निगम ने कर वृद्धि कर जनता के साथ किया है धोखा

भाजपा के पार्षद दल ने संभागायुक्त को सौंपा ज्ञापन

Update: 2020-06-30 01:00 GMT

ग्वालियर, न.सं.। नगर निगम द्वारा गार्बेट टैक्स, नामांकन शुल्क, रोप-वे के निर्माण को लटकाने सहित अन्य मुद्दों को लेकर भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी के नेतृत्व में पार्षद दल के प्रतिनिधि मंडल ने संभागीय आयुक्त एवं निगम प्रशासक एम.बी. ओझा से मुलाकात की। उन्होंने संभागायुक्त को ज्ञापन सौंपकर बढ़े ही कर वृद्धि का विरोध किया और कहा कि इसे तत्काल वापस लिया जाए।

प्रतिनिधि मंडल ने संभागायुक्त को अवगत कराया कि जनता पहले से करों के बोझ तले दबी हुई है। ऐसे में गार्बेज, नामांकन शुल्क आदि में वृद्धि करके निगम ने जनता पर एक और बोझ डाल दिया है। इस वृद्धि से जनता में भारी आक्रोश है। ऐसे में तत्काल यह कर वृद्धि वापस ली जाए। शहर की यातायात व्यवस्था को सुधारने व आम जनता को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए शहर में मल्टीलेवल पार्किंग बनाई गई हैं, जो पिछले एक साल से बनने के बाद भी शुरू नहीं हो सकीं। पिछले 12 सालों से रोप-वे का निर्माण कार्य जानबूझकर लटकाया जा रहा है। प्रतिनिधि मंडल ने अन्य मुद्दों से भी संभागायुक्त को अवगत कराया और कहा कि इन मुद्दों को लेकर सांसद विवेक शेजवलकर द्वारा भी पत्र लिखा गया, लेकिन वह उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। यदि जल्द कर वृद्धि वापस नहीं ली गई तो इसका बड़े स्तर पर विरोध होगा। प्रतिनिधि मंडल में डॉ. सतीश सिंह सिकरवार, धर्मेन्द्र राणा, दिनेश दीक्षित, सतीश बोहरे, धर्मेन्द्र कुशवाह, पुरुषोत्तम टमोटिया, मुकेश परिहार आदि शामिल रहे।

प्रमुख मागें-

-नगर पालिक निगम द्वारा पिछले दिनों लगाए गए गार्बेज कर से जनता में भारी आक्रोश है। निगम पूर्व से ही 226 रुपए वार्षिक स्वच्छता कर, 226 रुपए शिक्षा कर एवं 500 रुपए वार्षिक समेकित कर जनता से ले रही है। ऐसी अवस्था में अलग से गार्बेज टैक्स प्रत्यारोपित करना अव्यवहारिक है। इसे तुरंत वापस लिया जाए।

-नामांतरण शुल्क में सौ गुना वृद्धि कर 5050 रुपए कर दी गई, जो कि अव्यवहारिक है। इसे तत्काल वापस लिया जाए।

-यातायाता जाम की स्थिति से निपटने के लिए मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण किया जा चुका है। एक वर्ष से यह पार्किंग शुरू नहीं हो पाई हैं। इन्हें शीघ्र-अतिशीघ्र जनता के उपयोग के लिए प्रारंभ किया जाए।

-12 वर्षों से निगम के डीम प्रोजेक्ट रोप-वे का काम विभिन्न अड़चने डालकर लंबित किया जा रहा है। सभी प्रकार की अनापत्तियां हासिल कर भी निगम रोप-वे काम को शुरू नहीं करा सका है। अब इसके स्थान परिवर्तन के विषय को लेकर ये अडंग़ा लगाया जा रहा है। किले की जिस दीवार के कारण टर्मिनल बदलने की बात कही जा रही है। वह संरक्षित स्मारकों की सूची में नहीं है। हमें ज्ञात हुआ है कि बिना नए स्थान का चयन किए पुराने टर्मिनल के स्थान की भूमि का आवंटन निरस्त करने की अनुशंसा की गई है, यह सरासर गलत है। उक्त भूमि आवंटन को यथावत ही रखा जाए। 

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