चुनाव के कारण अटकी तिघरा बांध की मरम्मत, 20 के बाद होगा निर्णय
टेंडर प्रक्रिया पूरी तो हुई, लेकिन खुल नहीं पाए टेंडर
ग्वालियर,न.सं.। शहर की प्यास बुझाने वाले सबसे पुराने बांधो में शामिल करीब 100 साल पुराने तिघरा बांध में होने वाले लीकेज की मरम्मत निकाय चुनाव के कारण अटक गई है। अगर चुनाव नहीं होते तो अभी तक बांध की मरम्मत का कार्य शुरु हो चुका होता। फिलहाल जलसंसाधन विभाग के अधिकारी आचार संहिता हटने का इंतजार कर रहे है। तिघरा बांध के लीकेज के सुधारने के लिए 17.54 करोड़ रुपए स्वीकृत पहले ही चुके है। साथ ही टेेंडर भी लगा दिए गए थे। लेकिन टेंडर खुलने के बाद आचार संहिता लगने के कारण आगे की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। अब आचार संहिता हटने के कारण पता चलेगा कि कौन सी कंपनी इस बांध की मरम्मत करेगी।
यहां बता दे कि तिघरा बांध में दो दर्जन से ज्यादा बड़े लीकेज हो गए है। जिसके कारण रोजाना हजारों लीटर पानी बह जाता है। अगर इन लीकेज को शीघ्र ठीक नहीं कराया गया तो बांध के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा सकता है। जल संसाधन विभाग ने इन लीकेज को भरने के लिए दो साल पहले टेंडर भी निकाले थे, लेकिन कोई भी एजेंसी बांध की मरम्मत करने को तैयार नहीं थी, पहली बात तो बांध की गहराई में जाकर लेकर ठीक करना कठिन कार्य है। वहीं दूसरी ओर बांध में मौजूद मगरमच्छ भी मरम्मत कार्य में खतरा पैदा कर सकते हैं। बांध के खतरे को देखते हुए भोपाल में बैठक अधिकारियों ने टेंडर की शर्तो में बदलाव कर दुबारा टेँडर निकाले, लेकिन आचार संहिता लगने के कारण पूरी प्रक्रिया अटक गई।
- 1916 में पूर्ण हुआ निर्माण
- 1910 में तिघरा डेम का निर्माण शुरू हुआ व 1916 में पूर्ण हुआ।
- माधवराव सिंधिया प्रथम ने इस बांध का निर्माण कराया था।
- तिघरा बांध 24 मीटर ऊंचा और 1341 मीटर लम्बा है।
- 412.24 स्कवायर किलोमीटर है तिघरा बांध का कैचमेंट एरिया।
- सांक नदी पर बना है तिघरा बांध, इसके तीन और पहाड़ी हैं।
- बांध को केन्द्रीय जल संसाधन विभाग ने हेरिटेज माना है।
- बांध बनाने के लिए महान इंजीनियर एम. विश्वेश्वरैया की मदद ली।
जियो फिजिकल की रिपोर्ट में हुआ था खुलासा
तिघरा बांध की जमीन व दीवार की नींव कमजोर नहीं है। बांध के पुराने 64 गेटों की दीवार के सुराख उसे कमजोर कर रहे हैं। यह खुलासा कुछ साल पहले बांध की जियो फिजिकल इंवेस्टीगेशन रिपोर्ट में हुआ था। साथ ही ये भी कहा था कि इन सुराखों का जल्द ही ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो यह बांध के लिए खतरनाक हो सकता है।
ऐसे करेंगे लीकेज बंद
जल संसाधन विभाग जिस कंपनी को जिम्मेदारी देगा, वह आधुनिक यंत्र और मशीनों के माध्यम से लीकेज को बंद करने का काम करेगी। इसमें पानी के अंदर यंत्रों के माध्यम से रोशनी डालकर लीकेज का पता करेंगे। यह काम टोमोग्राफी के माध्यम से किया जाएगा। इसके बाद जलाशय के अंदर के लीकेज को बंद करने का काम होगा। जलाशय की दीवार से निकल रहे पानी को रोकने के लिए ड्रिलिंग और ग्राउंडिंग का उपयोग किया जाएगा।
लीकेज वाले स्थान से पानी से कटने की संभावना
तिघरा के लीकेज का संधारण का कार्य करना इसलिए भी जरूरी है कि तिघरा काफी पुराना है और उसमें जगह जगह लीकेज होने से लीकेज वाले स्थान से पानी कटने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। जिससे बांध टूटने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। बांध में लीकेज अधिक होने के चलते एक साल में करीब डेढ़ महीने सप्लाई का पानी यू ही बह जाता है।
इनका कहना है
बांध की मरम्मत के लिए राशि पहले ही स्वीकृत हो चुकी है। टेंडर भ्ी लगा दिए गए थे, लेकिन टेंडर खुलने के समय ही आचार संहिता लग गई, जिसके चलते यह प्रक्रिया रक गई है। मैं शुक्रवार को भोपाल जा रहा हूं, इस संबंध में जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।
आरपी झा,
चीफ इंजीनियर,जल संसाधन विभाग