ग्वालियर, न.सं.। प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना वैसे तो देश के गरीब जरूरतमंद लोगों के स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद कल्याणकारी है। लेकिन जिम्मेदारों की अंदेखी व लापरवाही के कारण भेंट सरकार की यह योजना अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ती जा रही है। जिस कारण मरीजों को उपचार के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
दरअसल जिले में प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना का शुभारम्भ वर्ष 2018 में की गई थी। उक्त योजना के तहत जिले में कुल 68 छोटे-बड़े निजी व शासकीय अस्पताल ऐसे हैं, जहां आयुष्मान योजना के अंतर्गत मरीज भर्ती होकर उपचार करा सकते हैं। लेकिन अधिकांश अस्पतालों में आयुष्मान योजना के तहत उपचार दिया जाता है, इस तरह का कोई बोर्ड नहीं लगा हुआ है। इसी तरह अस्पतालों में आयुष्मान मित्र भी नहीं बैठते। जबकि नियम अनुसार अस्पतालों में आयुष्मान मित्र आश्यक रूप से मौजूद रहना चाहिए। आयुष्मान मित्र मरीज की भर्ती प्रक्रिया प्रक्रिया पूरी कराने से लेकर परिजनों को जानकारी भी उपलब्ध करता है। इसके अलावा कितनी बीमारियों का इलाज आयुष्मान योजना के तहत उपलब्ध है, इसकी जानकारी भी अस्पतालों में चस्पा नहीं है। ऐसे में जब निजी अस्पताल में नि:शुल्क अच्छे से अच्छा उपचार की उम्मीद लेकर पहुंच रहे मरीजों को लाखों रुपए अपनी जेब से, कर्ज लेकर, नाते रिश्तेदारों से मांगकर अस्पतालों में भरना पड़ रहे हैं।
रात में नहीं लिया कार्ड, सुबह जमा कराए पैसे
भिण्ड निवासी छोटू अपने 53 वर्षीय पिता शिवप्रताप सिंह को ह्दय संबंधित बीमारी के लिए एक निजी अस्पताल में पिछले दिनों रात करीब 11.30 बजे लेकर पहुंचे थे। छोटू का कहना है कि भर्ती के दौरान जब उन्होंने पिता का आयुष्मान कार्ड दिया तो बताया गया कि रात को स्टाफ नहीं रहता, इसलिए कार्ड सुबह जमा हो जाएगा। लेकिन जब वह सुबह दोबारा पहुंचे तो स्टाफ ने कार्ड जमा करने से इंकार कर दिया। जिस कारण उन्होंने बहन का कार्ड होने के बाद भी 50 हजार खर्च करने पड़े।
तीन अस्पतालों में भटके फिर भी जमा किए पैसे
कैलारस निवासी राजेश अपनी 39 वर्षीय बहन को ह्दय घात के चलते पिछले दिनों परिवार अस्पताल में लेकर पहुंचे थे, जहां उन्हें आयुष्मान कार्ड से उपचार की सुविधा न होने की बात कही गई। राजेश का कहना है कि परिवार अस्पताल से निकलने के बाद वह शहर के दो बड़े अस्पतालों में पहुंचे, लेकिन किसी ने भी उपचार नहीं किया। जिस कारण उन्हें अपनी बहन के उपचार के लिए 70 हजार खर्च करने पड़े।
केडीजे अस्पताल में खर्च हुए 50 हजार
शिवपुरी निवासी शिवदयाल बाथम सडक़ दुर्घटना में गम्भीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके उपचार के लिए वह बारादरी स्थित केडीजे अस्पताल में भर्ती हुए। शिवदयाल का कहना है कि पहले तो उनका उपचार आयुष्मान से किया गया। लेकिन जब कुछ दिनों बाद फिर स्वास्थ्य बिगड़ा और वह केडीजे में भर्ती हुए तो आयुष्मान से उपचार नहीं किया गया। जिस कारण उन्हें 50 हजार जमा करने पड़े। शिवदयाल का कहना है कि वह मजदूरी कर अपने घर का भरण-पोषण करता है। लेकिन उपचार के लिए उसने अपने रिस्तेदारों से कर्जा लेकर अस्पताल में जमा कराए।
पाच लाख तक मिलता है नि:शुल्क उपचार
आयुष्मान भारत योजना के तहत पंजीकृत अस्पतालों में लाभार्थी को कार्ड पर पांच लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा दी जाती है। योजना के तहत कोई भी अधिकृत अस्पताल किसी कार्ड धारकों को इलाज से मना नहीं कर सकते, लेकिन जिले में वस्तुस्थिति इसके ठीक उलट है। यहां कुछ चुनिंदा अस्पताल ही ऐसे हैं, जहां इलाज त्वरित मिल जाता है फिर कार्ड को अस्पताल संचालक प्रोसेस करते रहते हैं। जबकि अधिकांश अस्पतालों में लाभार्थी आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद पैसे देकर इलाज पा रहे हैं।
80 प्रतिशत ही हासिल हो सका लक्ष्य
जिले में कुल 8 लाख 24 लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाने का लक्षय है, लेकिन उक्त योजना को लागू किए पाच वर्ष से अधिक बीत चुका है और वर्तमान में कुल 6 लाख 60 हजार लोगों के ही कार्ड बने हैं। इस हिसाब से जिले में अभी तक सिर्फ 80 प्रतिशत ही लक्ष्य हासिल हो सका है।
भुगतान न होना भी बड़ा कारण
जिले में आयुष्मान योजना के तहत पंजीकृत कई अस्तपालों को शासन द्वारा आयुष्मान के मरीज का उपचार किए जाने के बाद भी सरकार द्वारा भुगतान नहीं किया जा रहा है। जिस कारण भी कई निजी अस्पताल संचालक इस योजना से किनारा कर रहे हैं।