ग्वालियर, न.सं.। कोरोना महामारी की वजह से उद्योग-धंधे ठप पड़े हैं। निजी कंपनियां बंद होने से कई लोग अपनी नौकरी गंवाकर घर में बेरोजगार होकर बैठे हैं। ऐसे में आपकी जरा सी लापरवाही के चलते कोई आपकी जमा-पूंजी पर हाथ साफ कर दे तो इससे बुरा कुछ हो ही नहीं सकता। जालसाज आपके खाते से पैसा चुराने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। ये लोग इतने शातिर होते हैं कि आपको भनक भी नहीं लगती और आपके खाते से पैसे निकल जाते हैं। साइबर अपराध की इस तरह की बढ़ती घटनाओं ने पुलिस के लिए भी नई-नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। साइबर अपराध शाखा में हर रोज ठगी के नये-नये मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में कुछ मामले सुलझ जाते हैं लेकिन कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिन्हें सुलझाने में पुलिस को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है। ठगी के इन मामलों को हम नीचे के कुछ उदाहरणों से समझकर सावधान हो सकते हैं।
ग्वालियर निवासी रवि प्रताप को जरूरी काम से वायुयान से बाहर जाना था, लेकिन किसी कारणवश उनको अपना कार्यक्रम निरस्त करना पड़ा। वह किसी से सम्पर्क कर अपनी फ्लाइट का टिकट निरस्त कराने के लिए कहते हैं इससे पहले ही उनके पास अनजान युवक का फोन आ गया। युवक ने उनका टिकट निरस्त कराने के बहाने और पैसे वापस करने का झांसा देकर उनके खाते से एक लाख दो हजार से ज्यादा रुपए निकाल लिए। ठगी का पता उस समय चाल जब उनके मोबाइल पर मैसेज आया। रवि प्रताप ठगी का यह तरीका देखकर हैरान रह गए। वहीं कुशलपाल सिंह को अपने क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने का झंासा देकर शातिर ठग ने उनके वालेट खाते से आधा लाख रुपए से ज्यादा की रकम उड़ा दी। यह एक महज उदारहरण हैं लेकिन आज साइबर अपराधों में लगातार बढ़़ोतरी हो रही है। ठगी का शिकार सबसे ज्यादा वह लोग बन रहे हंै जो अपने खाते को विभिन्न साइटों से लिंक करा लेते हैं। जैसे ई-वॉलेट, गूगल पे, यूपीआई और नेटबैकिंग साइट है, जहां से पलभर में पैसा दूसरे के खाते में स्थानांरण किया जा सकता है। राज्य साइबर पुलिस के लिए नेटबैकिंग और आनलाइन ठगी के बढ़ते प्रकरण चुनौती बन गए हैं। काफी लम्बी और जटिल प्रक्रिया के बाद शिकायतकर्ताओं को उनकी खाते से उड़ाई गई रकम को राज्य साइबर पुलिस और उनकी टीम वापस कराने में सफल हो पाती है। आज सैकड़ों शिकायतों का निराकरण करने का प्रयास लगातार जारी है।
कोरोना काल में फेसबुक हैक के बढ़े मामले
कोरोना काल में शातिर ठगों ने लोगों को ठगने का नया तरीका निकाला। फेसबुक या वाट्सअप हैक करने के बाद उस पर पैसों की सख्त जरूरत है, इस प्रकार के मैसेज भेज कर लाखों रुपए की धोखाधड़ी की।
ठग ऐसे बनाते लोगों को शिकार
* फर्जी सिम इश्यू कराकर उसका इस्तेमाल करते हैं।
* पीयूएस आईडी बनाकर खाताधारक सिम इस्तेमाल की जाती है।
* फेसबुक पर विज्ञापन देखकर।
* क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने के नाम पर।
* एटीएम कार्ड की वैधता खत्म होने का झांसा देकर।
* सोशल मीडिया पर चोरी के सामान का विज्ञापन देकर।
* फ्लाइट टिकट निरस्त करने के नाम पर।
ठगी से बचने के उपाय:
१. क्रेडिट कार्ड से संबंध में सर्तकता बरतें
२. बैंक खाते से लिंक मोबाइल की जानकारी किसी को बताने से बचें
3. फोन पर बैंक कर्मचारी या अन्य कोई अधिकारी बनकर बात करने वालों पर विश्वास न करें।
4. दूरभाष पर अनजान व्यक्ति को क्रेडिट, डेबिट, एटीएम पिन, सीव्हीव्ही नम्बर आदि साझा न करें।
5. गूगल के माध्यम से कस्टूमर केयर नम्बर सर्च करने के लिए अधिकृत बेवसाइट ही चुनें।
6: ट्रांजेक्शन करते समय किसी भी रिमोट एक्सेस एप्प जैसे: व्यूअर/एनीडैक्स आदि को मोबाइल में इंस्टाल न करें।
प्रश्न: साइबर अपराध में सबसे बड़ी चुनौती?
सुधीर अग्रवाल: ठग को पकडऩे और उस तक पहुंच पाना ही सबसे बड़ी चुनौती होती है। ठग का कभी फोन बंद हो जाता है तो कभी ठग काफी दूरस्थ क्षेत्र से फोन करने के कारण ऐसे स्थान पर पुलिस भी जाने से कतराती है। सर्विस प्रोवाइडर कम्पनियां कभी सटीक पता बताती हैं तो कुछ कम्पनियांं इसमें सफल ही नहीं हो पातीं।
प्रश्न: ठगी से रोकने की क्या योजना है?
सुधीर अग्रवाल: लोग सचेत रहें, हम समय-समय पर सेमिनार करते हैं। कोरोना काल में भी ऑनलाइन सेमिनार किये गए। हमने फेसबुक और ईमेल आईडी भी बना रखी है, जिस पर शिकायत की जा सकती है। 20 प्रश्न की लिंक भी जिसे पढ़कर ठगी से बचा जा सकता है।
प्रश्न: आगे सख्त कानून की दरकार है?
सुधीर अग्रवाल: सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम में संसोधन की आवश्यकता है। प्रक्रिया चल रही है, मसौदा तैयार हो रहा है। हम लोगों से भी उच्च अधिकारियों ने राय ली है बिल पास होते ही कानून लागू होने लगेगा।