ग्वालियर में 115 करोड़ रूपए की लागत से बने आधुनिक जिला न्यायालय भवन का लोकार्पण
न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका यह तीनों लोकतंत्र के मजबूत स्तम्भ -यादव
ग्वालियर। हमारे देश की न्यायपालिका श्रेष्ठ है और इसे विश्व भर के देश भी मानते हैं। हमारे देश की न्यायपालिका ने सामाजिक सरोकार के क्षेत्र में भी कई नवाचार किए हैं। न्यायालय केवल भवन नहीं होता बल्कि न्याय का मंदिर होता है। मंदिर में आने वाले गरीब, शोषित और जरूरतमंद व्यक्तियों को समय पर न्याय मिले, यह जरूरी है। यह बात रविवार को ग्वालियर में नवनिर्मित जिला एवं सत्र न्यायालय भवन के शुभारंभ अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कही।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी व न्यायमूर्ति एस. सी. शर्मा, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ एवं उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर के प्रशासनिक न्यायाधिपति रोहित आर्या कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित थे। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि जेल में बंद 12 से 14 साल के बच्चे जिनसे छोटे-छोटे अपराध हो गए हैं और जेल में बंद हैं उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोडऩे के लिये बंदीगृहों में शिक्षा की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका यह तीनों लोकतंत्र के मजबूत स्तम्भ हैं। ग्वालियर में जिला एवं सत्र न्यायालय का आधुनिक भवन बनकर तैयार हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नए भवन के उद्घाटन अवसर पर बारकाउंसिल के माध्यम से वकीलों की सुविधाओं के लिये जो भी मांग रखी गई है उसे राज्य सरकार पूरा करेगी।
ग्वालियर में न्याय का 150 साल पुराना इतिहास: सिंधिया
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि देश के अमृतकाल में ग्वालियर विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है। सिंधिया ने कहा कि ग्वालियर को आज न्याय की क्षमता, शासन की क्षमता और बौद्धिक क्षमता के क्षेत्र में तीन बड़ी उपलब्धियाँ प्राप्त हुई हैं। सिंधिया ने कहा कि ग्वालियर में न्याय का 150 साल पुराना इतिहास है। माधवराव सिंधिया द्वितीय के द्वारा दरबार पॉलिसी लागू की गई थी, जिसके 12 वॉल्यूम थे और सभी क्षेत्रों में न्याय मिले, इसकी व्यवस्था सिंधिया रियासत में लागू की गई थी। सन1938 में ग्वालियर हाईकोर्ट भवन का लोकार्पण भी सिंधिया परिवार के महादजी सिंधिया द्वारा किया गया था। सिंधिया ने कहा कि महिलायें आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। न्याय दिलाने के क्षेत्र में भी महिलाओं की भागीदारी बढऩा चाहिए।
न्याय दर्शन पर भी कार्य किया जाना चाहिए
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी ने कहा कि न्याय के लिए केवल भवन ही नहीं बल्कि न्याय दर्शन पर भी कार्य किया जाना चाहिए। पक्षकार को न्यायालय में समय पर न्याय मिले, इसके लिये विधि अनुसार हम सबको मिलकर कार्य करना चाहिए। इससे यालय के प्रति जो भरोसा है वह मजबूत हो सके।
बहादुरा के लड्डओं की तरह यहां के लोगों में मिठास
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस सी शर्मा ने कहा कि उनका ग्वालियर काफी पुराना नाता है। यहां के लोगों में बहादुरा के लड्डओं की तरह मिठास है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के निराकरण में उल्लेखनीय कार्य हुआ है। इसके साथ ही न्यायालयों के भवनों के निर्माण का कार्य भी मध्यप्रदेश में तेजी से हुआ है। अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए, इससे लोगों को समय पर न्याय मिल सके।
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ ने कहा कि मध्यप्रदेश में वर्ष 2023 में सबसे ज्यादा न्यायालयीन प्रकरणों का निराकरण किया गया है। कार्यक्रम के प्रारंभ में उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधिपति रोहित आर्या ने नए भवन के निर्माण में सहयोग करने वाले सभी के प्रति धन्यवाद भी ज्ञापित किया। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश बारकाउंसिल के अध्यक्ष प्रेमसिंह भदौरिया और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन पाठक ने भी अपने विचार रखे।
नए भवन का किया अवलोकन
राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एवं मध्यप्रदेश के मुख्य न्यायाधीश ने संयुक्त रूप से नए भवन का फीता काटकर शुभारंभ किया और नए भवन का अवलोकन भी किया।