जन्माष्टमी : ग्वालियर के गोपाल मंदिर में 100 करोड़ के बेशकीमती गहनों से सजेंगे राधा कृष्ण, दर्शन करने उमड़ेगी भीड़
नगर निगम द्वारा श्री कृष्ण जन्माष्ठमी महोत्सव फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर पर 7 सितंबर को बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाएगा।
ग्वालियर। नगर निगम द्वारा श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर पर 7 सितंबर को बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। जन्माष्टमी महोत्सव में फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर स्थित कृष्ण एवं राधा को उनके प्राचीन आभूषणों से सुसज्जित किया जाता रहा है। तब से प्रतिवर्ष गोपाल मंदिर की जन्माष्टमी कार्यक्रम में बेशकीमती गहने तथा भगवान के सोने - चांदी के बर्तन व सजावट का सम्पूर्ण सामान भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बैंक लॉकर से सुबह 10 बजे महापौर डॉ. शोभा सतीश सिंह सिकरवार, सभापति मनोज तोमर और निगमायुक्त और पुलिस बल के साथ देखरेख में निकाले जाएंगे और उन्ही की निगरानी में भगवान का गहनों से श्रृंगार किया जाएगा। इनकी सफाई इत्यादि कर भगवान का श्रृंगार किया जाएगा।
भक्त करेंगे भगवान के दर्शन -
दोपहर 2 बजे से भगवान के दर्शन आम नागरिकों के लिये खोले जाएंगेे। रात्रि में 1 बजे के बाद भगवान के उक्त आभूषण पुलिस बल के साथ जिला कोषालय में जमा कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से सम्पूर्ण मंदिर में पुलिस बल तथा क्लॉज सर्किट कैमरे लगाकर पल-पल की वीडियोग्राफी की जाएगी ।
100 करोड़ के कीमती गहनों से सजेंगे गोपाल जी-
जन्माष्टमी पर ग्वालियर के गोपाल मंदिर में भगवान राधा-कृष्ण के 100 करोड़ के कीमती गहनों से श्रृंगार करते हैं। सिंधिया रियासत के समय के इन गहनों में सोना, हीरा, नीलम, पन्ना, माणिक और पुखराज जैसे बेशकीमती रत्न जड़े हैं। यह गहने एंटिक हैं। इन्हें साल भर बैंक के लॉकर में विशेष सुरक्षा में रखा जाता है। जन्माष्टमी की सुबह उनको कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच बैंक के लॉकर से निकालकर लाया जाता है। जिसके बाद गहनों और उनमें जड़े रत्नों की गणना करने के बाद भगवान राधा-कृष्ण को यह पहनाए जाते हैं। जिसके बाद भक्त उनके दर्शन करते हैं। इस बार जन्माष्टमी 7 सितंबर को मनाई जा रही है। इस दौरान मंदिर के आसपास लगभग 200 से ज्यादा जवान व अफसर तैनात किए जाते हैं।
102 साल पहले हुई थी स्थापना -
इस गोपाल मंदिर की स्थापना करीब 102 साल पहले सिंधिया घराने ने ही कराई थी। यह बेशकीमती रत्न जड़े गहने भी सिंधिया घराने की देन हैं। जब राधा-कृष्ण इन गहनों को पहनते हैं तो उनकी सज्जा सभी को मोहित कर देने वाली होती है। 102 साल पहले सिंधिया परिवार ने की थी मंदिर की स्थापना गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया प्रथम ने की थी। उन्होंने भगवान की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और पहनाने के लिए रत्न जडि़त सोने के आभूषण बनवाए थे।
यह हैं बेशकीमती गहनें -
इनमें राधा-कृष्ण के 55 पन्ना जड़ित सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी जिस पर हीरे और माणिक लगे हैं, सोने की नथ, जंजीर और चांदी के पूजा के बर्तन हैं। हर साल जन्माष्टमी पर इन जेवरातों से राधा-कृष्ण का शृंगार किया जाता है। यह हैं बेशकीमती जेवरात सोना-चांदी, माता राधा के सात लड़ी के हार में पन्ना, हीरे और माणिक जड़े हुए हैं। राधा-कृष्ण दोनों के मुकुट में हीरे के साथ ही पदम, पन्ना जड़े हैं। कृष्ण की बांसूरी सोने की है और उस पर भी हीरे लगे हैं। राधा-कृष्ण के हार में बेशकीमती नीलम, पुखराज, पन्ना, माणिक लगे हैं। पूरे गहने सोने के हैं और उनमें हीरे, मोती, पन्ना, माणिक, नीलम, पुखराज ऐसे लगे हैं जैसे आकाश में तारे चमक रहे हों।
भक्तों का ख़त्म होगा सालभर का इंतजार-
इस स्वरूप को देखने के लिए भक्त सालभर का इंतजार करते हैं। यही वजह है कि भक्तों का दर्शन के लिए तांता लगा रहता है। इनमें विदेशी भक्त भी शामिल रहते हैं। नगर निगम करता है रख-रखाव का प्रबंधन गोपाल मंदिर में राधा-कृष्ण पर चढ़ाए जाने वाले बेशकीमती व एंटीक गहनों का रख-रखाव और उनको बैंक से निकालने का काम नगर निगम प्रशासन के जिम्मे रहता है। गोपाल मंदिर में विराजमान राधाकृष्ण के विशेष श्रृंगार के लिए बेशकीमती गहनों को बैंक लॉकर में रखा जाता है। नगर निगम ग्वालियर के पास इनको निकालने व रखने का अधिकार है। जन्माष्टमी से पहले एक समिति बनाई जाती है, जो जन्माष्टमी की सुबह गहनों को बैंक लॉकर से निकालकर राधा-कृष्ण का शृंगार करवाती है। रात भर मंदिर भक्तों के लिए खुला रहता है। अगले दिन सुबह गहने निकालकर उन्हें बॉक्स में रखकर वापस बैंक लॉकर में रखवा दिया जाता है। यह पुलिस की विशेष सुरक्षा में रहता है। जब गहने निकाले जाते हैं तो 30 से 40 पुलिस जवान ट्रिपल लेयर सिक्युरिटी देते हैं। साल 2007 से लगातार हो रहा है शृंगार देश की आजादी से पहले तक भगवान इन जेवरातों धारण किए रहते थे, लेकिन आजादी के बाद से जेवरात बैंक के लॉकर में रखवा दिए गए। जो 2007 में नगर निगम की देखरेख में आए और तब से लेकर हर जन्माष्टमी पर इन्हें लॉकर से निकाला जाने लगा। तभी से लगातार हर जन्माष्टमी पर यह गहनों से भगवान राधा-कृष्ण सजते हैं।