कॉलोनियों में बढ़ता कारोबार बना लोगों के लिए मुसीबत
व्यवसायिक गतिविधियों का विस्तार होने से चैन की नींद नहीं सो पा रहे लोग
ग्वालियर, न.सं.। शहर की पॉश कॉलोनियों में व्यवसायिक गतिविधियों का विस्तार होने से लोग चैन की नींद नहीं सो पा रहे हैं। स्कूल, कोचिंग क्लासेस, नर्सिंग और निजी कार्यालयों में आने वाली भीड़ के चलते क्षेत्रीय निवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। हालांकि अभी लॉकडाउन के कारण कोचिंग व स्कूल पूरी तरह से बंद हैं। रिहायशी क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलाव के कारण न सिर्फ लोगों की निजी जिंदगी खत्म होती जा रही है बल्कि उनकी सुरक्षा को लेकर भी खतरा बढ़ गया है। लगातार शिकायतों के बाद भी जब प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों ने परेशान लोगों की बात नहीं सुनी तो कुछ लोगों ने इस मामले की शिकायत नगरीय प्रशासन एवं विकास भोपाल के कार्यपालन यंत्री जीवेन्द्र सिंह से की है।
जिला प्रशासन एवं नगर निगम की अनदेखी के कारण शहर के रिहायशी इलाकों में नर्सिंग होम, मोटर गैराज व दुकानें खुलती जा रही है। कॉलोनियों व गली मोहल्लों में रहने वाले लोग व्यवसायिक गतिविधियों का विरोध कर चुके हैं। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की। शिकायतकर्ता योगेन्द्र सिंह निवासी नेहरु कॉलोनी ने भेजे पत्र में बताया कि शहर में कई वर्षों से छोटी व बड़ी कॉलोनियों में अवैध रूप से व्यवसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही हंै। इसी तरह अभिभाषक संजय द्विवेदी ने वार्ड 43 के टोपी बाजार की शिकायत की है। उन्होंने कहा कि व्यवसायिक तलघरों में वाहनों की अवैध पार्किंग की जा रही है।
बिना अनुमति के हो रहा है निर्माण
उरवाई गेट निवासी शीला कुशवाह ने भी भोपाल में शिकायत की है। उन्होंने बताया कि वार्ड तीन के तिकोनिया पार्क माता मंदिर विनय नगर में भू-माफिया द्वारा अवैध रूप से भवन निर्माण किया जा रहा है। जबकि उक्त जमीन विवादित है, जिसका प्रकरण न्यायालय में चल रहा है। शिकायतकर्ताओं के पत्र के बाद कार्यपालन यंत्री श्री सिंह ने निगमायुक्त से निरीक्षण कर कार्रवाई करने की बात कही है।
यहां पर अवैध रूप से संचालित हैं गतिविधियां
बाड़े के पास भाऊ का बाजार से दानाओली तक व झूलेलाल मंदिर के आसपास घनी आबादी व संकरी गलियों में रेडीमेड गारमेंट्स के 30 से अधिक कारखाने हैं। पुराने व जर्जर मकानों में लोगों ने गोदाम बना रखे हैं।
लक्ष्मीबाई कॉलोनी
यहां सौ से अधिक मकान हैं। इनमें से अधिकांश में कोचिंग क्लासेस व छात्रावास बने हैं। सुबह 6 से लेकर रात 9 बजे तक कॉलोनी में छात्रों की आवाजाही रहती है। कोचिंग की कक्षाएं खत्म होने के बाद छात्र दो पहिया वाहन के साथ खड़े रहते हैं। नर्सिंग होम के मरीजों व अटेंडेंट की भीड़ रातभर रहती है। हालंकि अभी सभी कोचिंग संस्थन बंद है।
समाधिया कॉलोनी
समाधिया कॉलोनी में चॉकलेट व प्लास्टिक का दाना बनाने के कारखाने हैं। स्थानीय लोगों की आपत्ति के बाद जिला प्रशासन ने चॉकलेट की फैक्ट्रियों को गिरवाई नाका पर शिफ्ट किया था। इसके बाद भी समाधिया कॉलोनी से हारकोटा सीर के बीच कुछ लोगों की फैक्ट्रियां हैं।