ग्वालियर, न.सं.। गणेश उत्सव का आयोजन 22 अगस्त से शुरू होने जा रहा है, जो 1 सितंबर तक चलेगा। कोरोना वायरस के कारण प्रशासन ने शहर में गणपति उत्सव के लिए पंडाल लगाने की मनाही की है। इस बार छोटी-छोटी गणपति की प्रतिमाओं को घरों में विराजित किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य पं. सतीश सोनी के अनुसार इस बार गणपति हस्त नक्षत्र के साध्य योग में विराजित होंगे।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी कहते हैं। इस वर्ष यह 22 अगस्त शनिवार को है। शास्त्रों में विघ्नहर्ता श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद चतुर्थी के दिन दोपहर को हुआ था, इसलिए इस दिन की तिथि को गणेश जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी प्रमादी संवत्सर विक्रम संवत 2077 चतुर्थी तिथि 21 अगस्त 11.03 रात्रि से प्रारंभ होकर 22 अगस्त शाम 7.57 तक रहेगी। गणपति की स्थापना इस वर्ष हस्त नक्षत्र के साध्य योग में होगी। वहीं चंद्र देव कन्या राशि में रहेंगे। इस दिन भद्रा भी रहेगी। भद्रा का आरंभ सुबह 9.28 से शाम 7.57 बजे तक रहेगा। कहीं-कहीं भद्राकाल को शुभ कार्य के लिए अशुभ माना जाता है, लेकिन भगवान गणेश का एक नाम विघ्न विनाशक भी है, इसलिए उनकी स्थापना भद्रा की वजह से प्रभावित नहीं होगी।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि निर्णय सिंधु में पृष्ठ क्रमांक 43 पर भद्रा का विवरण है, जिसके अनुसार भद्रा तीन प्रकार की होती हैं। जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में रहते हैं तो मृत्युलोक की भद्रा होती है। मेष, वृषभ, मिथुन, वृश्चिक राशि में चंद्र देव रहते हैं तो स्वर्ग लोक की भद्रा होती, लेकिन जब चंद्रमा कन्या, तुला, धनु, मकर राशि में रहते हैं तो भद्रा पाताल लोक की होती हैं। शुक्ल पक्ष में चतुर्थी और ग्यारस, शास्त्रों में शुभ मानी गई है। वहीं कृष्ण पक्ष में तृतीया और दशमी शुभ मानी जाती है, इसलिए गणेश चतुर्थी को भद्रा का गणपति स्थापना पर कोई असर नहीं होगा।
126 वर्ष बाद सूर्य मंगल का संयोग:-
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस बार गणेश उत्सव पर सूर्य सिंह राशि में मंगल मेष में गुरु धनु में और शनि मकर में रहेंगे। यह चारों ग्रह अपनी-अपनी स्वामित्व वाली राशियों में रहेंगे। इन ग्रहों योगों में गणेश उत्सव की शुरुआत भारत के लिए शुभ रहने वाली रहेगी। वहीं भारत व्यापार में उन्नति करेगा तथा विश्व में भारत का वर्चस्व बढ़ेगा। साथ ही प्राकृतिक आपदा में कमी आएगी और आतंकवाद नियंत्रण में रहेगा। आम जनता के लिए यह समय अनुकूल रहेगा।