थाटीपुर पुनर्घनत्वीकरण योजना: साढ़े तीन सौ पेड़ों को शिफ्ट करना चुनौतीपूर्ण काम
चम्बल कॉलोनी और उसके आसपास पर्यावरण होगा प्रदूषित
ग्वालियर, न.सं.। थाटीपुर पुनर्घनत्वीकरण योजना के तहत चम्बल कॉलोनी में साढ़े तीन सौ विशाल पेड़ों पर काटने की तलवार लटकी हुई है। हाउसिंग बोर्ड द्वारा योजना के तहत यहां पर निर्माण कार्य कराया जाना है। कुछ बंगलों और शासकीय क्वाटरों की तुड़ाई हो चुकी है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी संख्या में हरे भरे विशालकाय पेड़ों को काटने के बाद हाउसिंग बोर्ड शिफ्ट कर उनको पुन: जीवन दे पायेगा।
5 जून को पूरे विश्व में पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा। बुरी तरह प्रदूषित हो चुके वातावरण को शुद्ध करने में पर्यावरण की महत्ता भूमिका रहती है। लेकिन हमारे ग्वालियर शहर में बहुत जल्दी ही बहुमंजिला इमारतें, आलीशान कॉमलेक्स और सरकारी कर्मचारियों के लिए क्वाटरों का निर्माण चम्बल कॉलोनी में होने जा रहा है। हाउसिंग बोर्ड द्वारा थाटीपुर पुनर्घनत्वीकरण योजना के तहत हो रहे निर्माण में साढ़े तीन सौ विशाल पेड़ों की शिफ्ट किया जाएगा। बता दें चम्बल कॉलोनी थाटीपुर में कुल 30 हेक्टेयर में पांच हजार के करीब पेड़ लगे हुए हैं। लेकिन निर्माण कार्य सिर्फ 13 हेक्टेयर पर किया जाना प्रस्तावित है जिस पर साढ़े तीन सौ पेड़ लगे हुए हैं। इतनी बड़ी संख्या में विशाल पेड़ों को हटाया जाएगा तो पर्यावरण का प्रदूषित होना तय है। जो पेड़ों को शिफ्ट किया जाएगा उनका जीवन भी बच पाना काफी चुनौतीपूर्ण काम होगा। हाउसिंग बोर्ड पेड़ों का जीवन बचाने को लेकर कतई गंभीर नहीं है तभी तो उसने योजना में पेड़ों का जिक्र तक नहीं किया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में याचिका के बाद हाउसिंग बोर्ड ने अपना जबाव प्रस्तुत किया और पुराने पेड़ों को शिफ्ट करने की बात कही। थाटीपुर के आपसस बनी चम्बल कॉलोनी, दर्पण कॉलोनी में आज से दो दशक पहले तक बड़ी बड़ी झाडिय़ां और कई विशाल पेड़ों के झुंड थे जो कटाई की भेंट चढ़ चुके हैं। अब जो पेड़ बचे थे जिनसे पर्यावरण और पक्षियों को आसरा मिलता था वह भी छिनने जा रहा है। वर्तमान में शहर का एयर क्वालिटी इनडेक्स 282 के करीब है। जो जहरीली हवा का संकेत हैं जब शहर के बीचो बीच इतनी बड़ी संख्या में लगे विशाल पेड़ों को शिफ्ट किया जाएगा तो हवा पर अवश्य ही प्रभाव पड़ेगा। सवाल यह भी शिफ्ट किए जाने वाले पेड़ पुन: जिंदा रह पाएंगे भी की नहीं और उन्हें कहां शिफ्ट किया जाएगा यह अभी तक तय नहीं हो पाया है। थाटीपुर क्षेत्र का पर्यावरण संतुलन नीम, शीशम, गूलर, आम, पीपल आदि विशाल पेड़ों के कारण बचा हुआ है लेकिन उसको भी अब ग्रहण लगने वाला है। पर्यावरण प्रेमियों ने पेड़ों को कटाने का विरोध करते हुए प्रदर्शन किए थे तब कहीं जाकर पेड़ों को जीवन मिलने की आस है।
बिडंवना: जयारोग्य चिकित्सालय परिसर से काटे वृक्ष बन गए ठूंठ
जयारोग्य चिकित्सालय परिसर में सौ बिस्तर के चिकित्सालय का निर्माण किया गया है। यहां पर लगे सैकड़ों पेड़ों को काटकर पत्रकार कॉलोनी व जिलाधीश कार्यालय बिजलीघर के पास पेड़ों को शिफ्ट कर रोपा गया। आज पेड़ ठूंठ नजर आ रहे हैं देखरेख के अभाव में पेड़ सूख चुके हैं।
एक नजर में पुनर्घनत्वीकरण।
* 30 हेक्टयर में 5 हजार पेड़ ।
* 13 हेक्टेयर में लगे 1080 पेड़ों में से 79 काटे जाएंगे।
* 350 पेड़ों को शिफ्ट किया जाएगा।
* 17 हेक्टेयर में जो पेड़ बचेंगे उनकी वन विभाग व हाउसिंग बोर्ड करेगा देखभाल।
* 10 गुना नए पौधे लगाने होंगे जो साढ़े तीन हजार होते हैं
* निर्माण से पहले हाउसिंग बोर्ड को संबंधित विभागों से एनओसी लेनी होगी।
* प्रोजेक्ट को पूरा करने की जो समय सीमा निर्धारित है उस समय सीमा में ही पूर्ण किया जाए।
प्रक्रिया में है अभी टेंडर -
पेड़ो को शिफ्ट करने के लिए टेंडर डालने की प्रक्रिया की जा रही है। जल्दी ही वह स्थान का चुनाव हो जाएगा जहां पर पेड़ों को शिफ्ट किया जाएगा। यह कहना है हाउसिग बोर्ड के डिप्टी कमिश्नर एसके सुमन का। सुमन ने कहा कि जो पेड़ शिफ्ट किए जाएंगे सभी को जिंद बचाया जाएगा।