दहशत में सिटी सेन्टर और महाराणा नगर के लोग निगम मुख्यालय सहित टूटेंगे कई कार्यालय व भवन

Update: 2019-03-29 04:23 GMT

ग्वालियर/न.सं.। रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना के 200 मीटर के दायरे में आने वाले शासकीय एवं गैर शासकीय भवनों पर एक बार फिर सें संकट के बादल मंडराने लगे हैं। डीआरडीओं के प्रतिबंधित सीमा में आने वाली इन इमारतों को हटाने के आदेश उच्च न्यायालय ने दिए हैं। न्यायालय के आदेश से इस दायरे में बने भवनों तथा इमारतों के स्वामियों में हड़कंप मच गया है।


राजेश भदौरिया ने डीआरडीई से 200 मीटर के दायरे में होने वाले निर्माण को लेकर जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि डीआरडीई से 200 मीटर के दायरे में निर्माण नहीं हो सकता है, लेकिन इस नियम का उल्लंघन किया जा रहा है। न्यायालय ने नगर निगम को आदेश दिया था कि 200 मीटर के दायरे में चल रहे निर्माण की गतिविधियों पर रोक लगाएं। दीपक चांदना ने इंटरवेंशन आवेदन पेशकर न्यायालय को बताया कि 40 सरकारी एवं 60 निजी इमारतें और छोटे मोटे भवन डीआरडीओ के आस-पास बने हैं, जिनका निर्माण 200 मीटर के दायरे में हुआ है। इंटरवेंशन आवेदन पर नगर निगम ने अपना जवाब पेश किया था कि महाराणा प्रताप नगर अवैध कॉलोनी है। इसमें जो निर्माण हुए हैं, उन्होंने नियम का उल्लंघन किया है। इसके दायरे में शासकीय भवन भी बने हैं, उन्हें निर्माण की अनुमति दी गई है। बीते वर्ष 14 मई को उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद नगर निगम को आदेश दिया था कि कानून का उल्लंघन कर हुए निर्माण पर निगम कार्रवाई करें। जिस पर निगम के अमले ने महाराणा प्रताप नगर में तुड़ाई कर कुछ मकानों को तहस नहस भी किया था। गुरुवार को आए आदेश के अनुसार डीआरडीई क्षेत्र में बने नगर निगम मुख्यालय, पुलिस अधीक्षक कार्यालय, वन विभाग तथा अन्य गैर सरकारी इमारतों को हटाया जाएगा।

2005 के बाद बने सभी निशाने पर रहेंगे

सिटी सेंटर के महाराणा प्रताप नगर में बने अवैध होटल व भवन 2005 के बाद बने हैं। यह सभी डीआरडीई के 200 मीटर परिधि में आ रहे है। इस मामले में डीआरडीई ने भी प्रतिबंध लगाया था, लेकिन उसके बाद भी भवनों का निर्माण होता रहा। अब इस क्षेत्र में करीब एक सैकड़ा ऐसे भवन हैं जो परिधि में आ रहे हैं, जिन पर गाज गिर सकती है।

रक्षा मंत्री ने समीक्षा करने की बात कही थी

बीते वर्ष केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से चर्चा कर डीआरडीई की परिधि में बने 142 भवनों के बारे में जानकारी दी थी। जिस पर उन्होंने 200 मीटर की परिधि को 10 मीटर कर समीक्षा करने की बात कही थी। लेकिन बताया जा रहा है कि अभी तक समीक्षा के आदेश नहीं आए है, जिसके चलते महाराणा प्रताप नगर के साथ-साथ पूरे सिटी सेंटर में बने होटल मालिकों के माथे पर चिंता दिखाई दे रही है।

तुड़ाई के दौरान पहुंचे थे विधायक

बीते वर्ष उच्च न्यायालय के आदेश पर जब नगर निगम का अमला महाराणा प्रताप नगर में तुड़ाई के लिए पहुंचा था तो वर्तमान विधाक मुन्नालाल गोयल मौके पर पहुंचे थे व निगम के अधिकारियों के खिलाफ विरोध दर्ज कराया था। उस दौरान क्षेत्रीय लोगों ने नगर निगम के अधिकारियों पर एकतरफा कार्रवाई के आरोप लगाए थे। नगर निगम ने अनुमति लेकर बने होटल, मॉल, शोरूम व अन्य भवनों को नोटिस पहले ही जारी कर दिए हैं।  

Similar News