ग्वालियर-चंबल का बरकरार रहा सम्मान
तोमर के विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद अब मंत्रिमंडल में भी मिली तवज्जो
ग्वालियर। प्रदेश में पांचवी बार बनी भाजपा सरकार में डा.मोहन यादव की ताजपोशी के उपरांत सोमवार को मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। इस विस्तार में ग्वालियर-चंबल संभाग से चार कैबिनेट मंत्री बनाकर अंचल का सम्मान बरकरार रखा है। हालांकि अंचल के आमजनों को उम्मीद कहीं अधिक थी। उम्मीद है कि अगले विस्तार में जो कमी रह गई उसकी पूर्ती की जाएगी। प्रदेश में पांचवी बार सरकार बनने के बाद उज्जैन से निर्वाचित होकर आए डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री , राजेन्द्र शुक्ल व जगदीश देवड़ा को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। मुख्यमंत्री की ताजपोशी के साथ ही मंत्रीमंडल को लेकर अटकलों और कयास का दौर शुरू हुआ।
आखिर में आज (सोमवार) को मंत्रीमंडल का विस्तार हो गया। ग्वालियर -चंबल संभाग में पिछले चुनाव में भाजपा की स्थिति ठीक नहीं रही थी और मात्र 07 सीटें मिलीं थीं। लेकिन इस बार अंचल ने भाजपा को पिछले चुनाव से अधिक 18 सीटें प्रदान कीं। भाजपाजनों व आमजन को उम्मीद थी कि मंत्रिमंडल में अंचल को सम्मानजनक स्थान मिलेगा। उम्मीद थी कि हर जिले से कम से कम एक मंत्री तो बनेगा। श्योपुर जिले की दोनों सीटों पर भाजपा उम्मीदवार पराजित होने से इस जिले से किसी को मंत्री नहीं बनना था। इस हिसाब से शेष बचे अंचल के छह जिलों ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, आशोकनगर, भिंड, मुरैना, दतिया से एक- एक मंत्री के हिसाब से छह मंत्रियों की उम्मीद भाजपाजनों को थी।
लेकिन अंचल से चार मंत्री बनाए गए हैं। ग्वालियर से प्रघुम्न सिंह तोमर , नारायण सिंह कुशवाह , भिंड के मेहगांव से निर्वाचित राकेश शुक्ला व मुरैना की सुमावली से निर्वाचित एंदल सिंह कंषाना भी मंत्री बनाए गए हैं। अशोकनगर, गुना, शिवपुरी व दतिया से किसी को भी स्थान नहीं मिला है। हालांकि अंचल से मंत्री बनाए गए चारों विधायकों को कैबिनेट मंत्री बनाकर सम्मान दिया गया है। वहीं दिमनी से निर्वाचित वरिष्ठ नेता नरेन्द्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर पहले ही यह संदेश दिया गया था कि ग्वालियर -चंबल अंचल के सम्मान को बरकरार रखा जाएगा। चारों मंत्रियों की बात करें तो एंदल सिंह कंषाना पांचवी बार के विधायक है।
वह बसपा व कांग्रेस के टिकट पर भी चुनाव जीत चुके हैं। इस बार वह सुमावली से भाजपा के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए हैं। मेहगांव से तीसरी बार निर्वाचित राकेश शुक्ल भी कैबिनेट मंत्री बने हैं। वह बाल्यकाल से ही राष्ट्रवादी विचारधारा से ओतप्रोत रहे हैं। उनके पिताश्री शिवकुमार शुक्ला भी राजनीति में रहे । वह जनसंघ, जनता पार्टी से लेकर भाजपा में विभिन्न पदों पर रहे थे। ग्वालियर से निर्वाचित प्रघुम्न सिंह तोमर भी कैबिनेट मंत्री बने हैं। इनका मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा था। वह पिछली सरकार में ऊर्जा मंत्री थे। तोमर कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए हैं। वह चौथी बार विधायक बने हैं। एक चुनाव वह भाजपा के जयभान सिंह पवैया से हार चुके हैं तो दो बार पवैया को हरा भी चुके हैं। ग्वालियर दक्षिण से चौथी बार निर्वाचित नारायण सिंह कुशवाह को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वह वर्ष 2013 में भी ग्वालियर दक्षिण से चुनाव जीते और प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार में राज्य मंत्री रह चुके हैं।
इनके मंत्री बनने की भी सभी को उम्मीद थी। पिछली सरकार में अंचल से डा.नरोत्तम मिश्रा, प्रघुम्न सिंह, यशोधराराजे सिंधिया, सुरेश राठखेडा़, महेन्द्र सिंह सिसौदिया, ओपीएस भदौरिया, भारत सिंह कुशवाह , बृजेन्द्र सिंह यादव मंत्री थे। इस हिसाब से अंचल से कम ही मंत्री बने हैं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण का संतुलन बनाने के प्रयास भी किए गए हैं। श्री कंषाना व श्री कुशवाह जहां ओबीसी वर्ग से लिए गए हैं। वहीं क्षत्रिय वर्ग से प्रघुम्न तोमर एवं ब्राह्मण वर्ग से राकेश शुक्ला को मंत्रिमंडल में शामिल कर सामाजिक संतुलन बैठाया है। क्षत्रिय वर्ग से नरेन्द्र सिंह तोमर पहले ही विधानसभा अध्यक्ष बनाए जा चुके हैं। राजनीतिक विश्लेषकों कि मानना है कि मंत्रिमंडल के अगले विस्तार में अंचल से कुछ और मंत्री बनाकर कमी को पूरा किया जा सकता है।