बैठक में सहायक कुलसचिव और कर्मचारियों में नोंकझोंक
ग्वालियर/न.सं.। जीवाजी विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव ने बुधवार को परीक्षा विभाग के कर्मचारियों की बैठक बुलाई। बैठक में उन्होंने कर्मचारियों को कार्य के प्रति कुछ दिशा-निर्देश देना चाहते थे, लेकिन सहायक कुलसचिव जैसे ही कुछ बात रखते कर्मचारियों ने खामियां गिनाना शुरू कर दिया। इस बीच एक अन्य सहायक कुलसचिव ने कहा कि अंकसूची जांचने वाले कर्मचारी आंख बंदकर अंकसूची चेक करते हैं। इस पर कर्मचारी भड़क गए और कहने लगे कि आप मर्यादित भाषा का उपयोग करें। मामला बिगड़ता देख दोनों अधिकारी बैठक छोड़कर निकल गए।
जीवाजी विवि में परीक्षा विभाग का कार्य सहायक कुलसचिव अमित कुमार सिसौदिया और सतेन्द्र तेवतिया देख रहे हैं। अधिकारियों ने परीक्षा विभाग के कर्मचारियों की बैठक दोपहर 2:40 बजे विभाग में ही बुलाई। बैठक में श्री सिसौदिया ने कर्मचारियों से कहा कि मंगलवार को जब मैंने देखा कि मेरे जाने से पहले ही सभी कर्मचारी अपनी सीट छोड़कर चले गए हैं। जबकि विभाग में मैं खुद कार्य कर रहा था। आगे से सभी कर्मचारी सुबह 10:30 बजे विवि में आएंगे और शाम 5 बजे यहां से जाएंगे। इस पर कुछ कर्मचारी बोले कि जब श्री तेवतिया ही 11 बजे आते हैं तो हम क्यों 10:30 बजे विवि आएं, यदि आ भी जाते हैं तो फिर हमें हस्ताक्षर करने के लिए हाजिरी रजिस्टर नहीं मिलता। इस पर श्री सिसौदिया ने कहा कि कल से मैं खुद 10 बजे विवि में आऊंगा और हाजिरी रजिस्टर मेरे ही कक्ष में मिलेगा। श्री तेवतिया ने भी बताया कि कुछ कर्मचारी आंख बंद कर अंकसूची जांचते हैं। इस पर मुझे लिखने को विवश होना पड़ता है कि आंख खोलकर अंकसूची चेक करें। तेवतिया की यह बात सुन एक कर्मचारी भड़क गया और बोला कि आप कार्यालयीन भाषा का प्रयोग करें। आंख खोलकर काम करना यह कार्यालयीन भाषा नहीं है। जब सिसौदिया ने कर्मचारियों को और कुछ दिशा-निर्देश देने चाहे तो कर्मचारियों ने खामियां गिनाना शुरू कर दी। किसी ने अंकसूची न मिलने और किसी ने चार्ट न आने की शिकायत की। यह सब सुन दोनों अधिकारी बिना कुछ दिशा-निर्देश दिए ही अपने कक्ष में चले गए।
नहीं सुधर रहीं विवि की व्यवस्थाएं
विवि में अंकसूचियों के लिए दिनभर छात्र-छात्राएं भटकते रहते हैं पर उनकी समस्या का निराकरण नहीं हो रहा। विवि में चार नए सहायक कुलसचिव आने के बाद भी छात्रों की समस्याएं नहीं निपट रही। अंकसूचियों में करेक्शन के लिए छात्रों को चक्कर लगाना पड़ रहा है। विवि के अधिकारी कई बार कर्मचारियों की बैठक लेकर व्यवस्थाएं सुधारने के निर्देश दे चुके हैं, लेकिन समस्याओं का निदान नहीं हो रहा। अंतत: फजीहत छात्रों की ही हो रही है और समस्याएं निपटाने के लिए उन्हें परेशान होना पड़ रहा है।