चुनाव की भागमभाग में कोरोना को भूला प्रशासन
घर नहीं पहुंच रही टीम, संक्रमितों के साथ लापरवाही
ग्वालियर, न.सं.। अगर आपको कोरोना संक्रमण हो गया है तो आपको अपनी और अपने परिवार की जिम्मेदारी और सुरक्षा खुद ही करनी होगी। क्योंकि जिले में जहां कोरोना के मामले कम हो रहे हैं वहीं जिले में होने वाले उप-चुनाव की तैयारी में व्यस्त प्रशासन कोरोना को भूल गया और संबंधित अधिकारियों की लापरवाही भी बढ़ती जा रही है।
दरअसल नियमानुसार कोरोना संक्रमण की चपेट में आने वाले मरीज के घर सेनेटाइज कर उसके परिवार के अन्य सदस्यों की जांच कराई जाती है। जिससे उनमें कोरोना के लक्षण विकसित होने से पहले ही पहचान हो जाए। इसके बावजूद इस नियम का पालन नहीं किया जा रहा है। लेकिन जिले में संक्रमित मरीजों के घर को न तो सेनेटाइज किया जा रहा है और ना ही उनके परिवार के लोगों के नमूने कराए जा रहे हैं। जिसके चलते घर का एक सदस्य तो कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती हो जाता है। जबकि उस घर के अन्य सदस्य बाजार में घूम कर संक्रमण को फैला रहे हैं। इतना ही नहीं प्रशासन की टीमें कोरोना नए कोरोना संक्रमित व्यक्ति के घर तक नहीं पहुंच रहीं, जिस कारण संक्रमित मजबूरन होम आईसोलेट हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन द्वारा बरती जा रही यह लापरवाही लोगों के लिए आने वाले समय में घातक सिद्ध हो सकती है।
खुद ही पहुंच रहे अस्पताल
प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही यहीं नहीं थमती। कोरोना संक्रमित को लेने न तो एम्बुलेंस उसके घर पहुंच रही हंै और न ही दवा देने कोई आ रहा है। इतना ही नहीं संक्रमित जब जिम्मेदार अधिकारियों से सम्पर्क कर दवा व अस्पताल में भर्ती होने की बात करते हैं तो उन्हें कोई संतोषजन जवाब भी नहीं मिलता। जिस कारण संक्रमित खुद ही भर्ती होने के लिए अस्पताल पहुंच रहा है।
हेल्पलाइन नम्बर पर भी नहीं मिल रही मदद
इधर जिले में कोरोना संक्रमितों के लिए जारी किया गया हेल्पलाइन नम्बर भी सिर्फ दिखावटी बन कर रह गया है। मरीज तक हेल्पलाइन नम्बर पर सम्पर्क कर अपनी परेशानी बता रहे हैं तो उन्हें उचित परामर्श न देकर पास में ही किसी भी चिकित्सक को दिखाने की बात कह दी जाती है।
कॉन्टेक्ट हिस्ट्री भी बंद
कोरोना संक्रमण के बचाव के लिए जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार अगर कोई संक्रमण की चपेट में आता है तो उसके सम्पर्क में आने वाले लोगों की कॉन्टेक्ट हिस्ट्री ली जाती है। लेकिन अब संक्रमित के सम्पर्क में आए लोगों की तो दूर घर के सदस्यों को भी पूछने कोई टीम नहीं पहुंच रही। संक्रमित के घर होम क्वारेन्टाइन का पर्चा चस्पा किया जाता है। जिसमें होम क्वरेन्टाइन की तारीख लिखी जाती है। लेकिन इन दिनों होम क्वारेन्टाइन का पर्चा तो चस्पा करना दूर टीम मरीज का हालचाल जानने के लिए तक नहीं पहुंच रही है।