चुनाव में कितना लाभ दिलाएगी राहुल की न्याय यात्रा

Update: 2024-03-06 01:00 GMT

ग्वालियर। लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ गई है। राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर रहे हैं। इस बीच प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर हैं। मप्र में इन दिनों यात्रा गुजर रही है और बुधवार को रतलाम से राजस्थान में प्रवेश कर जाएगी। राहुल गांधी की न्याय यात्रा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को कितना लाभ दिलाएगी यह तो चुनाव परिणामों में साफ होगा, लेकिन राजनीतिक बीथिकाओं में इसको लेकर कयासों का सिलसिला चल निकला है। पिछले साल कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कश्मीर से अपनी भारत जोडो़ यात्रा निकाली थी।यह यात्रा मप्र के कुछ जिलों से गुजरी थी।

यात्रा के बाद प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका कोई लाभ नहीं मिला और वह चुनाव में पराजित होकर 230 सदस्यीय विधानसभा में 66 के आंकड़े पर सिमट गई थी। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में से कांग्रेस को 4 राज्यों में मिली हार से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में हताशा है। अब लोकसभा चुनाव के ठीक पहले राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का दूसरा चरण चल रहा है। मुरैना से 2 मार्च को न्याय यात्रा का मप्र में प्रवेश हुआ। यह यात्रा बुधवार 6 मार्च को रतलाम से राजस्थान में कूच कर जाएगी। न्याय यात्रा ने ग्वालियर - चंबल संभाग की 4 लोकसभा सीटों में से 3 लोकसभा क्षेत्रों मुरैना, ग्वालियर, गुना-शिवपुरी में भ्रभण किया।

राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के दौरान जहां युवाओं से संवाद किया तो अग्निवीरों से मिले। किसानों के साथ खाट पंचायत की तो एक युवा के आग्रह पर उसकी शादी में शामिल होने उसके गांव तक पहुंच कर विवाह में शिरकत की। उज्जैन पहुंचकर महाकाल के दरबार में माथा भी टेका। राहुल के साथ यात्रा में प्रदेश अध्यक्ष के नाते जीतू पटवारी, प्रदेश प्रभारी जितेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश तो साथ थे ही। पूर्व मुख्यमंत्रीद्वय दिग्विजय सिंह व कमलनाथ ने भी साथ रहकर कांग्रेस में एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की है। न्याय यात्रा का मुरैना, ग्वालियर से लेकर शिवपुरी, गुना, राघौगढ़ ,उज्जैन में जो स्वागत हुआ और कार्यकर्ताओं में जो जोश नजर आया उससे कांग्रेस नेता गदगद हैं। कांग्रेस नेता इसे शुभ -शुभ मान रहे हैं।

न्याय यात्रा के बाद बदले स्वर

विधानसभा चुनाव में मिली हार से हताश कार्यकर्ताओं में यूं तो प्रदेश अध्यक्ष का पद संभालने के बाद जीतू पटवारी ने मेल मिलाप कर जोश भरने की कवायद पिछले महीने की थी। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भाजपा में जाने के एपीसोड से जो छीछालेदर हुई उससे कांग्रेस में फिर निराशा हुई। हालांकि कमलनाथ भाजपा में नहीं गए और न्याय यात्रा में भी शामिल हुए, इससे कांग्रेसजनों ने फिलहाल राहत की सांस ली है। अब न्याय यात्रा की सफलता से कांग्रेस नेता गदगद हैं और उनके सुर भी बदलते दिख रहे हैं। भाजपा के मप्र में 29 में से 29 सीटें जीत क्लीन स्वीप के दावों के बीच अब कांग्रेस नेता 12-14 सीटें जीतने का दावा करने लगे हैं। गुना में न्याय यात्रा के दौरान भाजपा नेता और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर कांग्रेस नेता आक्रामक हुए तो एक बार फिर सांसद केपी सिंह यादव जैसे ही किसी नेता के चुनाव मैदान में आने और सिंधिया की हार की बातें करने लगे हैं।

बढ़ी बेचैनी, नए सिरे से मंथन

नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव की तरह भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए भी कांग्रेस से पहले ही अपने 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी । जिसमें मप्र की 29 सीटों में से 24 सीटों के उम्मीदवार घोषित किए हैं। इनमें ग्वालियर- चंबल संभाग की मुरैना-श्योपुर सीट से पूर्व विधायक शिवमंगल सिंह तोमर, भिण्ड-दतिया से सांसद संध्या राय , गुना-शिवपुरी से केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया व ग्वालियर सीट से पूर्व विधायक भारत सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है। भाजपा की इस पहल के बाद कांग्रेस में बेचैनी बढ़ गई है। हालांकि कांग्रेस नेता 15 मार्च तक उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करने का दावा कर रहे हैं। सतही तौर पर भले ही कांग्रेस नेता कुछ भी दिखावा करें , लेकिन अदंर ही अंदर उन्हें भी भय है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और मोदी की गारंटी का वह कितना सामना कर पाएंगे। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने मप्र से उम्मीदवारों का जो पैनल तैयार किया था उस पर नए सिरे से एक बार और मंथन किया जाएगा फिर केन्द्रीय चुनाव समिति को सूची भेज दी जाएगी। केन्द्रीय चुनाव समिति इनमें से उम्मीदवारों का चयन करेगी। यहां ज्ञातव्य है कि मुरैना से सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू, पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह प्रमुख दावेदार हैं। गोविंद सिंह यहां से 2014 में चुनाव लड़ चुके हैं और भाजपा के अनूप मिश्रा के सामने पराजित होकर तीसरे नबंर पर रहे थे। जबकि बसपा से चुनाव लड़े वृन्दावन सिंह सिकरवार दूसरे नबंर पर थे। ऐसे में कांग्रेस नीटू सिकरवार पर अथवा ब्राह्मण समाज से पंकज उपाध्याय (विधायक) या अन्य किसी ब्राह्मण नेता पर कांग्रेस दांव लगा सकती है़। इसी प्रकार भिण्ड से फूलसिंह वरैया, देवाशीष जरारिया, ग्वालियर से पूर्व विधायक प्रवीण पाठक, पूर्व सांसद रामसेवक सिंह , पूर्व मंत्री लाखन सिंह में से किसी को मैदान में उतार सकती है। वहीं गुना में सिंधिया के सामने यादव व रघुवंशी समाज के मतदाताओं की संख्या देखते हुए पूर्व विधायक वीरेन्द्र सिंह रघुवंशी या किसी यादव समाज के नेता को चुनाव लड़ा सकती है। यहां कांग्रेस के नेता जितेन्द्र सिंह से लेकर जीतू पटवारी और विधायक जयवर्धन सिंह तक कड़े मुकाबले की बात करते नजर आ रहे है़ं। फिलहाल सबकी निगाहें कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची और चुनाव पर राहुल गांधी की न्याय यात्रा का कितना असर पडा़, इसका परिणाम देखने पर लगी हैं।

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