कांग्रेस में नहीं मजबूत चेहरे, दलबदलुओं पर भरोसा
आधा दर्जन सीटों पर लाए दूसरों दलों से नेता
ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। कांग्रेस द्वारा डेढ़ साल में अपनी सरकार के रहते जो कार्य किए गए उसका खाका तैयार करने की बजाय उनके द्वारा दूसरे दलों के नेताओं को तोड़कर कांग्रेस में लाया जा रहा है। इससे ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के पास भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ लड़ाने को मजबूत चेहरों की कमी है। अब तक आधा दर्जन से अधिकारी ऐसी विधानसभाएं हैं जिनके लिए कांग्रेस ने आयातित चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी कर ली है। जिससे उसके मूल कार्यकर्ता और नेताओं में कहीं न कहीं आक्रोश है। हाल ही में ग्वालियर पूर्व में डॉ. सतीश सिंह सिकरवार को भाजपा से तोड़कर लाया गया है। इस विधानसभा से चुनाव लडऩे के इच्छुक दावेदारों की छाती पर सांप लोट गए हैं।
एक ओर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ 27 सीटों पर होने वाले उप-चुनाव में विजयी होकर पुन: सत्ता प्राप्ति का दंभ भर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई विधानसभाओं में कांग्रेस के पास प्रत्याशियों का टोटा पड़ गया है। ऐसे में वह दूसरे दलों एवं निर्दलीयों पर निर्भर होकर अपने दल में लाकर चुनाव लड़ाने की मंशा में हैं, जिससे उस विधानसभा क्षेत्र के दावेदार कांग्रेस नेताओं में विद्रोह की स्थिति निर्मित हो सकती है। उल्लेखनीय है कि मात्र सवा साल सत्ता में रहने के बाद 22 कांग्रेसी विधायकों के बागी हो जाने पर कमलनाथ की सरकार ढह गई। इसके बाद वे और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लगातार यह कहते आ रहे हैं कि यह सरकार अलोकतांत्रिक तरीके से गिराई गई है, इसलिए जनता उपचुनाव में उन्हें पुन: जिताएगी। किंतु पिछले कुछ दिनों में देखने में यह आया है कि कमलनाथ द्वारा कांग्रेस के दावेदारों से यह कहा जा रहा है कि सर्वे में जिसका नाम ऊपर होगा, उसे ही टिकट दिया जाएगा। ऐसा कहकर वह भोपाल पहुंच रहे दावेदारों को वापस लौटा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ क्षेत्रों में बसपा एवं निर्दलीयों के कांग्रेस में शामिल होने से यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि कांग्रेस दावेदारों की जगह उन्हें टिकट दिया जा सकता है।
इन्हें किया शामिल
डॉ. सतीश सिंह सिकरवार: भाजपा से पांच बार पार्षद और विधानसभा का चुनाव लड़े संगठन में भाजयुमो में दो बार प्रदेश उपाध्यक्ष और भाजपा जिला उपाध्यक्ष रहे। पत्नी डॉ. शोभा सिकरवार पार्षद रहीं। पिता गजराज सिंह सिकरवार एवं छोटे भाई डॉ. सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू विधायक रहे। अब कांग्रेस में ग्वालियर पूर्व से मजबूत दावेदार हैं।
फूल सिंह बरैया: लंबे समय से बसपा से जुड़े रहने के बाद कई अन्य दलों में जाने और स्वयं की पार्टी बनाने वाले फूल सिंह बरैया कांग्रेस में शामिल किए गए। उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया गया है। उन्हें गोहद, डबरा एवं भांडेर से दावेदार माना जा रहा है।
बालेंदु शुक्ल: 12 वर्ष कांग्रेस से दूर रहने के बाद वापसी हुई है और अब ग्वालियर पूर्व एवं ग्वालियर विधानसभा से टिकट के लिए लालायित किंतु ग्वालियर पूर्व डॉ. सिकरवार का नाम आने पर सारे समीकरण बदल गए, क्योंकि इससे ग्वालियर विधानसभा में सुनील शर्मा की दावेदारी मजबूत हुई है।
सत्यप्रकाशी पड़सेरिया: बसपा से नगर पालिका डबरा की अध्यक्ष रहीं। पिछला विधानसभा चुनाव बसपा से लड़ा 2800 मत आए। अब कांग्रेस में शामिल होकर मुख्य दावेदार हैं।
प्रागीलाल जाटव: बसपा के टिकट पर करैरा विधानसभा से चुनाव लड़कर 45 हजार मत प्राप्त किए। अब कांग्रेस में शामिल होकर दावेदार बन गए हैं।
चौधरी राकेश सिंह: कांग्रेस के पूर्व नेता प्रतिपक्ष रहे चौधरी राकेश सिंह ने विधानसभा में भाजपा के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान अचानक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में प्रवेश किया। किंतु भाजपा में भी मौका मिलने के बावजूद उसे भुना नहीं पाए और अब थक-हारकर पुन: कांग्रेस में हैं। मेहगांव विधानसभा से दावेदार हैं किंतु पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से अदावत के चलते टिकट में अड़चने आ रही हैं।
अजब सिंह कुशवाह: वैसे तो अजब सिंह कुशवाह पिछला विधानसभा चुनाव भाजपा से लड़े थे लेकिन यहां से ऐंदल सिंह कंषाना का टिकट फाइनल होने के कारण वे कांग्रेस में चले गए हैं। इससे कांग्रेस दावेदारों को झटका लगा है।
कांग्रेस के दावेदारों में ज्वालामुखी
कांग्रेस द्वारा यदि आयातित और दूसरे दलों के नेताओं को टिकट दिए जाते हैं तो उस विधानसभा के स्थायी तौर पर राजनीति कर रहे नेताओं को बड़ा धक्का लगेगा क्योंकि उन्हें भरोसा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के रहते कांग्रेस में वे दवे-कुचले थे और अब उनके भाजपा में चले जाने के बाद कांग्रेस उनका ध्यान रखेगी। लेकिन अब भी उन पर भरोसा न कर दूसरों को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। जिससे उनके दिलों में ज्वालामुखी धधकने लगा है। इनमें ग्वालियर पूर्व से चंद्रमोहन नागौरी, वासुदेव शर्मा, डॉ. देवेंद्र शर्मा, आनंद शर्मा, मितेन्द्र सिंह, डबरा से वृंदावन कोरी, सुरेश राजे, अमर सिंह माहौर, चतुर्भुज धनौलिया एवं गुंजा जाटव, करैरा से शकुंतला खटीक, केएल राय, मुंगावली से प्रदुम्न सिंह दांगी, राजेंद्र लोधी, मेहगांव से बृजकिशोर शर्मा उर्फ कल्लू, रायसिंह, गोहद से रामनारायण हिंडोलिया, डॉ कमलेश इंदौरिया, मेवाराम जाटव, बमौरी से सुमेर सिंह, सुमावली से मानवेंद्र सिंह सिकरवार गांधी और भाण्डेर से कमलापत आर्य कई नेताओं के नाम शामिल हैं।