समीक्षा की घर वापिसी से बदलेंगे समीकरण

ग्वालियर के तीनों विधानसभा चुनावों में पार्टी को मिलेगा लाभ

Update: 2020-09-08 01:00 GMT

ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। पार्षद के बाद महापौर रहीं समीक्षा गुप्ता की 21 माह बाद भाजपा में हुई घर वापिसी भाजपा के लिए अच्छी खबर है। क्योंकि श्रीमती गुप्ता बेहद सक्रिय नेत्री हैं और आने वाले विधानसभा उप-चुनाव में ग्वालियर जिले की तीन विधानसभाओं में उनके आगमन का लाभ मिलेगा।

वर्ष 2005 में पहली बार पार्षद बनीं समीक्षा गुप्ता को यह ऐहसास भी नहीं रहा होगा कि वह भाजपा के लिए महापौर पद की दावेदार भी हो सकती हैं। किंतु वर्ष 2009 में जैसे ही ग्वालियर में महापौर पद पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित हुआ तो समीक्षा गुप्ता न सिर्फ भाजपा की पहली पसंद बनकर उभरीं बल्कि कांग्रेस की उमा सेंगर को परास्त कर महापौर बनीं। चूंकि उनके मन में विकास की ललकी थी इसलिए उनके कार्यकाल में ग्वालियर कई बड़े विकास कार्य हुए। जिसमें कटोराताल की थीम रोड उन्हीं की बदौलत है। यहां बता दें कि उनके ससुर नरेश गुप्ता भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और पांच बार पार्षद रह चुके हैं। उन्हीं की विरासत समीक्षा गुप्ता संभाल रहीं हैं। वर्ष 2018 के चुनाव के पहले समीक्षा गुप्ता की इच्छा भारतीय जनता पार्टी से ग्वालियर दक्षिण विधानसभा से टिकट की थी।

वहीं कहीं न कहीं वह वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के संपर्क में भी रहीं। जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली तो समर्थकों के दबाव में वे निर्दलीय चुनाव में उतरीं, जिसमें उन्हें 31 हजार से अधिक मत मिले। इतने मत किसी भी निर्दलीय प्रत्याशी को मिलना बड़ी बात है। इस हार के बाद उन्होंने राजनीतिक सक्रियता तो कम कर दी किंतु सामाजिक सरोकार से नाता जरूर रखा। जिसमें बेटी बचाओ ब्रांड एम्बेसडर के रूप में वह अक्सर मंचों पर दिखाई देती रहीं। इतना ही नहीं मां दुर्गा को अपने घर के परिसर में विराजित करने के बाद शहर के गणमान्यजनों को आमंत्रित करना उनकी सहृदयता किसी से छिपी नहीं है। श्रीमती गुप्ता का भाजपा में आना एक सुखद पहलू है। वहीं दूसरी ओर चंद मतों से पराजित हुए पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह और उनके समर्थकों को उनका आगमन कतई नहीं सुहा रहा, क्योंकि सिर्फ उन्हीं की वजह से एक सीट भाजपा के हाथों से चली गई।

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