ग्वालियर में 12 बाजार ऐसे है जहां पहुंच नहीं पाती है दमकल की गाडिय़ां

संकरे बाजारों में कारोबार से दहशत में व्यापारी-रहवासी

Update: 2023-08-02 00:00 GMT

ग्वालियर,न.सं. । शहर की संकरी और तंग गलियों में फोम, कपड़े व एसिड के बाजार सजे हैं। बाड़ा और उसके आसपास 15 से अधिक ऐसे बाजार हैं जहां दिन के समय दोपहिया वाहन तक यहां नहीं पहुंच पाते फिर दमकल की गाडिय़ा तो दूर की बात है। ऐसे में कभी यहां आग लग जाए तो कई लोगों की जान तक जा सकती है। एक दुकान, गोदाम या मकान से दूसरे तक आग पहुंचने में क्षण भर लगता है। बीते दिनों मुरार स्थित सदर बाजार के मुख्य मार्ग पर आग लग गई थी, हालांकि दमकल की दो गाडिय़ों ने पानी फैंक कर आग पर काबू पा लिया था। मुरार स्थित बजाज खाना, रिसाला बाजार, सदर बाजार, खुला संतर, बाड़ा स्थित टोपी बाजार, मोर बाजार, नजरबाग मार्केट, दानाओली, मोचीओली, दही मंडी, हलवाट खाना, राने खां की गोठ ऐसे संकरे बाजार हैं, जहां दमकल की गाडिय़ा नहीं जा सकती। र्

इन संकरे बाजारों में नहीं जा सकती दमकल

मोची ओली

नई सडक़ और सराफा बाजार के बीच स्थित मोचीओली में करीब 200 दुकानें हैं। फोम और एसिड का यह ग्वालियर-चंबल संभाग का सबसे बड़ा बाजार है। यहां हर घर के नीचे दुकान, गोदाम फिर ऊपर निवास है। बाजार में दिन के समय दो पहिया वाहन ले जाना भी चुनौती भरा होता है। रात के समय भी ऑटो या छोटा चार पहिया वाहन ही जा सकता है। यहां ज्वलनशील पदार्थ का कारोबार होता है, लेकिन फायर ब्रिगेड के बाजार में जाने का कोई मार्ग नहीं। ऐसे में यहां कभी आग सुलग जाए तो स्थिति कुछ ही मिनट में भयानक और जानलेवा हो सकती है।

दानाओली

बाड़ा और मोचीओली के बीच बसा दानाओली बेहद संकरा बाजार है। यहां लगभग 600 से 700 दुकाने हैं। इस बार में सर्वाधिक कांच, लकड़ी, फोम व कपड़ों का कारोबार होता है। यहां भी तंग और संकरी गलियों के चलते फायर ब्रिगेड की बड़ी गाड़ी अंदर तक नहीं पहुंच पाती है। यहां भी एक-दूसरे से सटे घर, दुकान व गोदाम में कभी भी कोई आगजनी हो जाए तो उसे बाजार में फैलने में समय नहीं लगेगा, जो कई लोगों की जान पर भी भारी पड़ सकता है।

दही मंडी

कपड़ों का सबसे बड़ा बाजार दही मंडी के हालात शहर में सबसे ज्यादा खराब हैं। यहां करीब एक हजार दुकानें हैं। यहां दिन हो या रात सिर्फ दो पहिया वाहन ही आ-जा सकते हैं। यहां फायर ब्रिगेड तो दूर किसी बड़े चार पहिया वाहन को अंदर ले जाने की कल्पना भी नहीं कर सकते। 7 साल पहले यहां एक दुकान में आग लगी थी। वहां फायर ब्रिगेड नहीं जा सकी थी। करीब 300 मीटर दूर से पाइप जोडक़र आग पर काबू पाया गया था। पर तब तक एक दुकान की आग 3 घरों तक फैल गई थी। लोगों ने पड़ोसियों की छत पर कूदकर जान बचाई थी।

रानी खां की गोठ

दही मंडी के पास ही राने खां की गोठ है। इस बाजार में करीब 300 दुकान हैं। यह पूरी तरह कपड़ा बाजार है। यहां पर भी दोपहिया वाहन ही आ और जा सकते हैं। बाजार इतना घना है कि यहां कभी भी कोई हादसा गंभीर त्रासदी में बदल सकता है।

यह बाजार भी असुरक्षित

बाड़ा व उसके आसपास के बाजारों में टोपी बाजार, मोर बाजार, नजरबाग मार्केट, माधवगंज, हलवाट खाना और मुरार के बजाज खाना, रिसाला बाजार, हनुमान संतर, काली माई संतर, चूड़ी बाजार सहित हजीरा व किलागेट पर ऐसे बाजार हैं, जहां आगजनी के समय दमकल की गाडिय़ा अंदर नहीं जा सकती।

समाधान के दो विकल्प

- बाजार में रोड चौड़ी की जाए। अतिक्रमण हटाकर इस लायक बनाया जाए कि दमकल वाहन अंदर तक पहुंच सके।

- संकरे बाजारों में जमीन के नीचे पाइप लाइन बिछाई जाए। हर 50 मीटर पर एक प्वाइंट दिया जाए। जबकि व बाजार के बाहर टैंक बनाया जाए। जिससे आग लगने पर इन सेफ्टी प्वाइंट से पाइप लगाकर आग पर काबू पाया जा सके।

अब तक हो चुके यह हादसे

आग लगने की प्रमुख घटनाएं

  • -4 जून 2010 को महाराज बाड़े स्थित विक्टोरिया मार्केट में लगी थी आग, 147 दुकानें जलकर हुई थी खाक।
  • -13 जून 2015 को मुरार के एक मकान में आग लग गई थी, जिसमें 4 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी।
  • -17 मार्च 2016 आनंद नगर में बंसल फोम के गोदाम में लगी थी आग।
  • - 21 मार्च 2019 को कांचमिल गत्ता फैक्ट्री में आग
  • - 11 मई 2019 को टोपी बाजार स्थित दुकान में आग
  • - 7 अप्रैल 2019 को दानाओली नॉवल्टी गिफ्ट सेंटर में आग
  • - 15 अक्टूबर 2019 को पुरानी छावनी प्लास्टिक दाना बनाने वाली फैक्टी में आग
  • -11 मार्च 2020 को मोची ओली में लगी आग से वृद्ध दम्पत्ति की मौत हो गई थी।
  • -18 मई 2020 को रोशनीघर मार्ग पर गोयल पेंट हाउस के सात लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी।
  • -25 अगस्त 2022 को सराफा बाजार में स्थित राधाकृष्ण मार्केट में आग लगी थी।
  • -24 सितम्बर 2022 को कांचमिल की जूता फैक्ट्री में आग लगी थी, जहां कर्मचरियों ने कूद कर अपनी जान बचाई थी।
  • -30 जनवरी को ग्वालियर व्यापार मेले में दुकानों में आग लगने से लाखों का नुकसान हुआ था। 
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