इस बार शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी योग, आज मनेगी, नहीं होंगे बड़े आयोजन

Update: 2020-10-30 01:00 GMT

ग्वालियर, न.सं.। समुद्र मंथन के दौरान महालक्ष्मी शरद पूर्णिमा पर ही प्रगट हुई थीं, इसलिए इसे लक्ष्मी के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार शरद पूर्णिमा शुक्रवार को लक्ष्मी योग में मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी के अनुसार सात वर्ष बाद ऐसा संयोग बन रहा है। इससे पूर्व 18 अक्टूबर 2013 में शुक्रवार को इस प्रकार का योग आया था। इस बार शरद पूर्णिमा का चंद्रोदय सर्वाथसिद्धि योग और लक्ष्मी योग में हो रहा है, जिससे इस दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व रहेगा। अश्विनी मास की पूर्णिमा तिथि 30 अक्टूबर शाम को 5.45 बजे शुरू होगी और रातभर पूर्णिमा तिथि रहेगी। इसलिए शुक्रवार की रात शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि अगले दिन 31 अक्टूबर को पूरे दिन रहेगी और रात को करीब आठ बजे खत्म हो जाएगी, इसलिए शनिवार को व्रत, पूजा, तीर्थ स्नान और दान किया जाना चाहिए।

शरद पूर्णिमा पर पांच शुभ योग रहेंगे

इस वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का उदय पांच शुभ योगों में होगा, जिसके प्रभाव से जातक को को अच्छी सेहत और धन लाभ मिलेगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार पूर्णिमा तिथि वार नक्षत्र से मिलकर सर्वसिद्धि योग बन रहा है। इस योग में किए गए सभी काम शुभ होते हैं और जातकों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लक्ष्मी शंख महाभाग्य योग और शश नाम के चार राजयोग बनने से यह दिन खास है। इस पर्व पर गुरु और शनि भी अपनी-अपनी राशि में रहकर शुभ फल प्रदान करेंगे।

केवल प्रसाद वितरण होगा

कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए इस बार शहर के बड़े मंदिरों पर शरदोत्सव छोटे रूप में मनाया जाएगा। अचलेश्वर महादेव मंदिर पर सोमवार को दोनों में खीर का वितरण होगा। वहीं सनातन धर्म मंदिर में भी इसी प्रकार की व्यवस्था रहेगी।

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