जब भी देश में कोई विषम परिस्थिति उत्पन्न होती है,उसका सबसे बड़ा प्रभाव कलाओं पर पड़ता है

आरएमटी संगीत एवं कला विश्विद्यालय में ऑनलाइन सेमिनार का हुआ समापन

Update: 2020-05-17 02:39 GMT

ग्वालियर।  नृत्य गीत की विरासत बहुत बड़ी है। पूरे विश्व में मैंने कला का ऐसा स्वरूप नहीं देखा जो हमारे देश में है। हमारा देश कलाओं से परिपूर्ण है, जब भी देश में कोई विषम परिस्थिति उत्पन्न होती है,उसका सबसे बड़ा प्रभाव कलाओं पर पड़ता है, चाहे वह देश के विभाजन के समय हुआ हो या फिर अब कोरोना काल
 जब भी देश में कोई विषम परिस्थिति उत्पन्न होती है,उसका सबसे बड़ा प्रभाव कलाओं पर पड़ता है, चाहे वह देश के विभाजन के समय हुआ हो या फिर अब कोरोना काल 

में परंतु फिर भी कलाकार कलाओं को अपने अंदर जीवित रखते हैं और उसे आगे तक लेकर जाते हैं। यह शब्द जयपुर घराने के विशेषज्ञ एवं एस .एन .ए अवोडी गुरु  राजेंद्र गंगानी ने राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय" के कथक नृत्य विभाग द्वारा आयोजित ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कत्थक सेमिनार में कही।   

आरएमटी संगीत एवं कला विश्विद्यालय के कत्थक विभाग द्वारा ऑनलाइन सेमीनार का आयोजन किया जा रहा था। जिसका समापन  शनिवार को हुआ। सेमीनार के अंतिम दिन दो च्ररणो में व्याख्यान का आयोजन हुआ। पहले चरण में डॉक्टर पूर्णिमा पांडे अध्यक्ष संगीत नाटक अकेदमी लखनऊ  ने व्याख्यान दिया।  जिसमें उन्होंने कत्थक में शिक्षढ और शिक्षार्थी विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए, प्रशिक्षण और शिक्षार्थी का संबंध महत्वपूर्ण है उन्होंने बताया हमारे यहां गुरु को माता पिता के समान माना गया है। परंतु आज के वातावरण में गुरु और शिक्षार्थी का संबंध पहले की भांति नहीं रहा, उन्होंने कहा दोनों के संबंध में शुद्धता होनी चाहिए कला में समर्पण का भाव बना रहना चाहिए उनके अनुसार कथा के द्वारा नृत्य कार को जो मोक्ष की अनुभूति होती है वह उसे कला में समर्पण के द्वारा ही प्राप्त होगी

इसके बाद दूसरे चरण में राजेंद्र गंगानी ने क्या हमारी नृत्य संगीत विरासत पर कोई विपरीत परिस्थितियों का प्रभाव पड़ता है? विषय पर व्याख्यान दिया।  सेमिनार के समापन अवसर पंडित बिरजू महाराज ने कार्यक्रम की संयोजिका डॉ अंजना झा को सेमिनार के आयोजन के लिए बधाई एवं आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा की वह इस कला के लिए एवं इस कला से जुड़े हुए युवाओं के लिए बहुत अच्छा काम कर रही हैं।

सेमिनार के अंत में कथक विभाग की एचओडी डॉ अंजना झा ने  मुख्य अतिथि डॉक्टर पूर्णिमा पांडे एवं गुरु पंडित राजेंद्र गंगानी, रा.मा.तो.स.क.वि.वि के मान. कुलपति  पंकज रागज सहित सेमीनार में भाग लेने वाले देश ,विदेश के शिक्षको ,कलाकारो ,छात्र छात्राओ का आभार व्यक्त किया।


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