मधुमक्खी पालन बदल सकता है किसान का जीवन, जरूरत है सोच बदलने की

मधुमक्खी पालन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ;

Update: 2023-12-09 00:00 GMT

ग्वालियर,न.सं.। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर में लघु कृषक कृषि व्यापार संघ एवं कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा मधुमक्खी पालन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला एवं जागरूकता कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। जिसका उद्देश्य मधुमक्खी पालन कृषि आधारित व्यवसाय को बढ़ावा देना है।

उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में मधुमक्खी पालन में कर्नाटक के प्रगतिशील मधुमक्खी पालक डॉ. मधुकेश्वर हेगड़े ने अपने उद्बोधन में बताया कि वह किस प्रकार एक गरीब परिवार से उठकर एक प्रगतिशील उद्यमी बनें। जीवन में उन्हें कितनी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। उनके द्वारा शहद से बने उत्पाद हनी जैम, लेमन जिंजर हनी जूस, रॉयल जैली, तुलसी हनी, सुपारी हनी, जामुन हनी, हनी लिप बाम, हनी बीटरूट लिप बाम, हनी पॉलन, हनी सॉप आदि उत्पादों का प्रदर्शन कर किसानों को संबोधित किया। श्री हेगड़े द्वारा मधुमक्खी पालन हेतु 500 से ज्यादा कॉलोनियां बनाई गई है, जिनसे उनकी स्वयं की वर्षभर की आय 2 करोड़ 28 लाख रूपये है साथ ही वे 300 कर्मचारियों को रोजगार भी दे रहे है। हाल ही में भारत सरकार की परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा नेशनल मिलिनियर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जबलपुर अटारी जोन 9 के निदेशक डॉ. एस. आर. के. सिंह ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला से सभी युवा एवं किसान उत्कृष्ट व विकसित भारत के सपने में अपनी सहभागिता करें ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविन्द कुमार शुक्ला ने कहा कि हमने अपना जीवन केवल धान व गेंहू की फसल पर ही निर्भर कर लिया है। हमें विविधीकरण कर ऐसे पौधे लगाने चाहिए जिन पर मधुमक्खियां आकर परपरागण कर सके। हमें और आपको प्रकृतिपरक होने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम में निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. वाय.पी. सिंह, राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के रंजीत सिंह, अटारी जोन 9 के वैज्ञानिक डॉ. हरीश मंचासीन रहे। कार्यशाला में कुलसचिव अनिल सक्सेना, कृषि विज्ञान केन्द्र ग्वालियर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राज सिंह कुशवाह, लगभग 200 किसान प्रत्यक्ष रूप से व अन्य 1000 किसान ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। कार्यशाला का स्वागत भाषण कृषि वैज्ञानिक अरविन्द कौर, व संचालन वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रश्मि वाजपेयी ने किया। आभार कृषि वैज्ञानिक डॉ. अमिता शर्मा ने व्यक्त किया। 

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