पुस्तैनी काम छिना तो करने लगे बेलदारी, परिवार का कर रहे भरण-पोषण

रोजगार मांगने वालों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी

Update: 2020-08-29 01:00 GMT

ग्वालियर, न.सं.। कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण उद्योग जगत खतरे में आ गया था, लेकिन अब स्थिति काफी हद तक सुधर गई है। बाजारों में भी चहल-पहल देखने को मिल रही है। बानमौर, मालनपुर, महाराजपुरा एवं विक्की फैक्ट्री आदि क्षेत्रों में लगे सभी उद्योगों में उत्पादन शुरू हो गया है। एक समय उद्योगपतियों को मजदूर ढूंढने पर नहीं मिल रहे थे, मगर आज ग्वालियर में काम मांगने वाले मजदूरों की संख्या 100 प्रतिशत से अधिक हो गई है। इसमें 60 से 70 प्रतिशत संख्या गांव से वापस लौटे लोगों की है। अब स्थिति यह हो गई है कि सूरत में जो कारीगर हीरा तराशने का काम करते थे, वह आज शहर में बेलदारी तक कर रहे हंै। छोटे-छोटे काम के लिए कारखानों में प्रतिदिन 10 से 15 मजदूर काम मांगने आ रहे हैं। उद्योगपतियों की राय के अनुसार अगले वित्तीय वर्ष तक देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आने की उम्मीद है।

उल्लेखनीय है कि 22 मार्च को जनता कफ्र्यू और 24 मार्च से देश में संपूर्ण लॉकडाउन लग गया था, जिससे सभी गतिविधियां ठप हो गई थीं। लेकिन सरकार के विशेष प्रयासों और लोगों के जागरूक होने के कारण कारखानों व फैक्ट्रियों में कामकाज तो शुरू हो गया है। मांग कम होने के कारण उत्पादन भी तीव्र गति से नहीं हो पा रहा है और लोगों को भरपूर रोजगार नहीं मिल रहा है। अधिकतर मजदूर काम की तलाश में भटक रहे हैं। लोगों के पास अपना घर चलाने तक को पैसा नहीं है।

इसलिए नहीं मिल रहा काम

अपना घर-परिवार चलाने के लिए लोगों ने घर से बाहर निकलना तो शुरू कर दिया है। मगर रियल एस्टेट कमजोर होने, होटल व्यवसाय सुचारू रूप से नहीं चलने, निजी क्षेत्रों में वेतन का भुगतान नहीं होने, सिनेमा हॉल जैसे कई सेक्टर बंद होने के कारण लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। त्यौहारी और सहालगी सीजन नहीं होने के कारण बाजार भी सुस्त पड़े हुए हैं। यहां भी लोगों को भरपूर काम नहीं मिल पा रहा है।

इनका कहना है:

'लगभग सभी उद्योगों में कामकाज शुरू हो गया है। मांग कम होने के कारण भरपूर उत्पादन नहीं हो पा रहा है जिससे फैक्ट्री संचालक लोगों को रोजगार नहीं दे पा रहे हैं। सूरत में काम नहीं होने के कारण हीरा तराशने वाले तक बेलदारी करने को मजबूर हैं। अगले वित्तीय वर्ष तक देश की अर्थव्यवस्था में सुधार आ पाएगा।Ó

-आशीष वैश्य, सचिव, डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी औद्योगिक क्षेत्र

' फिलहाल गांवों में भी काम नहीं रहा है। यहां के 75 प्रतिशत लोग शहरों में काम पर लौट आए हैं। उद्योगपति भी सभी को रोजगार देने का प्रयास कर रहे हैं। दीपावली और सहालगी सीजन में ही बाजार में हलचल देखने को मिलेगी। 

-जगदीश मित्तल, सचिव, ग्वालियर इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन

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