गुरू पूर्णिमा पर पड़ेगा चन्द्रग्रहण, भारत में नहीं होगा असर

Update: 2020-06-29 01:00 GMT

ग्वालियर, न.सं.। हिन्दू धर्म में गुरू को माता-पिता और भगवान से भी ऊपर बताया गया है। जहां गुरू का सम्मान नहीं होता, वहां कभी तरक्की नहीं होती है। गुरूओं के सम्मान में हर वर्ष गुरू पूर्णिमा मनाई जाती है। इस वर्ष गुरू पूर्णिमा पांच जुलाई को मनाई जाएगी। इस बार गुरू पूर्णिमा पर वर्ष का तीसरा चन्द्र ग्रहण पडऩे जा रहा है। मगर यह चन्द्रग्रहण भारत में मान्य नहीं होगा और न ही इसका असर रहेगा। इस दिन किसी भी प्रकार का कोई सूतक भी नहीं होगा।

बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश सोनी के अनुसार धार्मिक मान्यताओं में गुरू पूर्णिमा के पावन दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण देपायन व्यास का जन्म भी हुआ था। कृष्ण देपायन व्यास संस्कृत के महान विद्वान थे। हिन्दू धर्म में 18 पुराणों का जिक्र है, जिनके रचयिता महर्षि वेदव्यास हैं। श्री सोनी ने बताया कि गुरु पूर्णिमा पर वर्ष 2018 में 27 जुलाई शुक्रवार को और 2019 में 16 जुलाई को चन्द्रग्रहण दिखाई दिया था तथा आने वाली 5 जुलाई को भी गुरू पूर्णिमा के दिन चन्द्रग्रहण का योग बन रहा है। यह लगातार तीसरा वर्ष है जब पूर्णिमा पर चन्द्रग्रहण का योग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि गुरू पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ चार जुलाई को सुबह 11.33 से प्रारंभ होकर 5 जुलाई को सुबह 10.13 तक रहेगा।

भारत में नहीं दिखेगा ग्रहण

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस ग्रहण काल में सूतक काल मान्य नहीं होगा। यह दक्षिण एशिया के कुछ हिस्से अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देंगे। खगोल वेदी घटना के अनुसार वर्ष 2020 में कुल छह ग्रहण हैं। इसमें से चन्द्र ग्रहण पांच जून व एक सूर्य ग्रहण 21 जून को लग चुका है। आगामी समय में दो चन्द्र ग्रहण व एक सूर्यग्रहण और लगेगा। चन्द्र ग्रहण अमेरिका में चार जुलाई रात 8.05 से शुरू होकर 10.52 तक दिखाई देगा। यह ग्रहण तीन घंटे तक देखा जा सकेगा। केपटाउन में पांच जुलाई को सुबह पांच बजे तक खत्म होगा। इसके बाद पांच महीने 25 दिन बाद 30 नवंबर को चन्द्र ग्रहण और 14 दिसम्बर को पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा, इसे हम भारत में नहीं देख सकेंगे। 

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