अर्जुन, दिग्गी के बाद कमलनाथ बने ग्वालियर अंचल के विकास में रोड़ा: पाराशर
ग्वालियर। स्वदेश से विशेष चर्चा करते हुए भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेन्द्र पाराशर ने उप चुनाव कार्यालय की जानकारी देते हुए बताया कि इसे अत्याधुनिक तरीके से तैयार किया जा रहा है। ताकि यहां संगठन की बैठकें और पत्रकारवार्ता आदि हो सकें। उन्होंने कहा कि ग्वालियर-चंबल अंचल में जो भी विकास कार्य हुए हैं वह सिंधिया राजपरिवार और भाजपा सरकारों ने किए हैं। अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह द्वारा दुर्भाग्य से स्व. माधवराव सिंधिया को नीचा दिखाने के लिए ग्वालियर-चंबल संभाग की हमेशा उपेक्षा की गई। इसी परम्परा को 15 माह तक कमलनाथ ने बखूबी निभाया। अब हम उनके द्वारा किस तरह से विकास कार्यों को अवरुद्ध किया गया उसके खिलाफ पूरी रणनीति के साथ तैयार हैं। यहां कमलनाथ आए तो हमारे द्वारा उठाए गए एक भी सवाल का जवाब नहीं दे सके। हम उनकी कठिनाई समझते हैं क्योंकि उनके पास ग्वालियर-चंबल अंचल के बारे में कहने को कुछ नहीं है।
वैसे भी यहां के लोगों ने पिछले विधानसभा चुनाव में राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री का चेहरा मानते हुए मत दिया था। कमलनाथ ने पहला धोखा यही दिया कि जो सिंधिया को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया। इसके बाद वे यहां के मंत्रियों एवं विधायकों को नापसंद करते रहे। जिससे चंबल एक्सप्रेस वे, चंबल से पानी, एक हजार बिस्तर का अस्पताल, ओपन हार्ट सर्जरी, आरओबी के निर्माण में रोड़ा बने रहे। इतना ही नहीं जब मुरैना, श्योपुर क्षेत्र में बाढ़ आई तो न तो वे दौरा करने आए और न ही किसानों का मुआवजा दिया। बाद में शिवराज सरकार बनने पर उन्होंने गोहद में मुआवजा वितरित किया। श्री पाराशर ने कहा कि ऐसा कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने ग्वालियर-चंबल में श्री सिंधिया के प्रभाव को रोकने के लिए किया। उन्हें यहां की माटी के स्वाभिमान का ऐहसास नहीं था। उन्हें उसी दिन समझ जाना था जब कैबिनेट में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तो उंगली उठाते हुए कमलनाथ से दो टूक कहा था कि ऐसा नहीं चलेगा। सिंधिया के वचनपत्र निभाने की चेतावनी भी दरकिनार की। इसीलिए उनका अहंकार ही उन्हें ले डूबा।
श्री पाराशर ने कहा कि ग्वालियर आकर कमलनाथ ने कर्जमाफी के फर्जी आंकड़े प्रस्तुत कर वाहवाही लूटनी चाही, उन्हें अपना सामान्य ज्ञान बढ़ाना चाहिए क्योंकि उनके द्वारा किसानों को फर्जी सर्टिफिकेट तो दे दिए किंतु उनके बैंक खाते में कोई राशि नहीं पहुंची। आज भी किसानों पर 56 हजार करोड़ का कर्ज है, उसकी बिफलता की जिम्मेदारी लेने की बजाय कमलनाथ अब अपना वायदा तोड़कर यह कहना चाहते हैं कि कुपात्र किसानों को कर्जमाफी का वायदा नहीं किया था। ऐसा कहकर वह किसानों के पेट पर लात मार रहे हैं। इतना ही नहीं उनके द्वारा बेरोजगारी भत्ता, कन्या विवाह की राशि, गौशाला निर्माण, गरीबों को मुफ्त दवा तक मुहैया नहीं कराई। सबसे बड़ा धोखा तो उन्होंने मीसाबंदियों की पेंशन बंद करके किया। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा ग्वालियर सांसद रहते 10 हजार करोड़ के विकास कार्य कराए थे जिनसे यहां पांच फ्लाईओवर, सड़कों का जाल बिछाया गया। उन्होंने कमलनाथ सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि वे ऐसे मुख्यमंत्री थे जिन्होंने पद पर रहते हुए संविधान की धज्जियां उड़ाई और सीएए के खिलाफ रैली निकाली। ये वही कमलनाथ हैं जो देश में आपातकाल लगाने वाले कू्रर मंडली के सदस्य थे।