ग्वालियर। मध्य प्रदेश में राज्यसभा की 5 सीटों के लिए 27 फरवरी को चुनाव होने जा रहे हैं। आंकड़ो के हिसाब से भाजपा के 4 और कांग्रेस का एक सदस्य चुनाव जीतकर उच्च सदन (राज्यसभा ) का सदस्य बन जाएगा। कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार अशोक सिंह हैं, उनका चुना जाना भी तय है। सिंह को राज्यसभा सदस्य बनने के साथ ही अग्नि परीक्षा भी देनी पड़ेगी। मप्र में 5 सीटों के लिए हो रहे राज्यसभा सदस्यों के चुनाव के लिए भाजपा -कांग्रेस की ओर से राजनीतिक गलियारे में अनेक नाम चर्चाओं में थे।
भाजपा से जहां पूर्व सांसद जयभान सिंह पवैया, अजा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य , पूर्वमंत्री नरोत्तम मिश्रा, पूर्व मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया, रामपाल सिंह , केन्द्रीय राज्य मंत्री एल मुरुग्न जैसे नेताओं के नाम चर्चाओं में थे। भाजपा नेतृत्व ने जहां श्री मुरुग्न को एक और मौका दिया। वहीं अन्य तीन सीटों पर अनुमानों से अलग हटकर बंशीलाल गुर्जर, उमेश नाथ महाराज, माया नारोलिया को उम्मीदवार बनाकर विधानसभा चुनाव की तरह सभी को चौंका दिया। भाजपा ने दर असल लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपने उम्मीदवार तय कर सोशल इंजीनियरिंग अपनाई है। कांग्रेस की बात करें तो इस पार्टी में नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, सज्जन सिंह वर्मा, अरुण यादव, मीनाक्षी नटराजन के नाम राजनीतिक गलियारें में चर्चाओं में थे। कांग्रेस आलाकमान की पसंद भी मीनाक्षी नटराजन थीं। लेकिन मप्र की राजनीति में कांग्रेस के दोनों धुरंधर नेताओं कमलनाथ व दिग्विजय सिंह के मन में कुछ और ही चल रहा था। आखिर कांग्रेस आलाकमान ने चर्चाओं में चल रहे नामों से अलग हटकर ग्वालियर के कांग्रेस नेता अशोक सिंह को उम्मीदवार बनाकर सभी को चौंका दिया। श्री सिंह कांग्रेस की ओर से ग्वालियर लोकसभा सीट से 4 बार मैदान में उतरकर पराजित हो चुके हैं। वह कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष व कोषाध्यक्ष का दायित्व संभाल रहे हैं। श्री सिंह का परिवार कट्टर कांग्रेसी है। उनके दादा कक्का डोंगर सिंह स्वतत्रंता संग्राम सेनानी और गांधीवादी नेता रहे। वहीं पिताजी राजेन्द्र सिंह प्रदेश सरकार में मंत्री रहे थे और राज्यसभा सदस्य रहे हंसराज भारद्वाज के सांसद प्रतिनिधि भी रहे थे। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नजदीकी भी हैं।
सिंधिया विरोधी होने का मिला लाभ
कांग्रेस नेता अशोक सिंह के परिवार को राजनीति में सिंधिया परिवार का विरोधी माना जाता है। राजनीति में राजमाता से लेकर स्वर्गीय माधवराव सिंधिया और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस में रहते कभी अशोक सिंह परिवार की उनसे पटरी नहीं बैठी। यहां तक की सिंधिया विरोधी कांग्रेस नेताओं का जमावड़ा भी सिंह परिवार के यहां ही होता रहा है। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने के बाद अब इस अंचल में कांग्रेस कमजोर हुई है। नवंबर में संपन्न विधानसभा चुनाव में इसका परिणाम भी देखने को मिला और अंचल में 34 सीटों में से 18 सीटें जीतने में भाजपा सफल रही। अंचल में अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ अशोक सिंह को आने वाले दिनों में कांग्रेस की ओर से मोर्चा संभालना है।
सिंह की अब होगी परीक्षा
राज्यसभा की 5 सीटों के लिए चूंकि 5 ही नामांकन दाखिल हुए हैं, सो सभी 5 उम्मीदवरों का निर्विरोध चुना जाना तय है। कांग्रेस के एक मात्र उम्मीदवार अशोक सिंह हैं । मतदान की तिथि 27 फरवरी है और इसी दिन परिणाम भी घोषित हो जाएंगे। श्री सिंह के राज्यसभा सदस्य बनने के साथ ही जिम्मेदारी भी बढ़ जाएगी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोडो़ न्याय यात्रा 22 फरवरी को अंचल में आ रही है। लोकसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस का यह बडा़ आयोजन है। चुनाव की दृष्टि से यात्रा का अंचल में प्रभावी होना भी आवश्यक है। कांग्रेस इसकी तैयारी भी कर रहे हैं। इसकी सफलता भी अशोक सिंह के लिए पहली परीक्षा की घड़ी होगी। उसके बाद अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने हैं।अंचल में लोकसभा की 4 सीट हैं। भाजपा की ओर से केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अंचल में मोर्चा संभाल अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। कांग्रेस की ओर से अशोक सिंह को अपना प्रभाव दिखाते हुए अग्नि परीक्षा देनी हैं। विधानसभा चुनाव 2023 के मतदान के आंकड़ो के हिसाब से ग्वालियर -चंबल संभाग की ग्वालियर और मुरैना सीट पर कांग्रेस अच्छी स्थिति में थी और उसकी निगाह भी इन दोनों सीटों पर लगी है। फिलहाल राजनीतिक गलियारे में अटकलों और कयासों का दौर चल निकला है।