ग्वालियर वासियों का एक ही सवाल
शहर की सडक़ों को हुआ क्या, आखिर इस दर्द की दवा क्या ?
ग्वालियर। ग्वालियर वासियों के जहन में एक ही सवाल है कि शहर की सडक़ों का हुआ क्या ? कहीं गड्डे हैं, तो कहीं खड्डे। क्यों कोई कुछ नहीं बोलता ? चुपचाप जर्जर सडक़ों को क्यों झेलता। हो गई है बर्दाश्त की इम्तिहा, आखिर इस दर्द की दवा क्या ? लेकिन आचार संहिता खत्म होने के बाद भी जवाब नहीं मिल रहा है। जिम्मेदार अधिकारी, ठेकेदार काम के प्रति उदासीन देखे जा रहे हैं। उनके काम में तेजी नहीं देख रही। शहर के गुड़ा गुड़ी के नाके पर कहीं सडक़ों के चेंबर टूटे पड़े हैं तो कहीं सडक़ में धस गए हैं, तो कहीं सडक़ से 1 से 1.5 फीट ऊंचे हैं। जिससे लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं।
तो वही सचिन तेंदुलकर रोड, झांसी रोड आदि पर कहीं 100 मीटर के टुकड़े में सडक़ डाल दी गई है वह पूर्ण कब होगी पता नहीं। जो सडक़ डाली गई है वह भी उखड़ रही है। तो वही कलेक्ट्रेट के पीछे बाली रोड, सिरोल रोड आदि पर सडक़ की एक पट्टी ऊंची और एक पट्टी नीची बना दी है जिसे देखकर लग रहा है सडक़े इंजीनियर ठेकेदार नहीं बल्कि सडक़ छाप लोग बना रहे हो। शहर की अपवाद स्वरूप कुछ सडक़ो को छोड़ दिया जाए तो कमोबेश शहर की सडक़ों का यही हाल है। विगत दिवस प्रदेश के नए मुखिया ने शपथ ली है। लोगों को आशा है अब जवाब मिलेगा और जर्जर सडक़ों से निजात भी।