सिंधिया स्कूल के स्थापना समारोह में शामिल हुए प्रधानमंत्री, कहा - दो वजहों से ग्वालियर से मेरा विशेष नाता है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शनिवार मध्य प्रदेश के ग्वालियर पहुंचे
ग्वालियर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शनिवार को ग्वालीरो द सिंधिया स्कूल के 125वें स्थापना समारोह में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने यहां छात्रों को संबोधित भी किया। प्रधानमंत्री मोदी आज शाम :30 बजे वायु सेवा के एयरपोर्ट पर उतरे और वहां कुछ मिनट रुकने के बाद 4:55 पर वायु सेवा के हेलीकॉप्टर से ग्वालियर के ऐतिहासिक किले पर स्थित सिंधिया स्कूल पहुंचे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा “हर बार ग्वालियर आना सुखद होता है. सिंधिया स्कूल के 125 वर्ष होने पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। आज आज़ाद हिंद सरकार का स्थापना दिवस भी है, मैं आप सभी को इसकी भी बधाई देता हूं। उन्होंने आगे कहा साल 2014 में जब देश ने मुझे प्रधानसेवक का दायित्व दिया तब मेरे पास 2 रास्ते थे- या तो सिर्फ तात्कालिक लाभ के लिए काम करें या दीर्घकालिक अप्रोच को अपनाए। आज हमारी सरकार को 10 साल हो रहे हैं और इस दौरान देश ने दीर्घकालिक प्लानिंग के साथ जो फैसले किए वह अभूतपूर्व है.”
दो वजहों से ग्वालियर से मेरा विशेष नाता भी है। एक तो मैं काशी का सांसद हूं और काशी की सेवा करने में, हमारी संस्कृति के संरक्षण में, सिंधिया परिवार की बहुत बड़ी भूमिका रही है। सिंधिया परिवार ने गंगा किनारे कितने ही घाट बनवाए हैं, BHU की स्थापना के लिए आर्थिक मदद की है।ग्वालियर से साथ मेरा एक दूसरा कनेक्ट भी है। हमारे ज्योतिरादित्य जी गुजरात के दामाद हैं। इस नाते भी ग्वालियर से मेरी रिश्तेदारी है।
प्रधानमंत्री ने कहा “मैं आप सभी का आभार व्यक्त करता हूं कि आपने मुझे यहां इस गौरवमयी इतिहास से जुड़ने का अवसर दिया. ये इतिहास सिंधिया स्कूल का भी है और इस ऐतिहासिक ग्वालियर शहर का भी है। ऋषि ग्वालिपा, संगीत सम्राट तानसेन, श्रीमंत महादजी सिंधिया जी, राजमाता विजयराजे जी, अटल जी और उस्ताद अमजद अली खां तक, ग्वालियर की ये धरती, पीढ़ियों को प्रेरित करने वालों का निर्माण करती रही है।"
उन्होंने कहा की दो वजहों से ग्वालियर से मेरा विशेष नाता भी है। एक तो मैं काशी का सांसद हूं और काशी की सेवा करने में, हमारी संस्कृति के संरक्षण में, सिंधिया परिवार की बहुत बड़ी भूमिका रही है। सिंधिया परिवार ने गंगा किनारे कितने ही घाट बनवाए हैं, बीएचयू की स्थापना के लिए आर्थिक मदद की है।. दूसरा कनेक्ट ग्वालियर से ये हैं की ज्योतिरादित्य गुजरात के दामाद हैं। इस नाते भी ग्वालियर से मेरी रिश्तेदारी है।
उन्होंने कहा महाराजा माधो राव सिंधिया प्रथमजी की भी सोच तात्कालिक लाभ की नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को उज्जवल बनाने की थी। सिंधिया स्कूल उनकी इसी दूरगामी सोच का परिणाम था, वो जानते थे कि मानव संसाधन की ताकत क्या होती है। बहुत कम लोगों को पता होगा कि माधो राव जी ने जिस भारतीय परिवहन कंपनी की स्थापना की थी, वो आज भी दिल्ली में डीटीसी के रूप में चल रही है।