ग्वालियर में अस्पतालों का बुरा हाल, जहां सेटिंग वहीं जांचे, मरीजों की कट रही जेब

नब्ज टटोना भूले चिकित्सक, मशीनों पर ज्यादा विश्वास

Update: 2023-07-10 01:30 GMT

ग्वालियर, न.सं.। आधुनिकता के इस दौर में चिकित्सक खुद पर कम, मशीनों पर ज्यादा विश्वास जता रहे हैं। एक समय था जब चिकित्सक नब्ज पकड़ते ही बीमारियों का पता लगा लेते थे और जांचें तभी करवाई जाती थी जब बहुत आवश्यक हो। लेकिन अब चिकित्सक नब्ज टटोना ही भूल गए हैं। चिकित्सक मरीज को देखते ही सबसे पहले जांचे लिख देते हैं और फिर बाद में शुरू शुरू होता है। वहीं जांचे भी उसी पैथोलॉजी पर कराई जाती है, जहां चिकित्सकों की सेटिंग होती है। अगर मरीज किसी दूसरी जगह से जांच करा भी ले तो उसे अमान्य कर दिया जाता है। उधर चिकित्सकों की कमीशनखोरी का खेल खुद पुलिस ने भी पकड़ता है।

कम्पू थाना पुलिस देर रात जब पुलिस गश्त पर थी। इसी दौरान जयारोग्य अस्पताल में पुलिस को एक युवक एक बैग लेकर जाता दिखा। पुलिस ने संदेह होने पर जब युवक को रोक कर उसके बैग को खंगाला तो उसके बैग में करीब 3 लाख 50 हजार रुपए थे, लेकिन ये रुपए अलग-अलग लिफाफों में बंद थे। साथ ही लिफाफों पर चिकित्सकों के नाम भी लिखे हुए थे, युवक ने खुद को सर्मथ पैथोलॉजी का कर्मचारी बताया और लिफाफों को चिकित्सकों को देने की बात पुलिस को बताई। जिसको लेकर स्पष्ट है कि चिकित्सकों की कमीशनखोरी खुले आम चल रही है। हालांकि इस मामले को पुलिस सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारी दबाने में लगे हुए हैं।

शासकीय से लेकर निजी चिकित्सक हैं कमीशनखोरी में शामिल

पकड़े गए युवक के बैग में शासकीय से लेकर निजी चिकित्सकों के लिफाफे पुलिस को मिले हैं। इतना ही नहीं लिफाफों पर शासकीय चिकित्सकों का नाम लिखा हुआ है, वह ट्रॉमा सहित अन्य विभागों में पदस्थ हैं। इसी तरह निजी चिकित्सकों की बात करें तो अधिकांश की क्लीनिकें हॉस्पीटल रोड़ पर ही हैं। जिसको लेकर स्पष्ट है कि जिम्मेदारों के नाक के नीचे ही शासकीय से लेकर निजी चिकित्सक जमकर कमीशनखोरी कर मरीजों के जेब काटने में लगे हुए हैं।

दूसरी लैब की रिपोर्ट नहीं करते मान्य

निजी पैथोलॉजी लैबों से कमीशन के चक्कर में चिकित्सक अन्य किसी लैब से कराई जांच रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर देते हैं। इसके लिए चिकित्सक मरीजों को रिपोर्ट क्रॉस चेक करने की दलील देते हैं, लेकिन इसके पीछे निजी लैबों के साथ साठगांठ के खेल में जेब मरीजों की कट रही है। जबकि जांच के बदले चिकित्सक को किसी भी तरह का इंसेटिव देने पर रोक लगी हुई है। उसके बाद भी यह कमीशन खोरी जमकर की जा रही है। मरीज जैसे ही चिकित्सक के पास जाता है, वह कई-कई जांच लिख देते हैं। इसके साथ ही अधिकतर चिकित्सक यह भी बताते हैं कि जांच करानी कहां से है। यदि दूसरे लैब से जांच कराई है, तो चिकित्सक उसे नहीं मानते हैं। मरीज कभी दूसरे चिकित्सक के पास जाता है, तो नये सिरे से सभी जांच कराई जाती हैं। इसका खामियाजा सीधे मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

कमीशन लेना देना अपराध, नहीं बनाना चाहिए दबाव

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.के. राजौरिया का कहना है कि चिकित्सकों द्वारा कमीशन लेना और पैथोलॉजी द्वारा कमीशन देना दोनो ही अपराध हैं। साथ ही मरीज पर चिंहित पैथोलॉजी पर जांच कराने के लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए। इसके लिए आदेश जारी किए जाएंगे और कमीशन बांटने के मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

आवश्यकता के अनुसार कराई जाती है जांचे: डॉ. गर्ग

गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के मेडिसिन रोग विशेषज्ञ डॉ. विजय गर्ग का कहना है कि मरीज को लक्षण के आधार पर उपचार दिया जाता है, लेकिन कई बीमारियों में मरीजों की जांचे कराना आवश्यक होती है। लेकिन शहर में कई ऐसी पैथोलॉजी संचालित हो रही हैं, जिनकी रिपोर्ट पर विश्वासन नहीं किया जा सकता। इसलिए कई बार क्रॉस चेक करने के लिए मरीज की दोबारा जांचे कराई जाती है। लेकिन मरीज पर किसी चिंहित पैथोलॉजी पर जांच कराने के लिए दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए। मरीज से सिर्फ यह कहा जाना चाहिए शहर की किसी अच्छी पैथोलॉजी पर जांच कराए।

चिकित्सकों द्वारा किसी चिंहित पैथोलॉजी पर जांच कराने के लिए दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए। साथ ही शासन के नियम अनुसार पैथोलॉजी पर जांच दरें भी फिक्स होने के साथ ही सूची चस्पा होनी चाहिए।

डॉ. के.पी. रंजन

प्राध्यापक माइक्रोबायोलॉजी विभाग

गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय

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