विश्व एनीमिया जागरूकता दिवस : बच्चों को आयरन की कमी से 43 हजार से अधिक बच्चे एनीमिया की चपेट में
ग्वालियर। जिले को एनीमिया मुक्त बनाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाए जा रहे अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों पर नवजात बच्चों से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ्य की जांचे भी की जाती है। इसी के चलते जिले में वर्तमान में कुल 43 हजार 182 ऐसे बच्चे हैं, जो एनीमिया का शिकार हैं।
जिले में एनीमिया की बात करें तो तीन प्रकार के एनीमिया से बच्चे पीडि़त हैं। इसमें अल्प, मध्यम व गम्भीर शामिल हैं। अल्प एमीनिया की बात करें तो इससे पीडि़त बच्चों की संख्या 19 हजार 464 बच्चे अल्प एनीमिया से पीडि़त हैं, जिनमें 9 से 11 पाइंट खून है। इसी तरह 23 हजार 560 बच्चे मध्यम एनीमिया से पीडि़त है, जिनकी खून 7 से 9 पाइंट है। जबकि गम्भीर एनीमिया से पीडि़त बच्चों की संख्या 158 है, जिनमें खून 7 पाइंट से भी कम है। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. आर.के. गुप्ता का कहना है कि 7 ग्राम से नीचे खून वाले बच्चों को खून चढ़ाने की जरूरत भी पड़ती है। यह कैटेगरी सीवियर एनीमिया में आती है। उन्होंने यह भी बताया कि यह आंकड़ा छह माह पूर्व चले दस्तक अभियान में सामने आया था। इसलिए फिर से उक्त बच्चों की जांच करा कर उन्हें दवा वितरित की जा रही है। गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय बाल एवं शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अजय गौड़ ने बताया कि बच्चों में एनीमिया एक आम स्वास्थ्य समस्या है, जो पैष्टिक आहार न मिलने के कारण होता है। आयरन एक बेहद ही जरूरी मिनरल है, जो शरीर के विकास के लिए बेहद जरूरी है, किसी बच्चे में आयरन की कमी हो जाए तो वह एनीमिया का शिकार भी हो सकता है। इसलिए बेहतर खानपान से आयरन को प्राप्त किया जा सकता है।
उपचार के लिए आए अस्पताल तो निकला एनीमिया
विभागाध्यक्ष डॉ. गौड़ ने बताया कि कमलाराजा अस्पताल में प्रतिमाह 17 से 18 प्रतिशत बच्चे ऐसे आते हैं, जो उपचार तो किसी और बीमारी का लेने आए थे। लेकिन जब जांच कराई तो पता चला कि उन्हें एनीमिया है। उन्होंने बताया कि भारतीय बाल अकादमी द्वारा भी एनीमिया के प्रति जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। कार्यक्रम के माध्यम से अकादमी में शामिल देश भर के करीब 45 हजार चिकित्सकों द्वारा एमीमिया के प्रति माता-पिता को जागरूक किया जाएगा।
हरी सब्जियों का करें
गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि अम्बे का कहना है कि विटामिन सी से युक्त चीजें खाने से खून में आयरन को बांधे रखने में मदद मिलती है। इसलिए बच्चों को आंवला, संतरा, कीवी के अलावा हरी सब्जियों का सेवन कराना चाहिए। इसके अलावा गुण खिलाना चाहिए. गुण में पर्याप्त मात्रा में आयरन होता है। खाना बनाने के लिए लोहे की कढ़ाई या बर्तन का इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही गर्भवती महिलाओं को भी आयरन फोलिक एसिड की दवा का सेवन करना चाहिए, जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे और गर्भवती दोनों में आयरन की मात्रा ठीक बनी रहती है।
इससे बच सकते हैं एनीमिया की चपेट में आने से
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विनीत चतुर्वेदी ने बताया कि एनीमिया के लक्षण महसूस होने पर तुरंत किसी अच्छे चिकित्सक से परामर्श तो ले ही, लेकिन खानपान का विशेष ख्याल रखने की जरूरत भी होती है। अपने आहार में आयरन एवं प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें। जिससे शरीर में खून की कमी पूरी हो सके। इससे एनीमिया की चपेट में आने से बच सकते हैं।
क्या हैं आयरन की कमी के लक्षण
- थकान या कमजोरी होना
- जीभ में सूजन
- बच्चे की त्वचा, होंठ या हाथ पीले पडऩा
- शरीर के तापमान को बनाए रखने में कठिनाई