एमआईसी के बजट पर कांग्रेस पार्षदों ने लगाई आपत्तियां, भाजपा पार्षदों बताए गुण
ग्वालियर,न.सं.। बीते मंगलवार को महापौर डॉ.शोभा सिकरवार द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए प्रस्तुत किए गए बजट पर कांग्रेसी पार्षदों ने आपत्ति दर्ज कराई है। जबकि भाजपा पार्षदों में से किसी ने भी अभी तक कोई भी आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। हांलाकि गुरुवार को भाजपा पार्षदों को संशोधन के बारे में बताया गया है कि किस तरह से आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है। गुरुवार को परिषद कार्यालय में बजट संशोधन के लिए दो कांग्रेसी पार्षदों ने आपत्ति दर्ज कराई है। जिसमें वार्ड 8 के पार्षद मनोज राजपूत ने चार बिंदुओं में संशेधन के लिए पत्र लिखा है। बजट में पार्षदों की मौलिक निधि 19 करोड़ 80 लाख बताई गई है। ऐसे में एक पार्षद पर सालाना 30 लाख रूपए की मौलिक निधि देने का अधिकार होगा। उन्होनें पार्षदों की 60 लाख रूपए सालाना मौलिक निधि बढ़ाने, विज्ञापन एवं प्रचार प्रसार पर 9 करोड़ तीन लाख की राशि के प्रस्ताव को खत्म करने व वाहन और यात्रा पर 28 करोड़ 26 के प्रस्ताव में से यात्रा को हटाने के लिए पत्र लिखा है। वहीं पार्षद अंकित कठट्ल ने भी एक बिंदु पर पत्र लिखा है।
यहां बता दे कि 21 मार्च को महापौर डॉ.शोभा सिकरवार द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बजट प्रस्तुत किया गया था। जिसमें बताया गया कि निगमायुक्त किशोर कान्याल ने 16.53 अरब आय बताकर 16.32 अरब व्यय का प्रस्ताव में 7.14 लाख का लाभ दिखाते हुए मेयर इन काउंसिल (एमआईसी) के सामने प्रस्ताव भेजा था, जिसके बाद एमआईसी ने नगर निगम के सभी विभागों के वित्तीय आय- व्यय की स्थिति का आकंलन कर चालू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए कुल बजट पूंजीगत तथा राजस्व मद में कुल 21,28,08,31,000/-(इक्कीस अरब अठ्ठाइस करोड़ आठ लाख इक्तीस हजार)आय पर 21,07,45,27,000 (इक्कीस अरब सात करोड़ पैंतालीस लाख सत्ताइस हजार) व्यय का प्रस्ताव तैयार किया। जिसमें स्वयं के स्त्रोतों से आय का 5 प्रतिशत 20,60,02,850 (बीस करोड़ साठ लाख दो हाजर आठ सौ पचास रूपये ) संचित निधि में रखने का प्रावधान कर शुद्ध लाभ 3,01,150/- (तीन लाख एक हजार एक सौ पचार रूपये) आधिक्य (लाख) का बजट प्रस्तुत किया गया। महापौर द्वारा प्रस्तुत बजट प्रस्ताव में आर्धिक रियायतें महापौर-पार्षद व मनोनीत पार्षदों को स्वैच्छिक अधिकार हेतु राशि 2.78 (दो करोड़ अठहत्तर लाख) का प्रावधान रखा है, लेकिन इसमें परिषद के सभापति को रियायतें देने वाले नाम का उल्लेख नहीं किया गया है। जिसके चलते संशोधन सत्र में बहस तय मानी जा रही है।