अगर मेला संचालक मंडल का गठन हुआ तो ही हो सकेंगे बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम
नि:शुल्क कार्यक्रमों के लिए आवेदन आना शुरू;
ग्वालियर, न.सं.। ग्वालियर का व्यापार मेला ग्वालियर ही नहीं बल्कि संपूर्ण प्रदेश की शान है। मेले में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम इस मेले की खास पहचान भी हैं जिसका लोगों को वर्षभर इंतजार रहता है। लेकिन 2020 के बाद बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों का होना बंद हो गया है इसका मुख्य कारण मेले के संचालक मण्डल का गठन नहीं होना है। अगर इस वर्ष भी संचालक मण्डल का गठन नहीं होता है तो बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम होना मुश्किल है। बड़े कार्यक्रम नहीं होने से जहां शहरवासियों में मायूसी है वहीं बाहर से यहां आकर प्रस्तुति देने वाले कलाकार भी उदास हैं। वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में नि:शुल्क प्रस्तुति देने वालों ने आवेदन जमा करना भी भी शुरू कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि ग्वालियर व्यापार मेले में आयोजित होने वाले अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, अखिल भारतीय मुशायरा, बॉलीवुड नाइट और स्थानीय कवि सम्मेलन का ग्वालियर शहरवासी वर्ष भर इंतजार करते थे। सर्द रात्रि में दो-दो बजे तक लोग इन कार्यक्रमों का आनंद लेते थे। लेकिन 2020 के बाद से यह सब बंद हो गया है। इन सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए मेला प्राधिकरण द्वारा 40 से 42 लाख का अलग से बजट भी जारी किया जाता था, लेकिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के नहीं होने से यह पैसा मेला प्राधिकरण के बचत खाते में जा रहा है।
अब केवल नि:शुल्क प्रस्तुति होती हैं:-
वर्ष 2020 तक मेले में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रस्तुति देने वालों को कुछ न कुछ पारिश्रमिक भी दिया जाता था। इससे होता यह था कि दूर-दराज के लोग यहां अपनी प्रस्तुति देने के लिए आते थे। लेकिन जब से कलाकारों को पारिश्रमिक मिलना बंद हो गया है तब से बड़े कलाकारों का आना बंद हो गया है। अब यहां केवल स्थानीय स्तर के लोग यहां आकर नि:शुल्क रूप से अपनी प्रस्तुति देते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर खर्च होने वाले पैसे:-
- भजन संध्या पर 20 हजार रुपए।
- गजल नाईट पर 45 हजार रुपए।
- गायन पर 63 हजार रुपए।
- म्यूजिकल नाईट पर 70 हजार रुपए।
- राजस्थानी लोक नृत्य पर 60 हजार रुपए।
- वीर बुंदेला नाटक पर 55 हजार रुपए।
- शास्त्रीय गायन पर 60 हजार रुपए।
- रॉक बैण्ड पर एक लाख रुपए।
- अखिल भारतीय मुशायरा पर पांच लाख रुपए।
- एक शाम उम्मीद के नाम पर एक लाख रुपए।
- महाराष्ट्र लोक नृत्य पर 60 हजार रुपए।
- डेडीकेटेड एक्ट ऑन सेव इन्वायरमेंट पर दो लाख रुपए।
- गजल नाइट पर 70 हजार रुपए।
- सूफी डांस व कत्थक नृत्य पर 93 हजार रुपए।
- कथा एक कंस की नाटकों पर 65 हजार रुपए।
- स्टार नाईट पर 50 हजा रुपए।
- बॉलीवुड नाईट चार लाख रुपए।
- अखिल भारतीय कवि सम्मेलन पर छह लाख रुपए
- बाल नृत्य पर 65 हजार रुपए।
- मुशायरा 50 हजार रुपए।
- संगीत संध्या पर 1 लाख 10 हजार रुपए।
- बाल कलाकार अवार्ड पर 50 हजार रुपए।
- बाल महोत्सव पर 75 हजार रुपए।
- बॉडी बिल्डिंग चेम्पियनशिप 50 हजार रुपए।
इनका कहना है:-
‘बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम संचालक मण्डल द्वारा ही कराए जाते हैं। मण्डल गठन के बाद ही यह बड़े कार्यक्रम होंगे। पिछले कुछ वर्षों से हमारे द्वारा नि:शुल्क सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए जा रहे हैं।’
निरंजन श्रीवास्तव
सचिव, ग्वालियर व्यापार मेला