हेरिटेज ट्रेन के मार्ग को लेकर फिर हुआ मंथन, अब मोतीमहल और बैजाताल के मार्ग पर चर्चा
जिलाधीश व निगमायुक्त ने रेलवे अधिकारियों के साथ किया लोको शेड का निरीक्षण
ग्वालियर,न.सं.। ग्वालियर से मोतीझल होते हुए बानमौर तक नैरोगेज ट्रेन को हैरीटेज ट्रेन के रूप में चलाने जिला प्रशासन ने रेलवे अधिकारियों के साथ मार्ग को लेकर एक बार फिर मंथन किया, लेकिन हर बार की तरह सिर्फ निरीक्षण का मुआयना ही हुआ। शुक्रवार को जिलाधीश अक्षय कुमार सिंह व निगमायुक्त किशोर कान्याल ने रेलवे के डीसीएमई एके राणा एवं कंस्ट्रेक्शन इंजीनियर के साथ लोको शैड का निरीक्षण कर हैरीटेज ट्रेन की संभावनाओं को लेकर मंथन किया। निगमायुक्त कान्याल ने इस दौरान रेलवे अधिकारियों से कहा कि क्या हैरीटेज ट्रेन मोतीमहल और बैजाताल होकर जा सकती है, हालांकि रेल अधिकारियों ने इसे लेकर कोई संतोषजनक जबाव नहीं दिया।
यहां बता दे कि भाजपा जिला उपाध्यक्ष सुधीर गुप्ता ने महाप्रबंधक सतीश कुमार से हैरीटे्रन को चलाने की बात कही थी, जिसके बाद से इस ट्रेन को कहां पर और कैसे चलाया जाए इस पर मंथन चल रहा है, लेकिन अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका। इससे पहले भी रेलव अधिकारी बानमौर स्टेशन के आस-पास निरीक्षण कर चुके है। महानगर में रियासत कालीन नैरोगेज ट्रेन की विरासत को हेरिटेज टूरिस्ट ट्रेन के रूप में सहेजने के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक वर्ष पहले रेल मंत्री को पत्र लिखा था।जिसमें मांग की थी कि इस ऐतिहासिक ट्रेन के जरिए पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है।
अभी मार्ग पर तीन स्टेशन हैं
ग्वालियर से मोतीझील तक ग्वालियर, घोसीपुरा और मोतीझील स्टेशन हैं। यहां नैरोगेज ट्रैक बिछा हुआ है।
116 साल पुरानी विरासत को बचाने की कवायद
शहर में नैरोगेज ट्रेन 1905 में शुरू हुई थी। तब ग्वालियर से कंपू कोठी और मुरार, के बीच चलती थी। तत्कालीन शासक माधौराव सिंधिया ने लाइट नैरोगेज ट्रेन चलाई थी। यह लश्कर, मुरार और हजीरा तीनों उपनगरों को ग्वालियर से जोडऩे वाली इस ट्रेन को बाद में श्योपुर तक चलाया गया था। अब 116 साल पुरानी विरासत को बचाने के लिए रेलवे ने पहल की है।
नैरोगेज ट्रेन एक नजर
- सिंधिया रियासत काल में शुरू हुई नैरोगेज ट्रेन ग्वालियर से श्योपुर के बीच दो साल पहले बंद हो चुकी है।
- यह ट्रेन इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर नहीं रहेगी, बल्कि नैरोगेज को हैरिटेज लुक में सिटी ट्रेन के तौर पर 8 किमी दायरे में चलाया जाएगा।
- तत्कालीन महाराजा माधोराव सिंधिया ने 1893 में सिंधिया स्टेट रेलवे की स्थापना की थी।
- इसके बाद ग्वालियर शहर में नैरोगेज ट्रेन 1905 में शुरू हुई थी।
- अब 116 साल पुरानी विरासत को बचाने के लिए पहल की जा रही है।
- ग्वालियर से कंपू कोठी और मुरार के बीच यह ट्रेन चलाई गई थी।
- तत्कालीन शासक माधौराव सिंधिया ने लाइट नैरोगेज ट्रेन चलाई थी।
- यह ट्रेन लश्कर, मुरार और हजीरा तीनों उपनगरों को ग्वालियर से जोड़ती थी बाद में इसे श्योपुर तक बढ़ा दिया गया था।