आचार संहिता है चुनाव बाद आना, ठहर गई बुनियादी सुविधाओं की सुनवाई

बिजली-पानी, सीवर की बढ़ी शिकायतें, जनसुनवाई हुई बंद

Update: 2023-10-11 10:34 GMT

जनसुनवाई की फ़ाइल फोटो 

ग्वालियर। 9 अक्टूबर से विधानसभा चुनाव के चलते जिले में आचार संहिता प्रभावी है। इसके बाद से ही नगर निगम, बिजली कंपनी, जिला प्रशासन के आलावा सीएम हेल्पलाइन, लोकसेवा, जनमित्र सहित विभिन्न सुनवाई के प्लेटफार्म पर शिकायतों का आंकड़ा एक दिन में गिरा तो कहीं पर बढ़ा है। जब इन विभागों में लोग शिकायत के लिए पहुंच रहे हैं तो उन्हें एक ही जवाब मिल रहा है कि अभी आचार संहिता लगी है चुनाव बाद आना । जबकि हकीकत में आचार संहिता से जनता की बुनियादी सुविधाओं का कोई लेना-देना नहीं है।

क्या कहती है आचार संहिता-

शासन की नई परियोजना, योजनाओं की घोषणाएं, शिलान्यास, भूमिपूजन, निर्माण नहीं हो सकते। सार्वजनिक धन को इस तरह खर्च नहीं किया जा सकता कि किसी एक दल को उसका लाभ मिले। चुनाव को लेकर प्रत्याशी, आयोजन, भाषण, रैली आदि के लिए नियम बनाए गए हैं। साथ ही चुनाव के दौरान राज्य व केन्द्र शासन के कर्मचारी चुनाव आयोग के अधीन कार्य करेंगे। जनता की बुनियादी सुविधाओं व शिकायतों का निपटारा समय-सीमा में किया जाएगा।

जनमित्र व लोकसेवा केन्द्र पर नहीं दिखी भीड़

जनमित्र केन्द्र पर विधवा, वृद्घ पेंशन योजना आदि का काम पूरी तरह से बंद दिखाई दिया। मंगलवार को जनमित्र केंद्रों पर केवल जन्म, मृत्यु और नामांकन बनाने संबंधी कार्य करते देखा गया। वहीं लोकसेवा केन्द्रों पर भी आने वाले आवेदनों की संख्या घटी है। जो आवेदन आ रहे हैं उनमें आय, जाति, मूल्य निवासी, विवाह संबंधी प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं। जबकि अन्य कार्यों से संबंधित आवेदन पेडिंग पड़े हुए हैं।

बिजली-पानी, सीवर की बढ़ी शिकायतें

बिजली-पानी की शिकायतें बढ़ी हैं। यही कारण है कि बिजली कटौती होने, पीने का पानी नहीं मिलने व सीवर संबंधी शिकायतों में इजाफा हुआ है।

जनसुनवाई हुई बंद-

पीडि़तों की समस्या की सुनवाई कर तत्काल मदद के लिए की जाने वाली जनसुनवाई तक बंद हो चुकी है। यही कारण है कि नगर निगम, जिला प्रशासन, पुलिस विभाग में होने वाली जनसुनवाई को बंद कर दिया गया है।

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