ग्वालियर, न.सं.। कोरोना से बचाव के लिए हर स्तर पर तैयारी की बात की जा रही हैं, लेकिन शासकीय अस्पतालों के जिम्मेदार अधिकारी गम्भीर नहीं दिखाई दे रहे हैं। जिसका उदाहरण जिला अस्पताल व सिविल अस्पताल है, जहां सिर्फ कागजों में कोरोना से निपटने के लिए व्यवस्थां की गई है। जबकि हकीकत में सारी तैयारियां सिर्फ हवा-हवाई ही हैं।
जिला अस्पताल की बात करें तो यहां पिछले चार माह से 20 पलंग का आईसीयू बंद पड़ा हुआ है। इसके अलावा आईसीयू में रखे वेन्टीलेटर सहित अन्य उपकरण भी धूल खा रहे हैं। वहीं कोरोना को देखते हुए आईसीयू को शुरू करने के लिए सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा ने निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा था कि हर हाल में दिसम्बर के आखिरी सप्ताह तक आईसीयू शुरू कर दिया जाए। लेकिन आज दिन तक आईसीयू शुरू नहीं किया गया। इतना ही नहीं जिम्मेदारों का कहना है कि अभी आईसीयू को पूरी तरह शुरू करने में कम से कम एक माह का समय लगेंगे।
इसी तरह सिविल अस्पताल की बात करें तो यहां भी कोरोना की तैयारियों के नाम पर सिर्फ खानापूर्ती की गई है। यहां 20 पलंगों का सर्वसुविधा युक्त आईसीयू डेढ़ वर्ष पूर्व ही बन कर तैयार हो चुका है। इसके अलावा आईसीयू में 14 वेन्टीलेटर भी रखे हुए हैं, लेकिन आज दिन तक आईसीयू का लाभ एक मरीज को भी नसीब नहीं हो सका। जिसको लेकर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि आईसीयू शुरू करने के लिए स्टाफ नहीं है। जबकि जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि स्टाफ की कमी को दूर कर दिया गया है। ऐसे में स्पष्ट है कि न तो अस्पताल प्रबंधन आईसीयू शुरू करने में कोई रूची दिखा रहा और न ही जिम्मेदार अधिकारी गम्भीर हैं। यह स्थिति तब है जब भारत में कोरोना के नए वेरिएंट ने दस्तक दे दी है और केन्द्रीय मंत्री से लेकर प्रभारी मंत्री कोरोना से निपटने के लिए सारी व्यवस्थाएं दुरूस्त करने के निर्देश दे रहे हैं। उसके बाद भी जिम्मेदारों को न तो कोरोना की चिंता है और न ही मंत्रियों के निर्देशों से कोई फर्क पड़ता है।
कोरोना वार्ड के नाम पर महज चार पलंग
जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आलम यहीं नहीं थमता। शासन के निर्देश के बाद यहां चार पलंग कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित किए गए हैं। लेकिन हकीकत तो यह है कि जो चार पलंग आरक्षित किए गए हैं, वहा चिकित्सक की ओपीडी कक्ष में है। जहां न तो ऑक्सीजन पाइल लाइन से लगी है और न ही आवश्यक व्यवस्थाएं।
जांच में भी लापरवाही
कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए तीन दिन पूर्व चिकित्सा शिक्ष विभाग ने प्रदेश भर के चिकित्सा महाविद्यालयों से संबंद्ध अस्पतालों में कोरोना संदिग्ध मरीजों की जांच बढ़ाने के निर्देश दिए थे। विभाग ने आदेश दिया था कि अस्पताल में आने वाले खांसी, जुकाम और बुखार के मरीजों की आवश्यक रूप से आरटीपीसीआर जांच कराई जाए। इसके अलावा इंफ्लुएंजा जैसी गम्भीर बीमारी एवं गम्भीर तीव्र श्वासन संक्रमण से ग्रसित मरीजों की भी निगरानी की जाए। लेकिन प्रतिदिन की जाने वाली संदिग्ध मरीजों की जांचों का आंकडा 100 के पार नहीं पहुंच पा रहा है। जिसको लेकर स्पष्ट है कि जिम्मेदार कोरोना की जांच को लेकर भी गम्भीर नहीं हैं।
आईसीयू शुरू करने के लिए ठेकेदार को कई बार निर्देश दिए जा चुके हैं, लेकिन अभी एक माह का समय और लगेगा।
डॉ. आलोक पुरोहित
आरएमओ, जिला अस्पताल
आईसीयू शुरू करने के लिए स्टाफ नहीं है। स्टाफ मिलते ही आईसीयू शुरू कर दिया जाएगा।
डॉ. प्रशांत नायक
प्रभारी सिविल अस्पताल
जिला अस्पताल का आईसीयू क्यों शुरू नहीं किया गया और सिविल अस्पताल में स्टाफ उपलब्ध कराने के बाद भी कमी क्यों बताई जा रही है। इस बारे में संबंधित अधिकारियों को चर्चा की जाएगी।
डॉ. मनीष शर्मा
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी