ग्वालियर, न.सं.। कोरोना संक्रमण काल में मानसून भी संभवत: क्वारेंटाइन हो गया है। तभी तो 24 जून को दस्तक देने के बाद से अब तक ग्वालियर में एक दिन भी बारिश नहीं हुई है। ग्वालियर में मानसून के प्रवेश के 12 दिन बीत जाने के बाद भी उमस भरी भीषण गर्मी के हालात बने हुए हैं। बीते तीन जुलाई को तो तापमान रिकॉर्ड 43.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। हालांकि पिछले दो दिनों से पूर्वी हवाएं चलने से तापमान में 8.7 डिग्री सेल्सियस की कमी दर्ज की गई है।
ग्वालियर-चम्बल के आसमान में बीते शुक्रवार से निरंतर बादल छाए हुए हैं, लेकिन बारिश नहीं हो रही है, जबकि आसपास के जिलों में बारिश का क्रम जारी है। सोमवार को भी दतिया जिले में करीब 32 मिली मीटर बारिश हुई, लेकिन ग्वालियर में सूखा पड़ा हुआ है। स्थानीय मौसम विज्ञानी सी.के. उपाध्याय ने बताया कि मानसून की अक्षीय रेखा ग्वालियर से दक्षिण में गुना-शिवपुरी के मध्य से गुजर रही है, जो ग्वालियर से काफी नीचे है, इसलिए ग्वालियर में बारिश नहीं हो रही है। यह रेखा थोड़ी सी ऊपर उठकर उत्तर की ओर आएगी, तब बारिश की स्थिति बनेगी। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ऊपरी हवाओं के चक्रवात और गुजरात में कक्ष के आसपास कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। साथ ही अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों ओर से नमी भी आ रही है। इसी कारण बादल छाए हुए हैं। इससे मंगलवार और बुधवार को ग्वालियर सहित पूरे ग्वालियर-चम्बल में बारिश होने की उम्मीद है।
अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे
पिछले 12 दिनों से बारिश भले ही नहीं हुई है, लेकिन दो-तीन दिन से पूर्वी हवाएं चलने से अधिकतम तापमान अब सामान्य से नीचे आ गया है, जिससे गर्मी से आंशिक राहत बनी हुई है। स्थानीय मौसम विज्ञान केन्द्र के अनुसार पिछले दिन की तुलना में सोवमार को अधिकतम तापमान 1.6 डिग्री सेल्सियस गिरावट के साथ 34.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो औसत से 2.3 डिग्री सेल्सियस कम है, जबकि न्यूनतम तापमान 0.4 डिग्री सेल्सियस आंशिक वृद्धि के साथ 28.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो औसत से 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक है। आज सुबह हवा में नमी 69 और शाम को 59 प्रतिशत दर्ज की गई।