नैरोगेज को चलाने की कवायद तेज, मोतझील तक किया रेलवे अधिाकरयों ने सर्वे

बानमौर में बन सकता है यार्ड, ग्वालियर में नहीं दिखी पर्याप्त जगह

Update: 2023-02-03 00:30 GMT

ग्वालियर,न.सं.। ग्वालियर से मोतीझल होते हुए बानमौर तक नैरोगेज ट्रेन को हैरीटेज ट्रेन के रूप में चलाने की कवायद तेज हो गई है। शायद यही कारण है कि गुरूवार को रेलवे के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने भाजपा जिला उपाध्यक्ष सुधीर गुप्ता के साथ ग्वालियर से मोतीझील ट्रैक का फिजिविलिटी सर्वे किया। इस दौरान प्रशासन की ओर से भी अधिकारी मौजूद थे। इस दौरान ग्वालियर में नैरोगेज के लिए कोई जगह पर्याप्त नहीं दिखी। अब रेलव अधिकारी बानमौर स्टेशन के आस-पास निरीक्षण करेंगे। यहां बता दे कि महानगर में रियासत कालीन नैरोगेज ट्रेन की विरासत को हेरिटेज टूरिस्ट ट्रेन के रूप में सहेजने के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक वर्ष पहले रेल मंत्री को पत्र लिखा था।जिसमें मांग की थी कि इस ऐतिहासिक ट्रेन के जरिए पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है।

ग्वालियर-श्योपुर के बीच 6 नैरोगेज ट्रेन 18 माह पहले तक चलती थीं, लेकिन कोरोना के दस्तक देने के बाद से इन ट्रेनों का संचालन बंद हो गया। अब 189 किमी नैरोगेज ट्रैक को ब्रॉडगेज में तब्दील करने का काम शुरू हो चुका है। इससे 40 कोच और 11 इंजन रेलयार्ड में खड़े जंग खा रहे हैं। ब्रॉडगेज का काम पूरा करने का लक्ष्य रेलवे ने दिसंबर 2024 रखा है। सिंधिया रियासतकाल में नैरोगेज ट्रेन शहर के अंदर चलती थी। इस अवसर पर रेलवे के वरिष्ठ अधिकारीगण सुधीर कुमार सीनियर डी ई एन नॉर्थ, प्रशासन की ओर से तहसीलदार शारदा पाठक, आकाश यादव डिप्टी सीईएन कंस्ट्रक्शन, राहुल शुक्ला सीनियर डीएमई, आकाश राजपूत सीडीओ, अंकुर गुप्ता एडी ईएन, एल. आर. सोलंकी स्टेशन डायरेक्टर सहित अनेक रेलवे के अधिकारी उपस्थित रहे।

अभी मार्ग पर तीन स्टेशन हैं

ग्वालियर से मोतीझील तक ग्वालियर, घोसीपुरा और मोतीझील स्टेशन हैं। यहां नैरोगेज ट्रैक बिछा हुआ है।

116 साल पुरानी विरासत को बचाने की कवायद

शहर में नैरोगेज ट्रेन 1905 में शुरू हुई थी। तब ग्वालियर से कंपू कोठी और मुरार, के बीच चलती थी। तत्कालीन शासक माधौराव सिंधिया ने लाइट नैरोगेज ट्रेन चलाई थी। यह लश्कर, मुरार और हजीरा तीनों उपनगरों को ग्वालियर से जोडऩे वाली इस ट्रेन को बाद में श्योपुर तक चलाया गया था। अब 116 साल पुरानी विरासत को बचाने के लिए रेलवे ने पहल की है।

नैरोगेज ट्रेन एक नजर

-सिंधिया रियासत काल में शुरू हुई नैरोगेज ट्रेन ग्वालियर से श्योपुर के बीच दो साल पहले बंद हो चुकी है।

-यह ट्रेन इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर नहीं रहेगी, बल्कि नैरोगेज को हैरिटेज लुक में सिटी ट्रेन के तौर पर 8 किमी दायरे में चलाया जाएगा।

तत्कालीन महाराजा माधोराव सिंधिया ने 1893 में सिंधिया स्टेट रेलवे की स्थापना की थी।

-इसके बाद ग्वालियर शहर में नैरोगेज ट्रेन 1905 में शुरू हुई थी।

-अब 116 साल पुरानी विरासत को बचाने के लिए पहल की जा रही है।

-ग्वालियर से कंपू कोठी और मुरार के बीच यह ट्रेन चलाई गई थी।

-तत्कालीन शासक माधौराव सिंधिया ने लाइट नैरोगेज ट्रेन चलाई थी।

यह ट्रेन लश्कर, मुरार और हजीरा तीनों उपनगरों को ग्वालियर से जोड़ती थी।

-बाद में इसे श्योपुर तक बढ़ा दिया गया था।

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