जीवाजी के छात्र ने तैयार किया ऑटोमेटिक एक्सीडेंट अलर्ट सिस्टम
एक्सीडेंट होने पर अपने आप ही लोकेशन के साथ पहुंच जाएगा मैसेज
ग्वालियर, न.सं.। सडक़ दुर्घटनाओं की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। वहीं कई दुर्घटनाओं में परिजनों को समय पर जानकारी नहीं मिल पाती और चालक की मृत्यु हो जाती है। इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए जीवाजी विश्वविद्यालय के छात्र ने एक डिवाइस तैयार किया है। जिसकी मदद से अगर सडक़ दुर्घटना होती है तो परिजनों को ऑटोमेटिक मैसेज पहुंच जाएगा।
जीवाजी विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग कम्प्यूटर साइंस के छात्र तुसार का कहना है कि सडक़ दुर्घटनाओं में कई बार मदद या फिर परिजनों तक इसकी जानकारी बहुत देर से पहुंचती है। जिस कारण चालक की मृत्यु तक हो जाती है। इसी के चलते उन्होंने एक ऑटोमेटिक एक्सीडेंट अलर्ट सिस्टम तैयार किया है। इसमें प्रेशर प्लेट टेक्निक का इस्तेमाल किया है और साथ में एक सिम भी लगाई गई है। जिससे एक्सीडेंट के दौरान जब कार किसी से टकराती है तो डिवाइज में इंस्टॉल सिम कार्ड के जरिए यह सूचना दोस्त या परिजनों के पास मैसेज के जरिए पहुंच जाएगी। इसके अलावा डिजाइज के जरिए लाइव लोकेशन भी पहुंच जाएगी। जिससे चालक को समय पर मदद मिल सके और उसे जल्द अस्पताल तक पहुंचाया जा सका।
डेढ़ से दो हजार में मिल सकेगा डिजाइस
छात्र द्वारा तैयार किया गया डिवाइस किसी भी चार पहिया वाहन में लगाया जा सकता है। वहीं डिवाइज तैयार करने में डेढ़ से दो हजार का खर्चा आया है। जिसे दो से तीन माह में वाहनों में लगाकर प्रशिक्षण किया जाएगा। अगर सब ठीक रहा तो फिर इसे बाजार में भी उपलब्ध कराया जाएगा।
ऑटोमेटिक कार सेंसर पर भी कर रहे काम
इंजीनियरिंग के छात्रों द्वारा सडक़ दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक अन्य डिवाइज पर भी शोध किया जा रहा है। जिसकी मदद से गाड़ी चलाते वक्त चालक को अलर्ट करके एक्सीडेंट होने से बचाएगा। विवि के गेस्ट फैकल्टी आदित्य पाराशर का कहना है कि विभाग के कुछ विद्यार्थी एक ऐसा डिवाइज तैयार कर रहे हैं, जिसकी मदद से चालक को ऑडियो अलर्ट से सतर्क रखा जा सकता है। इनमें चालक की आंखों और चेहरे के आधार पर नींद का अनुमान लगाने वाले सिस्टम लगाया जाएगा, जिससे अगर चालक को नींद आती है तो डिवाइज चालक को अलर्ट करने के साथ ही अपने आप ही गाड़ी का ब्रेक लगा देगा।
छात्र द्वारा ऑटोमेटिक एक्सीडेंट अलर्ट डिवाइज तैयार किया गया है। जिसके परीक्षण के बाद जल्द ही बाजार में भी उपलब्ध कराया जाएगा। जिससे सडक़ दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के आंकड़ों को कम किया जा सकता है।
आदित्य पाराशर
अतिथी प्राध्यापक