नए शेड के लिए अगर बानमौर में जगह मिली, तो चलेगी हैरीटेज ट्रेन
पुराने नैरोगेज ट्रैक पर ट्रेन चलाने की योजना, आए दिन हो रहा सर्वे
ग्वालियर,न.सं.। शहर में यातायत के बढ़ते दबाव को कम करने के लिए परिवहन विभाग पुराने नैरोगेज ट्रैक पर कोलकाता की तर्ज पर नैरोगेज मेट्रो चलाने की योजना एक बार फिर से तैयार की जा रही है। इसके लिए पिछले चार दिनों से एनसीआर व मंडल के अधिकारी सर्वे कर रहे है। सर्वे इसीलिए किया जा रहा है ताकि नया शेड बन सके। क्योंकि पुराने शेड के जमीन स्टेशन के पुर्नविकास में आ सकती है। ऐसे में अगर इस ट्रेन को चलाया जाता है तो उसके लिए नए शेड की जरुरत पड़ेगी। इसके लिए अब अधिकारी बानमौर में जगह की तलाश कर रहे है। अगर यह ट्रेन चलती है तो इस ट्रेन को शहर के पर्यटन एवं ऐतिहासिक क्षेत्रों में रोका जाएगा जहां पर पर्यटन भ्रमण करने एवं शहर को घूम सकें। इसके साथ ही ट्रेन का स्टापेज ऐसे स्थानों पर किया जाएगा जहां पर दो किलोमीटर के घेरे में पर्यटन अथवा पुरातत्विक स्थल हो। यहां बता दे कि ग्वालियर-मुरैना-श्योपुर ब्राडगेज लाइन बनाने के लिए नैरोगेज का संचालन बंद कर दिया है। इस ट्रेन के कोच व इंजन यार्ड में खड़े धूल खा रहे है।
आईआरएसडीसी दे चुकी थी सुझाव
दो वर्ष पूर्व आईआरएसडीसी ने मेट्रो ट्रेन के तीन विकल्प साझा किए थे। इसमें से कलकत्ता शहर की ट्राम की तर्ज पर बनाए गए मेट्रो निओ प्रोजेक्ट पर सभी जनप्रतिनिधियों ने सहमति जताई थी। इस मेट्रो मार्ग में खेड़ापति कॉलोनी, गोपाचल पर्वत, फूलबाग, शिंदे की छावनी, जनकताल सहित अन्य स्टेशन विकसित करने का प्रावधान किया गया था। लेकिन समिति भंग होने के कारण यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई।
जिनकी कोचों की उम्र पूरी, उन्हें काटा
जानकारोंं का कहना है कि नैरोगेज के कोचों की उम्र 25 वर्ष है। ऐसे में जिन कोचों की उम्र 25 वर्ष हो चुकी है उन्हें काटा गया है। जबकि वर्तमान में यार्ड में 23 कोच खड़े हुए है।
117 साल पुरानी विरासत को बचाने की कोशिश
शहर में नैरोगेज ट्रेन 1905 में शुरू हुई थी। तब ग्वालियर से कंपू कोठी और मुरार, के बीच चलती थी। तत्कालीन शासक माधौराव सिंधिया ने लाइट नैरोगेज ट्रेन चलाई थी। यह लश्कर, मुरार और हजीरा तीनों उपनगरों को ग्वालियर से जोडऩे वाली इस ट्रेन को बाद में श्योपुर तक चलाया गया था। अब 117 साल पुरानी विरासत को बचाने के लिए रेलवे ने पहल की है।
रायरू तक की पटरी रहेगी सुरक्षित
ग्वालियर से रायरू के बीच नैरोगेज की पटरियों को सुरक्षित रखा जाएगा। ऐसा बताया जा रहा है। ग्वालियर से मोतीझील तक ग्वालियर, घोसीपुरा और मोतीझील स्टेशन हैं। यहां नैरोगेज ट्रैक बिछा हुआ है।