ग्वालियर,न.सं.। नगर निगम में महापौर और 66 वार्ड के पार्षदों के चुनाव में अब पांच दिन शेष है ऐसे में मैदान में उतरे दावेदार प्रचार अभियान में पूरी ताकत लगा रहे है। उमस भरी गर्मी में महापौर और पार्षद पद के प्रत्याशियों का पसीना छूट रहा है। इस बीच सात साल बाद नई परिषद की तस्वीर बदली-बदली रहेगी। क्योंकि आरक्षण के चलते कई सूरमा पार्षद चुनाव मैदान से बाहर है। ऐसे में नए चेहरों की भरमार है। जिनमें पूर्व पार्षदों की पत्नी, मां, बहन, बेटी और भतीजी मैदान में दिखाई दे रही है। इनमें कौन बाजी मारकर परिषद की दहलीज चढ़ेगा यह अभी तय नहीं है। लेकिन इतना जरुर है कि नई परिषद में नए चेहरों को बोलबाला होने जा रहा है। इनमें से कई बड़ी डिग्रिया लिए हुए है इनमें अनुभव का लाभ भी नगर निगम को मिल सकता है।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा वार्ड आरक्षण के चलते कई पुराने पार्षदों के वार्ड बदल जाने से वे चुनाव मैदान में नहीं उतर पाए है। लेकिन अपने दखल के चलते रिश्तेदारो को मैदान में उतारने में सफल रहे है। इस तरह एक या दो बार चुनाव जीते पार्षद वरिष्ठ कहे जाएंगे। जबकि तीसरी बार के पार्षद बनने वाले को सभापति की दौड़ के अलावा एमआईसी की पात्रता मिल सकती है।
नहीं मिल पाएगा इनका अनुभव
-कांग्रेस के पूर्व नेता प्रतिपक्ष शम्मी शर्मा अस्वस्था के कारण चुनाव नहीं लड़ पा रहे। वैसे भी वे पिछली बार वार्ड बदलकर 44 से लड़े थे तो पराजित हो गए थे। इस बार उन्होंने वार्ड 43 से अपनी बेटी शिखा शर्मा को मैदान में उतारा है।
- गंगाराम बघेल भाजपा के चार बार के पार्षद है। वे सभापति भी रहे किंतु इस बार अस्वस्थ होने के कारण चुनाव नहीं लड़ रहे है।
- कांग्रेस के पूर्व नेता प्रतिपक्ष रहे कृष्णराव दीक्षित बड़े बड़े कारनामे उजागर करते रहे है उनकी दबंग आवाज परिषद में सुनाई नहीं देगी। उनका वार्ड आरक्षण की भेंट चढ़ गया। इसीलिए वह चुनाव नहीं लड़ रहे।
-नेता प्रतिपक्ष रहे देवेन्द्र तोमर लगातार दूसरी बार परिषद में दिखाई नहीं देंगे। उनके छोटे भाई प्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री है।
- कांग्रेस के आनंद शर्मा की शैली भी दूसरी बार परिषद नहीं होगी। उन्होंने इस बार चुनाव न लडऩे की घोषणा की है। पिछला चुनाव वह सतीश बोहरे से हार गए थे।
-नेता प्रतिपक्ष रहे सुधीर गुप्ता भी इस बार चुनाव मैदान में नहीं है। पिछली बार उनकी पत्नी वार्ड 43 से पराजित हो गई थी।
-भाजपा के एमआईसी सदस्य रहे सतीश बोहरे इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे है। बल्कि वार्ड 49 से अपनी पत्नी रश्मि बोहरे को चुनाव लड़ा रहे है।
-कांग्रेस विधायक सतीश सिंह सिकरवार चार बार के पार्षद रहे है। लेकिन विधायक बन जाने और पत्नी शोभा सिकरवार को महापौर का टिकट मिलने के कारण वे चुनाव नहीं लड़ रहे।
इन चेहरों को मिला मौका
-पूर्व एमआईसी सदस्य खुशबू गुप्ता वैसे तो महापौर पद की दावेदार थी। लेकिन एक बार फिर वह वार्ड 53 से पार्षद पद के लिए चुनाव मैदान में है।
-कांग्रेस पार्षद रहे हरिपाल वार्ड 48 से भाजपा से चुनाव मैदान में है। वे और उनकी पत्नी चार बार पार्षद रहे चुके है।
-उपनेता प्रतिपक्ष केशवा मांझी वार्ड 6 से एक बार फिर भाग्य अजमा रहे है।
-भाजपा के वरिष्ठ पार्षद मनोज तोमर भी इस बार वार्ड 55 से चुनाव मैदान में है।
-निर्दलीय और भाजपा से पार्षद रहे जगत सिंह कौरव स्वयं चुनाव नहीं लड़ पा रहे है। लेकिन इस बार वार्ड 1 से उन्होंने अपनी भाभी अनीता कौरव को मैदान में उतारा है।
-भाजपा से पार्षद रही अंजली रायजादा ने पिछला चुनाव निर्दलीय लड़ा था, इस बार वह वार्ड 33 से भाजपा की प्रत्याशी है।
-पूर्व सभापति राकेश माहौर इस बार चुनाव नहीं लड़ पा रहे है। लेनिक वार्ड 39 से उनकी पत्नी राजाबेटी माहौर चुनाव मैदान में है।
-कांग्रेस के अलबेल सिंह घुरैया लगातार दूसरी बार चुनाव नहीं लड़ पा रहे है, लेकिन लगातार दूसरी बार उनकी पत्नी गंगा अलबेल वार्ड 40 से चुनाव मैदान में है।
-कांग्रेस से पाला बदलकर वार्ड 44 से पार्षद बने बाबूलाल चौरसिया इस बार परिषद में दिखाई नहीं देंगे। इसी वार्ड से उनकी पत्नी भगवती चौरसिया चुनाव लड़ रही है।
हर बार निर्दलीय चुनाव जीतने वाले घनश्याम गुप्ता को इस बार भाजपा ने वार्ड 46 से टिकट दिया है।
एमबीबीएस, एमबीए, पीएचडी धारक लड़ रहे पार्षदी का चुनाव
इस बार की परिषद में पढ़े लिखे पार्षदों का अनुभव शहर के विकास में काम आने वाला है। वार्ड 33 से भाजपा की अंजलि रायजादा एमबीबीएस है। वार्ड 58 से भाजपा की अपर्णा पाटिल एलएलबी के साथ जर्नलिज्म की डिग्री भी है। वार्ड 41 से पीयूष गुप्ता विदेश से एमबीए करके आए है। वार्ड 52 से कांग्रेस की संध्या कुशवाह पीएचडी है। वार्ड 24 से भाजपा के नागेन्द्र राणा एलएलबी है। वार्ड 43 से कांग्रेस की शिखा शर्मा एमबीए है।