंग टेस्ट का भवन:-

सिरोल परिवहन विभाग के पास ही लगभग डेढ़ करोड़ की लागत से ड्रायविंग टेस्ट का भवन और ट्रेक पिछले लगभग आठ वर्षों से बनकर तैयार हो चुका है। दलालों और कर्मचारियों के कारण इस ट्रेक पर वाहन चालकों के ड्रायविंग टेस्ट नहीं हो रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि अगर टे्रक पर ड्रायविंग टेस्ट का काम शुरू हो जाता है तो दलालों और कर्मचारियों को कमीशन का नुकसान होगा। इसके साथ ही टेस्ट के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को यहां बैठना होगा। वहीं भवन की देखरेख नहीं होने के कारण यह पूरा जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। पत्थर मार-मारकर खिड़की पर लगे कांचों को तोड़ दिया गया है। भवन के आसपास झाड़ियां भी उग आई हैं। धीरे-धीरे डामर की सड़क भी खराब होने लगी है।

बढ़ रहा है दुघर्टनाओं का खतरा:-

परिवहन द्वारा बिना टेस्ट लिए वाहनों के लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं। इसमें हो यह रहा है कि जिनको वाहन ठीक से चलाना नहीं आता है वह भी लाइसेंस ले रहे हैं और शहर की सड़कों पर वाहन दौड़ा रहे हैं। इससे शहर की सड़कों पर दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता जा रहा है। लेकिन परिवहन विभाग आंख मूंद कर बैठा हुआ है।

इनका कहना है:-

'भवन और ट्रेक की पूरी जानकारी मैंने जुटा ली है। संभवत: लाइसेंस देने से पहले यहीं पर वाहनों को चलवाया जाएगा। यह काम बहुत जल्द होगा।

विक्रम सिंह कंग, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी 

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