कोरोना से निपटने आधी अधूरी तैयारी, आईसीयू नहीं हो सके चालू

Update: 2022-12-24 00:30 GMT

ग्वालियर, न.सं.। केन्द्र सरकार की चेतावनी के बाद कोरोना को लेकर जिला प्रशासन द्वारा भले ही दिशा निर्देश जारी कर व्यवस्थाएं बेहतर रखने के निर्देश जारी किए गए हों। लेकिन जिम्मेदारों की अंदेखी के कारण अस्पतालों में तमाम अव्यवस्थाएं पसरी हुईं हैं और उपकरण धूल फाक रहे हैं।

जिला अस्पताल की बात करें तो यहां कोरोना को देखते हुए 20 पलंग का आईसीयू एक वर्ष पूर्व शुरू किया गया था, जिसका उदघाटन केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा किया गया था। लेकिन तीन माह पूर्व आईसीयू की फॉल सीलिंग गिर जाने से उसे बंद कर दिया गया, जिसे आज तक शुरू ही नहीं किया गया। जिसको लेकर सिविल सर्जन का कहना है कि आईसीयू को शुरू करने के लिए अभी कम से कम डेढ़ माह का और समय लगेगा।

इसी तरह सिविल अस्पताल की बात करें तो कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 20 पलंग का आईसीयू तैयार किया गया। इसके अलावा आईसीयू में करीब 14 वेन्टीलेटर भी उपलब्ध कराए गए। लेकिन दो वर्ष बाद भी आईसीयू का लाभ एक भी मरीजों को नहीं मिल सका। क्योंकि अस्पताल के प्रभारी का कहना है कि जब तक आईसीयू चलाने के लिए स्टाफ नहीं मिल जाता तब तक शुरू नहीं किया जा सकता। जबकि हकीकत तो यह है कि अस्पताल में पर्याप्त चिकित्सक के अलावा स्टाफ भी है। लेकिन अस्पताल के चिकित्सक काम से बचने के लिए आईसीयू को शुरू नहीं होने दे रहे।

ऑक्सीजन प्लांट भी बने शोपीस

ऑक्सीजन प्लांट की बात करें तो स्वास्थ्य विभाग के जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, हस्तीनापुर एवं मोहना के अलावा जयारोग्य अस्पताल में सात ऑक्सीजन प्लांट लगे हुए हैं। इसमें हस्तीनापुर का प्लांट बंद है। इसी तरह सिविल अस्पताल हजीरा के ऑक्सीजन प्लांट का फ्लो ठीक नहीं आ रहा है। इसके अलावा जयारोग्य की बात करें तो यहां जयारोग्य के ट्रॉमा सेन्टर में लगा ऑक्सीजन प्लांट बिजली की समस्या के चलते बंद पड़ा हुआ है। वहीं कार्डियोलॉजी विभाग में सन फार्मा कम्पनी द्वारा जो ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया, वह आज दिन तक चालू ही नहीं हो सका। जिसको लेकर अस्पताल प्रबंधन की ओर से सन फार्मा को प्लांट वापस लेने के लिए पत्र भी लिखा है।

कोल्ड ओपीडी भी पहुंची महाविद्यालय

कोरोना की जांच की बात करें तो जयारोग्य चिकित्सालय के ट्रॉमा सेन्टर के सामने संचालित कोल्ड ओपीडी को गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के वायरोलॉजीकल लैब स्थानांतरित कर दी है। जिस कारण मरीजों को जांच कराने के लिए परेशान होना पड़ता है। जिसको लेकर लैब के प्रभारी द्वारा कोल्ड ओपीडी को एक हजार बिस्तर के अस्पताल में सिफ्ट करने की बात कही है।

दो बजे तक ही लिए नमूने

जिलाधीश कौशलेन्द्र विक्रम सिंह द्वारा गत दिवस निर्देश जारी करते हुए जिला अस्पताल व जयारोग्य में सुबह 9 से 4 बजे तक नमूने लेने का कार्य करने के निर्देश दिए थे। लेकिन शुक्रवार को जिला अस्पताल में 2 बजे के बाद नमूने ही नहीं किए गए और स्टाफ भी गायब हो गया।

हड़ताल का भी पड़़़ रहा बुरा असर

इधर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल से भी स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ रहा है। क्योंकि कोरोना की जांच का काम अधिकांश संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी ही कर रहे थे, लेकिन हड़ताल के कारण जांच नमूनों की संख्या भी नहीं बढ़ पा रही है। यही कारण है कि प्रतिदिन 30 से 40 ही जांचे हो पा रही है। जबकि कोरोना की तीसरी लहर के दौरान प्रतिदिन एक हजार से ज्यादा नमूनों की जांचे की जाती थीं।

वर्जन

सिविल अस्पताल में आईसीयू संचालित करने के लिए पर्याप्त स्टाफ है। इसके बाद भी चालू क्यों नहीं किय जा रहा। इस संबंध में अस्पताल प्रभारी से चर्चा की जाएगी। साथ ही जिला अस्पताल के आईसीयू को इस माह के अंत तक चालू कर दिया जाएगा और ऑक्सीजन प्लांटों में क्या परेशानी आ रही है, उसे भी दिखवाया जा रहा है।

डॉ. मनीष शर्मा

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

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