सकारात्मक दृष्टि देता है साहित्य : डॉ. राजरानी शर्मा

स्वदेश के दीपावली विशेषांक को साहित्यकारों ने सराहा

Update: 2020-11-23 01:00 GMT

ग्वालियर,न.सं.। साहित्य मन की व्याधियों की औषधि है। साहित्य के नाम पर जो भी आपको आता है, उसे सार्वजनिक करना चाहिए। क्योंकि साहित्य समाज को सार्थक और सकारात्मक दिशा प्रदान करता है। उक्त उद्गार वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं साहित्यकार डॉ. राजरानी शर्मा ने महिला साहित्यकारों के मिलन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. प्रतिभा त्रिवेदी ने की। संचालन वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मंजूलता आर्य ने किया।

कार्यक्रम में डॉ. राजरानी शर्मा ने आगे कहा कि अगर आपके अंदर सरलता, सहजता और समाज के प्रति आत्मीयता का भाव है तो निश्चित ही आप भारतीय हैं। स्वदेश के दीपावली विशेषांक में भारतीयता का प्रवाह है। साहित्य  भारतीय परिवेश का अंग है। उन्होंने साहित्यकारों से अपील करते हुए कहा कि आपके पास जो ज्ञान है, जो विवेक है, उसे प्रसारित कीजिए। यही एक भारतीय साहित्यकार का कर्तव्य होता है। उन्होंने कहा कि साहित्यकार का लेखन दीपावली है, जैसे घर को प्रकाशित करने के लिए दीपों की मालिका का महत्व है, वैसे ही समाज को प्रकाशित करने के लिए शब्दों की मालिका का भी महत्व है। हम सब शब्दों की मालिका से समाज के हितवर्धन का कार्य करें। क्योंकि साहित्य वही होता है, जिसमें समाज का हित हो। कार्यक्रम में डॉ. मंजूलता आर्य, सविता शर्मा, व्याप्ति उमड़ेकर ने भी सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए। आभार प्रदर्शन महिमा तारे ने व्यक्त किया।

दैवीय कृपा से बनता है साहित्यकार : डॉ. प्रतिभा त्रिवेदी

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. प्रतिभा त्रिवेदी ने कहा कि एक व्यक्ति में जब दैवीय गुणों का उदय होता है, तब उसके साहित्यकार बनने का मार्ग प्रशस्त होता है। साहित्यकार बनाया नहीं जा सकता, वह सहजता और स्वस्फूर्ति से ही बनता है। वास्तविकता यह है कि दैवीय कृपा से ही साहित्यकार का उदय होता है। समाज उचित मार्ग की ओर कदम बढ़ाए, यह दिशा साहित्यकार ही दे सकता है। साहित्यकार को समाज को दिशा देने के लिए अपने हिस्से का काम करना है। इससे प्रेरणा लेकर अन्य व्यक्ति भी इस पुनीत पथ पर अग्रसर होंगे।

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