ग्वालियर, न.सं.। कमलाराजा अस्पताल में एक बच्चे की मौत पर परिजनों ने हंगामा कर दिया। परिजनों का आरोप था कि चिकित्सकों की लापरवाही से बच्चे की मृत्यु हुई और फिर शव देने से इंकार कर दिया गया। वहीं चिकित्सकों का कहना था कि बच्चे के उपचार में कोई लापरवाही नहीं बरती गई, परिजनों ने उसके साथ अभद्रता की है। उधर हंगामे की सूचना मिलते ही अस्पताल अधीक्षक भी मौके पर पहुंच गए और समझा बुझा कर मामले को शांत कराया गया।
डबरा स्थित लधेरा गांव निवासी श्वेता पत्नी ग्याप्रसाद शर्मा को प्रसव पीड़ा के चलते कमलाराजा अस्पताल में 24 अक्टूबर को भर्ती कराया गया था। जहां ऑपरेशन से श्वेता ने एक बच्चे को जन्म दिया। लेकिन जन्मे बच्चे में हलचल न देख उसे कृतिम सांस देने के लिए तत्काल एसएनसीय ू(विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई) में भर्ती कराया गया।
साथ ही बच्चे की स्थिति से परिजनों को भी बताई गई। लेकिन उपचार के दौरान बुधवार को बच्चे की मौत हो गई। जिसको लेकर परिजनों ने उपचार में लापरवाही के आरोप लगाते हुए हंगामा खड़ा कर दिया। इतना ही नहीं परिजनों के साथ आए गुना में पदस्थ एएसआई देवेन्द्र शर्मा ने ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सकों व सुरक्षाकर्मियों के साथ अभद्रता करते हुए झूमाझटकी कर दी। उधर हंगामे की सूचना मिलते ही बाल एवं शिशुरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अजय गौड़ व जयारोग्य अधीक्षक डॉ. आर.के.एस. धाकड़ मौके पर पहुंच गए। जिसके बाद मामला शांत हुआ और परिजन बच्चे का शव लेकर चले गए।
निलंबन की बात सुनते ही शांत हुआ हंगामा
बच्चों के परिजनों के साथ आए गुना में पदस्थ एएसआई देवेन्द्र शर्मा को जब अस्पताल अधीक्षक डॉ. धाकड़ ने शांत कराने का प्रयास किया तो वह सुनने को तैयार नहीं था। इस पर डॉ. धाकड़ ने जूनियर चिकित्सकों से थाने में एएसआई के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की बात कराने की बात कही। साथ ही यह भी कहा कि आईजी व पुलिस अधीक्षक से बात कर निलंबित कराया जाएगा। जिसके बाद एएसआई शांत हुआ और कुछ देर बाद नवजात का शव लेकर चला गया।
चिकित्सकों ने जताया विरोध
घटना के बाद गुस्साए जूनियर चिकित्सकों ने गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता से विरोध दर्ज कराया है। जूडा अध्यक्ष डॉ. हिमांशु गौड़ का कहना है कि आए दिन अस्पताल में विवाद होता है। कई बार सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम की मांग की गई, लेकिन आज दिन तक यहां पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हो सके। नवजात की हालत पहले से ही नाजुक थी, उसे बेहतर उपचार भी दिया गया। उसके बाद भी चिकित्सकों के साथ झूमाझटकी करना कहां तक उचित है। उन्होंने महाविद्यालय प्रबंधन से हंगामा करने वालों के खिलाफ थाना में शिकायत दर्ज कराने की मांग की है।
बच्चे के शव को देने से कर रहे थे मना
बच्चे के परिजनों के साथ आए देवेन्द्र शर्मा का कहना है कि बच्चा जब पैदा हुआ तो उसके आधा घंटे बाद रोया। इसलिए उसे एसएनसीयू में भर्ती किया। हमे कल से बताया गया कि बच्चे को कोई समस्या नहीं है। दवाईयां भी हमसे मंगवाई गई, लेकिन अचानक से बुधवार सुबह हमे बताया गया कि बच्चे की मौत हो गई। हम 24 घंटे अस्पताल में ही थे, कल चिकित्सक भी नहीं थे। बच्चे की मौत लापरवाही से हुई है। हमने जब उपचार की जानकारी लेनी चाही तो उल्टा हमारे साथ अभद्र व्यवहार करते हुए बच्चे के शव को देने से इंकार कर दिया गया।