आलोक गृह निर्माण संस्था ने किए 600 करोड़ के भूखंड खुर्द-खुर्द

शर्तों का उल्लंघन होने पर जीडीए ने थमाया नोटिस

Update: 2020-06-05 06:21 GMT

ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं द्वारा भूखंडों को खुर्द-बुर्द कर बड़ी कॉलोनियां काटने के मामले प्रकाश में आते रहे हैं। ऐसा ही एक बड़ा मामला आलोक गृह निर्माण सहकारी संस्था का है, जिसने ग्राम मेहरा सिरोल में आवासीय योजना के तहत ग्वालियर विकास प्राधिकरण और नगर एवं ग्राम निवेश से अनुज्ञा ले ली। शर्तों के अनुसार इस क्षेत्र में ग्वालियर विकास प्राधिकरण की देखरेख में विकास कार्य होना थे, किंतु इन शर्तों का पूरी तरह उल्लंघन किया गया। जिसमें प्राधिकरण को सौपे जाने वाले 11.5 प्रतिशत भूखंड, जिसका कुल रकबा 12499 वर्ग मीटर होता है, का विक्रय/व्ययन अवैध रूप से कर दिया गया। यह भूखंड लगभग सवा लाख वर्ग फीट हैं, जिसकी बाजारू कीमत 600 करोड़ रुपए होगी। जीडीए के मुख कार्यपालन यंत्री ने इस मामले में संस्था को कारण बताओ नोटिस देते हुए जवाब-तलब किया है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्वालियर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी वीरेंद्र सिंह ने 5 मार्च 2020 को आलोक गृह निर्माण सहकारी संस्था के अध्यक्ष एवं अन्य को पत्र क्रमांक/ग्वा.वि.प्रा./ 20/1637 जारी करते हुए कारण बताओ सूचना भेजी है। जिसमें राज्य शासन, संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश व आवास एवं पर्यावरण विभाग के कई पत्रों का हवाला देते हुए लिखा है कि प्राधिकरण के सुपरविजन में ग्राम मेहरा सिरोल स्थित भूमियों पर विकास करने तथा प्राधिकरण को आर्थिक लाभ होने की शर्त पर अनापत्ति दी गई। परंतु आपके द्वारा न तो ग्वालियर विकास प्राधिकरण की देखरेख में कॉलोनी विकसित की गई न ही प्राधिकरण के आर्थिक लाभ हेतु आवास एवं पर्यावरण विभाग के पत्र क्रमांक एफ/68/ 2004/32/ दिनांक 11.3.05 में उल्लेखित 50 प्रतिशत से अधिक भूखंड ग्वालियर विकास प्राधिकरण को सौंपे गए। इस प्रकार आपके द्वारा प्राधिकरण को सौंपे जाने वाले 11.5 प्रतिशत भूखंड जिसका कुल रकबा 12499 वर्ग मीटर होता है, उसे प्राधिकरण को न सौंपकर स्वयं उसकी बिक्री/व्ययन अवैध रूप से कर दिया गया है।

जिससे प्राधिकरण को गंभीर आर्थिक क्षति हुई है। जो संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश के पत्र क्रमांक 1525/03386/नग्रानि/2008 ग्वालियर दिनांक 6.10. 2008 के द्वारा स्वीकृत अभिन्यास की कंडिका 2 का स्पष्ट उल्लंघन है। नोटिस में कहा गया है कि आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा ग्राम मेहरा सिरोल आवासीय योजना तथा अन्य इसी प्रकार की योजनाओं में प्राधिकरण द्वारा मप्र नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 तथा उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों में विकास योजना क्षेत्र अनापत्ति दी जाकर निजी विकास की अनुमति दी जाना प्रावधानिक नहीं होने से ऐसी समस्त अनुमतियां तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी गई थीं, किंतु आपकी संस्था से संबंधित विकास अनुमति निरस्त होने से शेष रह गई थी। अत: आप दो सप्ताह के भीतर कारण स्पष्ट करें कि क्यों न आपको दी गई अनुज्ञा निरस्त की जाए। पत्र में 11.5 प्रतिशत भूखंड रकवा 12499 वर्ग मीटर का बाजार मूल्य वसूलने की कार्रवाई की बात भी लिखी गई है। यहां बता दें कि जिस क्षेत्र में यह पॉश कॉलोनी विकसित की गई है, वहां का बाजार मूल्य 5 हजार रुपए वर्गफीट है। इस लिहाज से उक्त भूमि की कीमत लगभग 6 अरब रुपए होगी।

आलोक गृह निर्माण समिति को नोटिस दिए जाने के बाद संस्था की ओर से जवाब आ गया है, जिसमें व्यक्तिगत सुनवाई का आग्रह किया गया है। जिसपर आगामी कार्रवाई की जा रही है।

वीरेंद्र सिंह

मुख्य कार्यपालन अधिकारी जीडीए

आलोक निर्माण सहकारी संस्था की अनियमितता की जानकारी मिली है। किंतु उनको दी गई विकास अनुज्ञा जीडीए द्वारा निरस्त किए जाने के बाद ही हम कोई कार्यवाही कर सकते हैं।

-वीके शर्मा

मुख्य कार्यपालन अधिकारी नगर एवं ग्राम निवेश

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