भगवान कार्तिकेय साल में एक दिन देते है दर्शन, जानिए पौराणिक कारण

Update: 2020-11-28 03:00 GMT

ग्वालियर। हिन्दू संवतसर में कार्तिक मास को साल सर्वश्रेष्ठ मास माना जाता है। इस माह में आने वाली पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय के दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस माह में कार्तिकेय को भगवान विष्णु द्वारा धर्म मार्ग को प्रबल करने की प्रेरणा दी गई थी। यह माह कार्तिकेय द्वारा की गई साधना का माह माना जाता है, इसलिए इस माह का नाम कार्तिका मास पड़ा। ग्वालियर में जीवाजी गंज स्थित कार्तिकेय मंदिर में बड़ी धूमधाम से कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है। साल में सिर्फ कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस मंदिर के पट खोले जाते है। इस साल 30 नवंबर के दिन कार्तिकेय मंदिर के पट खुलेंगे। ये मंदिर करीब 400 साल पुराना मप्र का इकलौता मंदिर है। मंदिर में भगवान कार्तिकेय के साथ गंगा, यमुना, सस्वती और त्रिवेणी की मूर्तिया भी स्थापित है।

इस दिन सुबह चार बजे से मंदिर के पट खुल जाते है। इसके बाद पुजारी द्वारा भगवान कार्तिकेय का श्रृंगार एवं पूजा कर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिर खोल दिया जाता है।  मंदिर प्रांगण में स्थित गंगा, जमुना, सरस्वती एवं  हनुमान जी के नित्य दर्शन और पूजन किये जाते है, लेकिन भगवान कार्तिकेय का पूजन एवं दर्शन साल में एक बार ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन होता है। भगवान् कार्तिकेय साल में एक दिन पूजन एवं दर्शन के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है।  

पौराणिक कथा - 

कथा अनुसार भगवान् शिव और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्रों गणेश और कार्तिकेय के बीच एक प्रतियोगिता का आयोजन किया। उन्होंने अपने दोनों पुत्रो के सामने शर्त रखी की जो तीनों लोकों की परिक्रमा कर सबसे पहले हमारे पास आएगा, वह विजेता और योग्य समझा जायेगा।  प्रतियोगिता प्रारम्भ होने के बाद भगवान कार्तिकेय अपने वाहन मयूर पर सवार हो तीनो लोकों की परिक्रमा पर चले गए। वहीँ दूसरी ओर भगवान गणेश ने अपने माता-पिता शिव-पार्वती की परिक्रमा करने लगे।  क्योंकि उनमें तीनों लोक समाहित होते हैं।भगवान गणेश की इस बुद्धिमत्ता को देखते हुए शिव -पार्वती सहित सभी देवताओं ने उन्हें विजेता मान लिया। उन्हें आशीर्वाद दे दिया कि उनकी पूजा सभी देवी देवताओं से पहले होगी।  कार्तिकेय जब वापिस लौटे तो वह गणेश जी की इस प्रकार जीत देख नाराज हो गए। वह क्रोधित होकर एक गुफा में बंद हो गए। उन्होंने सभी महिला और पुरुष को श्राप दे दिया। जो महिला उनके दर्शन करेगी वह विधवा हो जाएगी,एवं जो पुरुष दर्शन करेंगे वह 7 जन्म नरक में जाएंगे। कार्तिकेय को इस तरह क्रोधित देख भगवान शिव ने उन्हें समझाया एवं क्रोध शांत किया।  जब कार्तिकेय का क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने वरदान दिया की भगवान कार्तिकेय के जन्मदिन के अवसर पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन भक्त उनके दर्शन कर सकेंगे। इसलिए साल में एक दिन इस मंदिर के पट दर्शन के लिए खुलते है।









Tags:    

Similar News